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'माहवारी स्वच्छता दिवस' पर विशेष कार्यशाला आयोजित, लोगों को किया गया जागरूक - माहवारी दिवस

समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए माहवारी स्वच्छता दिवस का आयोजन विश्वभर में हर 28 मई को किया जाता है. माहवारी स्वच्छता दिवस की शुरुआत साल 2014 में जर्मनी में की गई थी.

कार्यशाला में उपस्थित विशेषज्ञ
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Published : May 28, 2019, 8:31 PM IST

पटना: बिहार शिक्षा परियोजना परिषद, यूनिसेफ के साथ मिलकर राज्यभर में माहवारी स्वच्छता प्रबंधन से जुड़े विभिन्न पहल पर काम कर रही है. बिहार सरकार मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना के तहत माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के लिए 300 रुपये की वार्षिक राशि भी प्रदान कर रही है. यह कक्षा सातवीं से 12वीं तक की किशोरियों को दिया जाता है. हालांकि अधिकांश स्कूल जाने वाली लड़कियों को इस प्रावधान के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं है.

हर किशोरी को सब्सिडी की जानकारी देने और इस योजना के माध्यम से अपने माहवारी के बेहतर प्रबंधन के लिए सशक्त बनाने के उद्देश्य से यूनिसेफ और नव अस्तित्व फाउंडेशन साथ मिलकर पायलट पहल के रूप में राज्य के सभी 38 जिले के मॉडल स्कूलों में जागरूकता सत्र आयोजित कर रही है.

जानकारी देते विशेषज्ञ

28 मई को मनाते हैं माहवारी स्वच्छता दिवस
समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए माहवारी स्वच्छता दिवस का आयोजन विश्वभर में हर 28 मई को किया जाता है. माहवारी स्वच्छता दिवस की शुरुआत साल 2014 में जर्मनी में की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य समाज में मासिक धर्म को लेकर फैली विडंबना और गलत अवधारणा को दूर करना है. साथ ही किशोरियों और महिलाओं को माहवारी प्रबंधन संबंधित सही जानकारी देना है. 28 मई का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि माहवारी चक्र की औसत लंबाई 28 दिन की होती है.

patna
माहवारी को लेकर फैली विडंबनाओं पर रोक जरूरी

ग्रामीण इलाकों में जागरूकता आवश्यक
इस कार्यक्रम में किशोरियों को माहवारी के समय स्वच्छ उपयोग, सुरक्षित निपटाने के साथ-साथ समाज में फैले अंधविश्वासों से ऊपर उठने को भी कहा जा रहा है. गौरतलब है कि महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य हाल के वर्षों में काफी चर्चित विषय रहा है. प्रजनन स्वास्थ्य संबंधित मुद्दों को दूर करने के लिए बहुत सारी पहल भी की गई है. लेकिन, आज भी गांव में इसे अशुद्ध और अपवित्र माना जाता है. एक आंकड़े के मुताबिक बिहार के शहरी क्षेत्रों में जहां 55.6 प्रतिशत महिलाएं माहवारी का प्रबंधन सुरक्षित और साफ तरीके से करती हैं. वहीं, ग्रामीण इलाकों में ऐसी महिलाओं की संख्या केवल 27.3 प्रतिशत है.

पटना: बिहार शिक्षा परियोजना परिषद, यूनिसेफ के साथ मिलकर राज्यभर में माहवारी स्वच्छता प्रबंधन से जुड़े विभिन्न पहल पर काम कर रही है. बिहार सरकार मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना के तहत माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के लिए 300 रुपये की वार्षिक राशि भी प्रदान कर रही है. यह कक्षा सातवीं से 12वीं तक की किशोरियों को दिया जाता है. हालांकि अधिकांश स्कूल जाने वाली लड़कियों को इस प्रावधान के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं है.

हर किशोरी को सब्सिडी की जानकारी देने और इस योजना के माध्यम से अपने माहवारी के बेहतर प्रबंधन के लिए सशक्त बनाने के उद्देश्य से यूनिसेफ और नव अस्तित्व फाउंडेशन साथ मिलकर पायलट पहल के रूप में राज्य के सभी 38 जिले के मॉडल स्कूलों में जागरूकता सत्र आयोजित कर रही है.

जानकारी देते विशेषज्ञ

28 मई को मनाते हैं माहवारी स्वच्छता दिवस
समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए माहवारी स्वच्छता दिवस का आयोजन विश्वभर में हर 28 मई को किया जाता है. माहवारी स्वच्छता दिवस की शुरुआत साल 2014 में जर्मनी में की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य समाज में मासिक धर्म को लेकर फैली विडंबना और गलत अवधारणा को दूर करना है. साथ ही किशोरियों और महिलाओं को माहवारी प्रबंधन संबंधित सही जानकारी देना है. 28 मई का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि माहवारी चक्र की औसत लंबाई 28 दिन की होती है.

patna
माहवारी को लेकर फैली विडंबनाओं पर रोक जरूरी

ग्रामीण इलाकों में जागरूकता आवश्यक
इस कार्यक्रम में किशोरियों को माहवारी के समय स्वच्छ उपयोग, सुरक्षित निपटाने के साथ-साथ समाज में फैले अंधविश्वासों से ऊपर उठने को भी कहा जा रहा है. गौरतलब है कि महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य हाल के वर्षों में काफी चर्चित विषय रहा है. प्रजनन स्वास्थ्य संबंधित मुद्दों को दूर करने के लिए बहुत सारी पहल भी की गई है. लेकिन, आज भी गांव में इसे अशुद्ध और अपवित्र माना जाता है. एक आंकड़े के मुताबिक बिहार के शहरी क्षेत्रों में जहां 55.6 प्रतिशत महिलाएं माहवारी का प्रबंधन सुरक्षित और साफ तरीके से करती हैं. वहीं, ग्रामीण इलाकों में ऐसी महिलाओं की संख्या केवल 27.3 प्रतिशत है.

Intro:जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व में माहवारी स्वच्छता दिवस का आयोजन माहवारी स्वच्छता दिवस की शुरुआत वर्ष 2014 में जर्मनी में की गई थी तब से प्रतिवर्ष 28 मई को माहवारी स्वच्छता दिवस के रूप में विश्व स्तर पर मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में फैली मासिक धर्म से संबंधित गलत अवधारणा को दूर करना तथा किशोरियों और महिलाओं को महावारी प्रबंधन संबंधित सही जानकारी देना इसके लिए 28 मई का दिन इसलिए चुना गया था क्योंकि महावारी के चक्र की औसत लंबाई 28 दिन की होती हैं


Body:यूनिसेफ बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के साथ मिलकर राजभर में माहवारी स्वच्छता प्रबंधन से जुड़े विभिन्न पहल पर काम कर रही हैं जिसमें संस्थाओं के क्षमता वर्धन के माध्यम से व्यवस्था को सुदृढ़ करने से लेकर इस मुद्दे पर संवेदी करण और जागरूकता कर रही हैं बिहार सरकार मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना के तहत माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के लिए कक्षा सातवीं से 12वीं कक्षा की किशोरियों को ₹300 की वार्षिक प्रशासन राशि दे रही हैं हालांकि अधिकांश स्कूल जाने वाली लड़कियों को इस प्रावधान के बारे में अभी जानकारी पूर्णता नहीं है हर किशोरी को इस सब्सिडी की जानकारी देने और इस योजना के माध्यम से अपने महावारी के बेहतर प्रबंधन के लिए सशक्त बनाने हेतु यूनिसेफ एवं नव अस्तित्व फाउंडेशन के साथ मिलकर पायलट पहल के रूप में राज्य के सभी 38 जिले के मॉडल स्कूलों में जागरूकता सत्र आयोजित कर रही हैं सभी स्कूलों में किशोरियों को महावारी महावारी अवशोषण के स्वच्छ उपयोग सुरक्षित निपटाने के साथ-साथ माहवारी स्वच्छता प्रबंधन में मौजूदा मिथकों और अंधविश्वास को दूर करने के बारे में जानकारी दी जा रही है वहीं चार प्रमंडल और 21 जिलों में परामर्श कार्यशाला के माध्यम से माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के लिए एक राज्यव्यापी कार्य योजना तैयार की जा रही है इसके अंतर्गत संबंधित विभागों और विषय विशेषज्ञों को भी एक मंच पर लाया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य कार्य योजना अधिक सशक्त बनें
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार किशोरियों की संख्या बिहार की कुल जनसंख्या क्या 22.6 40% है जिसमें लगभग 60% किशोर 10 से 14 वर्ष की हैं और लगभग 41% 15 से 19 वर्ष के हैं कुल किशोर जनसंख्या में किशोरियों की संख्या लगभग 46% हैं


Conclusion:गौरतलब है कि महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य हाल के वर्षों में काफी चर्चित विषय रहा है और प्रजनन स्वास्थ्य में संबंधित मुद्दों को दूर करने के लिए बहुत सारी पहल भी की गई हैं लेकिन आज भी गांव में यह सबसे प्रचलित और आम मिथक यह भी है कि यह अशुद्ध और अपवित्र माना जाता है, इसी भ्रांति को दूर करना जरूरी है बिहार में एक आंकड़े के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में जहां 55. 6 प्रतिशत महिलाएं महावारी का प्रबंधन सुरक्षित और साफ तरीके से करती हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों में ऐसी महिलाओं की संख्या केवल 27.3 प्रतिशत हैं ऐसे में इन लोगों के बीच जागरूकता जरूरी है
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