पटनाः 15 सितंबर 1959 को पहली बार कंपनी ने ब्लैक एंड व्हाइट टीवी भारत में लायी थी. नवंबर 1982 में एशियाई खेलों के समय भारत में कलर टीवी आया. उसके एक साल बाद यानि 1983 में बिहार के पटना में कलर टीवी बाजार में आई. उसी साल पिता जी ने एक कलर टीवी खरीदा था जो आज तक चल रही है. ये बातें पटना निवासी अभिषेक पैट्रिक कहते हैं. आज वे पिता जी की याद को संभालकर रखे हुए हैं. विश्व टेलीविजन दिवस (World Television Day 2022) के मौके पर ईटीवी भारत ऐसी ही कुछ लोगों से मुलाकात की, जो आज 5जी के जमाने में 40 साल पुरानी टीवी देखते हैं.
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1983 में खरीदी गई थी टीवीः राजधानी पटना के अभिषेक पैट्रिक भी उन लोगों में से एक हैं जिनके पास 40 साल पुरानी टीवी मौजूद है. दरअसल अभिषेक के पास 1983 की सोनो डाइन कंपनी की एक ऐसी टीवी है, अभिषेक बताते हैं कि नवंबर 1982 में एशियाई खेलों के साथ जब अपने देश में एक कलर टीवी का प्रसारण शुरू था. 1983 में पटना के बाजार में कलर टीवी लाई गई थी, इसी दौरान पिताजी ने इस टीवी को खरीदा था. जो आज तक मेरे घर में मौजूद है.
रामायण देखने जुटती थी लोगों की भीड़ः अभिषेक कहते हैं, टीवी आज भी चालू है. इस टीवी में बटन वाले 8 चैनल है. पहले टीवी बिना रिमोट का होता था. नए-नए चैनल आने के बाद एक रिमोट का किट लगाया. ताकि चैनल को बढ़ाया जा सके. आज भी यह टीवी रिमोट से चलता है. इस टीवी से हमारी बहुत सारी यादें जुड़ी हुई है. उस वक्त दूरदर्शन पर रामायण, महाभारत का प्रसारण होता था तो लोगों की भीड़ जुट जाती थी. मेरी बचपन की याद इससे जुड़ी हुई है. इसिलिए आज तक संभाल कर रखा है.
1976 में घर में पिता टीवी लाएः वहीं पटना के प्रख्यात फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम भी उन लोगों में से एक हैं जिनके पास पुरानी टीवी मौजूद है. विनोद बताते हैं कि करीब 1976- 77 में उनके घर में इस टीवी को उनके पिताजी खरीदकर लाए थे. वह यह भी कहते हैं कि टेलीविजन दिवस के अवसर पर इस तरह की टीवी को याद करना प्रासंगिक है. टेलीविजन के स्वरूप बदले हैं. कंपनी अब तो एंड्रॉयड टीवी भी बाजार में उतार चुकी है. लेकिन इस टीवी से पिता जी की यादें जुड़ी हुई हैं.
'तब समाज को जोड़ती थी टीवी': विनोद कहते हैं कि इस तरह की टीवी ने एक दर्शक वर्ग को तैयार किया था. सामाजिकता को बढ़ाने में अपना योगदान दिया. इस मायने में यह टीवी अपने आप में बहुत अहम है. पहले एक टेलीविजन में पूरा मोहल्ला देखता था. अब हर आदमी के पास अपनी टीवी है. उस समय जब रामायण-महाभारत का प्रसारण होता था तो आसपास से लोगों की भीड़ जुट जाती थी. इस दौरान समाज की एकता झलकती थी पर आज घर-घर में स्मार्ट टीवी है.
इंदिरा गांधी को देखने के लिए जुटे थे लोगः विनोद ने बताया कि जब 1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु हुई थी तो हमने इसी टीवी पर प्रसारण देखा था. उस समय ड्राइंग रूम लोगों की भीड़ लगी रहती थी. वह घटना याद कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. मेरे पास जो टीवी है, इसे बैटरी पर भी देखते थे. यह टीवी आज भी कंडीशन में है. सिग्नल पकड़ने में इसे थोड़ी समस्या आती है लेकिन इसकी आवाज साफ है. तस्वीरें अभी भी ब्लैक एंड वाइट में हम लोग देखते हैं.