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पटना में अचानक पटरी पर खड़ी होकर महिलाओं ने रोक दी ट्रेन, जानें वजह

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Published : Aug 21, 2021, 11:47 AM IST

पटना के तारेगना स्टेशन पर हजारों की संख्या में महिलाओं-छात्रों ने ट्रेन रोककर प्रदर्शन किया. महिलाओं ने कहा कि ट्रेन में वे भेड़-बकरियों की तरह लदकर जाने को मजबूर हैं. रूट पर अगर ट्रेनों की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो वे उग्र प्रदर्शन करेंगे.

महिलाओं का प्रदर्शन
महिलाओं का प्रदर्शन

पटनाः पटना-गया रेलखंड (Patna-Gaya Rail Section) के तारेगना स्टेशन (Taregna station) पर हजारों की संख्या में महिलाएं, छात्र और स्थानीय लोगों ने ट्रेन रोककर प्रदर्शन किया. रेलखंड पर ट्रेन की कमी के कारण होने वाली समस्याओं को लेकर प्रदर्शनकारी महिलाओं ने सवारी गाड़ियों की संख्या बढ़ाने की मांग की.

इसे भी पढे़ं- कटिहार में मुहर्रम के दौरान हिंसक भीड़ का गाड़ी सवार पर हमला, 200 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज

महिलाओं ने घंटों तक पैसेंजर ट्रेन को रोके रखा और मांगें पूरी करने के लिए नारेबाजी करती रहीं. उन्होंने बताया कि एक तरफ सरकार कोविड प्रोटोकॉल का हवाला देती है और दूसरी तरफ ट्रेनों में भेड़-बकरियों की तरह लदकर जाने को मजबूर हैं.

देखें वीडियो

रूट में कम ट्रेनें होने के कारण ट्रेनों में काफी भीड़ रहती है. इस कारण से उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. फजीहत तो तब हो जाती है, जब ये ट्रेनें समय से गंतव्य तक नहीं पहुंचाती है. वो कामकाजी हैं. कोई स्कूल में काम करती हैं, तो कोई सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में.

इसे भी पढे़ं- 'मेरे बेटे को पुलिस में नौकरी दे दे साहब...' CM दफ्तर के बाहर बीच सड़क पर ही लेट गए बुजुर्ग

उन्हें समय से काम पर आने को कहा जाता है, लेकिन इस स्थिति में यह संभव नहीं है. सरकार को चाहिए कि लोगों के हितों को देखते हुए इस रेलखंड पर सवारी गाड़ियों की संख्या बढ़ाए. इतना ही नहीं प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं तो वे और भी उग्र आंदोलन करेंगे.

पटनाः पटना-गया रेलखंड (Patna-Gaya Rail Section) के तारेगना स्टेशन (Taregna station) पर हजारों की संख्या में महिलाएं, छात्र और स्थानीय लोगों ने ट्रेन रोककर प्रदर्शन किया. रेलखंड पर ट्रेन की कमी के कारण होने वाली समस्याओं को लेकर प्रदर्शनकारी महिलाओं ने सवारी गाड़ियों की संख्या बढ़ाने की मांग की.

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महिलाओं ने घंटों तक पैसेंजर ट्रेन को रोके रखा और मांगें पूरी करने के लिए नारेबाजी करती रहीं. उन्होंने बताया कि एक तरफ सरकार कोविड प्रोटोकॉल का हवाला देती है और दूसरी तरफ ट्रेनों में भेड़-बकरियों की तरह लदकर जाने को मजबूर हैं.

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रूट में कम ट्रेनें होने के कारण ट्रेनों में काफी भीड़ रहती है. इस कारण से उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. फजीहत तो तब हो जाती है, जब ये ट्रेनें समय से गंतव्य तक नहीं पहुंचाती है. वो कामकाजी हैं. कोई स्कूल में काम करती हैं, तो कोई सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में.

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उन्हें समय से काम पर आने को कहा जाता है, लेकिन इस स्थिति में यह संभव नहीं है. सरकार को चाहिए कि लोगों के हितों को देखते हुए इस रेलखंड पर सवारी गाड़ियों की संख्या बढ़ाए. इतना ही नहीं प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं तो वे और भी उग्र आंदोलन करेंगे.

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