पटना: कोरोना का नाम सुनते ही लोगों के मन में डर बैठ जाता है. चिकित्सकों का भी मानना है कि डर की वजह से लोगों को ज्यादा परेशानी होती है और कईयों की तो मौत भी हो चुकी है. ऐसे में पटना के आशियाना नगर स्थित ग्राम नगरी मूल निवासी मौसमी धर के बारे में जानना आपके लिए जरूरी है. मौसमी ने कोरोना संक्रमित होते हुए भी बहादुरी का परिचय दिया और आज पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी हैं.
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कोरोना को मात
कोरोना की दूसरी लहर की तस्वीर भयावाह है. राजधानी पटना में भी हालात खराब है. अस्पताल में जहां बेड नहीं, वहीं ऑक्सीजन को लेकर भी मारा मारी है. ऐसे में संक्रमित होने के बाद मौसमी ने अस्पताल जाने के बजाय घर पर रहने का निर्णय लिया. उनके परिवार का भी सहयोग उन्हें हासिल हुआ और लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार वह कोरोना को मात देने में सफल हुईं हैं.
'6 दिनों तक तो मुझे एहसास था कि मैं दवा या ऑक्सीजन ले रही हूं. लेकिन बाद में क्या हुआ मुझे कुछ याद नहीं है. एक वक्त तो मुझे ऐसा लगा था कि मैं जिंदगी से जंग हार जाऊंगी लेकिन मैंने सोचा कि मेरे मौत के बाद दोनों बेटों का क्या होगा. पति के सपनों को भी पूरा करना है.पति की मौत कुछ साल पहले कैंसर से हो चुकी है. तब मैंने कोरोना से लड़ने का फैसला किया.'- मौसमी धर
परिवार का मिला सहयोग
मौसमी धर 10 अप्रैल को कोरोना से संक्रमित हो गईं थीं. कुछ दिनों के उतार-चढ़ाव के बाद 22 अप्रैल से उनकी परेशानी बढ़ गई और सांस लेने में तकलीफ होने लगी. यह समय ऐसा था कि अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था. ऐसे में परिजनों ने मौसमी धर को अस्पताल भेजने की बजाय घर में ही रख कर ट्रीटमेंट करना मुनासिब समझा.
70 पहुंच गया था ऑक्सीजन लेवल
एक वक्त में मौसमी का ऑक्सीजन लेवल 70 के आसपास पहुंच गया था और घर के लोग चिंतित होने लगे थे. परिजनों ने घर पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की और ऑक्सीजन देना शुरू किया. मौसमी 20 दिनों तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रही. बेटे अभिनव धर और भतीजे देवाशीष ने जी जान से लग कर मौसमी की सेवा की. जरूरत पड़ने पर फोन से ही डॉक्टरी सलाह ली.
'पीएमसीएच के चिकित्सक डॉ हरी मोहन सिंह ने भरपूर सहयोग किया और जब भी कोई परेशानी होती थी तो फोन के जरिए दवा लेने का सुझाव देते थे. डॉ हरी मोहन सिंह आधी रात को भी फोन अटेंड करते थे.'- अभिनव धर, मौसमी धर के बेटे
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इन बातों का रखें ख्याल
- कोरोना संक्रमण में ऑक्सीजन लेवल घटने लगता है.
- घर पर होम क्वारंटाइन में इलाज करा रहे लोगों को ऑक्सीजन सैचुरेशन चेक करते रहना चाहिए.
- ऑक्सीजन चेक करने के लिए पल्स ऑक्सीमीटर जरूरी है.
- डिवाइस को उंगली पर लगाकर चेक किया जाता है. इसकी रीडिंग अगर 94 से ज्यादा है तो पेशेंट खतरे से बाहर है. वहीं ऑक्सीजन सैचुरेशन की रीडिंग 90 है तो यह मरीज के लिए खतरे की घंटी है.
- डॉक्टर के अनुसार, अगर आपका SpO2 लेवल 94 से 100 के बीच रहता है तो यह स्वस्थ होने के संकेत हैं.
- अगर लेवल 94 से नीचे होता है तो यह हाइपोकलेमिया को ट्रिगर कर सकता है
- इससे कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं.
- वहीं ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे जाने पर पेशेंट को तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट होने की जरूरत होती है.
- ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए प्रोनिंग एक्सरसाइज की जा सकती है.