नालंदा: खेतीबाड़ी में अब स्मार्ट खेती का चलन बढ़ रहा है. किसान दिवस के पर बिहार के नालंदा के किसान राकेश कुमार ने खेती को एक नया रूप दिया है. अपने स्मार्ट तरीके से खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं और करीब 100 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. राकेश कुमार बिहारशरीफ के सोहडीह के रहने वाले हैं.
खेती में नई तकनीकों का इस्तेमाल: राकेश कुमार आलू उत्पादन के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने सबसे पहले जैविक खेती की शुरुआत की थी. उन्हें लगातार 3 साल तक जैविक खेती करने के लिए प्रमाण पत्र भी मिला है. राकेश कुमार दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा हैं. यह नालंदा और पूरे बिहार के लिए गर्व की बात है. राकेश कुमार एक प्रगतिशील किसान हैं.
नालंदा में आर्गेनिक खेती की शुरुआत: राकेश कुमार सोहडीह में सबसे पहले आर्गेनिक खेती की शुरुआत की थी. आलू उत्पादन में "विश्व रिकॉर्ड" के साथ अन्य सब्ज़ियों के उत्पादन में भी रिकॉर्ड बना चुके हैं. वे ‘शेरे ए बिहार सोहडीह कृषक समूह’ के अध्यक्ष भी हैं. राकेश कुमार खेती में नए-नए प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं. उनके प्रयासों से सोहडीह इलाके में सालों भर फूलगोभी की सफल खेती की जा रही है.
आलू उत्पादन में विश्व रिकॉर्ड: 2012 में राकेश कुमार ने एक एकड़ में 108.8 टन आलू उत्पादन कर नीदरलैंड के किसान का प्रति हेक्टेयर 45 टन आलू उत्पादन का रिकॉड तोड़ा था. राकेश कुमार के चयन पूरे जिले के किसानों को यह लगता है कि किसान भी देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
1500 किसान हुए खुशहाल: उन्होंने कहा कि खेती से जुड़े और जैविक खेती की जानकारी मिली फिर उस ओर रुख किए तो एक अलग पहचान बनी कि देश-विदेश के किसान यहां जैविक खेती के गुर सिखने आते हैं या फिर उन्हें सरकारी मदद से विभिन्न प्रदेश एवं विदेश प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है. हमारे सब्जी की खेती के पेशे से सूबे के करीब 1500 किसान प्रभावित होकर अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं. इससे पलायन की भी समस्या कम हुई है.
पढ़ाई छोड़कर खेती को अपनाया: उन्होंने कहा कि सीजन में सब्जी बिहार, झारखंड और बंगाल के अलावा पड़ोसी देश नेपाल एवं बांग्लादेश तक जाता है. भिंडी, कद्दू, बोरा, गोभी, आलू और प्याज इत्यादि शामिल है. राकेश कुमार खुद इंटरमीडिएट साइंस विषय से किए हैं. स्नातक पार्ट 2 तक पढ़ाई छोड़ दिया. अपने पूर्वजों से खेती का गुर सिखा और शुरुआत करते हुए जब फायदा होने लगा तो फ़िर पढ़ाई करने या नौकरी का कोशिश नहीं की.
"पूर्वज दिन रात मेहनत कर धान गेंहू की खेती करते थे, लेकिन उससे फायदा कम और मेहनत ज्यादा लगता था.आर्गेनिक खेती की शुरुआत की. कारवां बढ़ता गया और आलू उत्पादन में नीदरलैंड का रिकॉर्ड तोड़कर विश्व रिकॉर्ड बनाया. आज खेती में 100 लोगों को रोजगार दे रहा हूं."- राकेश कुमार, किसान, नालंदा
100 लोगों को दे रहे रोजगार: राकेश कुमार आज खेती में 100 लोगों को रोजगार दे रहे हैं. जिसमे प्रतिदिन एक मजदूर को 300-400 रुपए देते हैं. दूसरे के यहां काम करने से बेहतर है कि अपना काम कर रहे हैं. सालाना 8 से 10 लाख सारा काम कर सेव करते हैं. इनकी मांग है कि खेत में काम करने वाले किसानों का मनोबल बढ़ाने के लिए सूबे के कृषि विभाग के वरीय अधिकारी मिलने के लिए आना चाहिए.
क्यों मनाया जाता है किसान दिवस?: हर साल 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है. यह दिन पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों के कल्याण के लिए समर्पित किया. इस उत्सव के पीछे मुख्य उद्देश्य किसानों के समाजिक-आर्थिक विकास में योगदान को मान्यता देना और उनके कल्याण के लिए जागरूकता फैलाना है.
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