पटनाः लॉकडाउन में बिहार के बाहर फंसे प्रवासियों का वापस लौटने के सिलसिला शुरू हो चुका है. इसी क्रम में कर्नाटक के बेंगलुरु से चलकर 1100 से अधिक मजदूरों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन दानापुर पहुंची. ट्रेन से उतरने के बाद सभी यात्रियों का स्टेशन पर स्क्रीनिंग किया गया और उसके बाद उनके जिले के बसों पर सवार कर दिया गया है.
प्रवासियों का वापस लौटने का सिलसिसा शुरू
दानापुर स्टेशन प्लेटफार्म पर गाड़ी लगते ही सभी बोगी में बारी-बारी से लोगों की स्क्रीनिंग की गई. जांच में जो ठीक पाए जा रहे लोगों को उनके गृह जिले के बस से उनको घर भेजा जा रहा है. कुछ लोग अपने परिवार के साथ पहुंचे हैं. तो कई लोग अकेले ही अपने घर वापस हुए हैं. ट्रेन से वापस आने वाले लोगों में मजदूर और छात्र वर्ग के हैं. वापस आए सभी लोगों के चेहरे पर अपने प्रदेश लौटने की खुशी दिख रही थी.
प्रवासियों के चेहरे पर दिखी खुशी
प्रावसियों के लिए जिला प्रशासन ने दानापुर स्टेशन परिसर में ही भोजन का इंतजाम किया था. भोजन करवाने के बाद ही इन्हें इनके गृह जिला वापस भेजा जा रहा है. वापस भेजे जा रहे बसों को सेनेटाइज भी किया गया.
'स्क्रीनिंग के बाद दी जा रही घर जाने की इजाजत'
बेंगलुरु में टाइल्स का काम करने वाले विजय सिंधु ने बताया कि हालात काफी खराब थे. उनके पास खाने को बिल्कुल पैसे नहीं थे. उनका सेठ उन्हें पैसे भी नहीं दे रहा था और पहले से भी उसके पास पैसे बकाया है. उन्होंने बताया कि 1050 रुपए ट्रेन का किराया लगा है और उनके कई दोस्त अभी बेंगलुरु में फंसे हुए हैं. हालांकि कर्नाटक में प्रशासन की तरफ से उन्हें सहयोग मिला और उन्होंने घर से पैसे मंगवा कर अपने टिकट की व्यवस्था की.
खाने-पीने की हुई काफी दिक्कत
एक और यात्री मोहम्मद तौफीक ने बताया कि वह कंस्ट्रक्शन फील्ड में काम करते हैं और काम ठप पड़ने की वजह से पैसे की किल्लत हो गई थी. ट्रेन से आने के लिए उन्हें पैसे नहीं देने पड़े हैं. उनका टिकट उनके मालिक की तरफ से करा दिया गया था. उन्होंने बताया कि ट्रेन में आने के दौरान खाने पीने की काफी दिक्कत हुई. जब वह कर्नाटक से चले तो उन्हें खाना मिला. उसके बाद 5 मई के दिन 2 बजे सीधे खाना मिला और वह भी पेट भरने लायक नहीं था.
उन्होंने बताया कि आने के दौरान पीने के पानी की भी उन्हें काफी दिक्कत हुई, मगर इस बात की खुशी है कि वह अपने प्रदेश वापस लौट आए हैं. वह केंद्र सरकार और भारतीय रेल का धन्यवाद देना चाहते हैं कि उनकी वजह से ही वह अपने प्रदेश वापस लौट आए हैं.