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'चेहरा मायने रखता है जनाब', बिहार में BJP की मजबूरी हैं नीतीश कुमार!

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Published : Oct 20, 2019, 10:07 PM IST

बिहार में पिछले डेढ़ दशक से सभी चुनाव नीतीश कुमार के चेहरे पर लड़े गए हैं. इन चुनावों की खास बात ये रही है कि नीतीश जिस संगठन का हिस्सा हुए, उसे जीत मिली है. शायद यही कारण है कि आगामी 2020 विस चुनाव में बीजेपी उन्हें ही चेहरा बना रही है.

बिहार में विधानसभा चुनाव

पटना: बिहार में जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन पिछले डेढ़ दशक से है. दो-ढाई सालों को छोड़ दें, तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में बीजेपी-जदयू सभी चुनाव बिहार में जीतती रही है. 2015 में नीतीश महागठबंधन के साथ थे और महागठबंधन को जीत मिली. लेकिन नीतीश एक बार फिर पाला बदलते हुए एनडीए के साथ आ गए. इस साल लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीटें नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने जीती. वहीं, 2020 में विधानसभा का चुनाव होने हैं. एक बार फिर से बीजेपी नीतीश के नेतृत्व में ही चुनाव में जाने की तैयारी शुरू कर दी है.

ऐसे में जदयू का मानना है कि नीतीश जिसके साथ रहेंगे, जीत उसी की मिलेगी. यही वजह है कि शायद नीतीश कुमार बिहार में बीजेपी के लिए मजबूरी हैं. बिहार में भले ही जदयू और बीजेपी के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हो. बावजूद इसके, बीजेपी को अब भी नीतीश कुमार पर ही भरोसा है. 2020 में नीतीश कुमार के चेहरे के बलबूते ही बीजेपी विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. पिछले दिनों बीजेपी नेताओं के बयान से कई तरह के कयास लगने लगे थे. लेकिन अमित शाह के बयान के बाद साफ हो गया है कि अब नीतीश कुमार के चेहरे को लेकर किसी तरह का संशय नहीं है.

पटना से संवाददाता अविनाश की खास रिपोर्ट

2015 की हार देख चुकी है बीजेपी...
आज के समय में बीजेपी के लिए एक तरह से नीतीश कुमार मजबूरी हो गए हैं क्योंकि पिछले डेढ़ दशक से नीतीश कुमार के साथ बीजेपी का एलायंस बिहार में चल रहा है और हर बार जब भी नीतीश चेहरा रहे हैं, तो जीत एनडीए खेमे को ही मिली है. लेकिन 2015 में जब नीतीश एनडीए में नहीं थे तो एनडीए विधानसभा का चुनाव हार गया था. यही शायद वो बड़ा कारण है कि कई मुद्दों पर मतभेद होते हुए भी बीजेपी के लिए नीतीश का चेहरा ही 2020 में जरूरत है.

अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता
अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता

जदयू-बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया
जदयू नेता पहले से भी कहते रहे हैं कि जब भी बिहार में चुनाव होगा तो नीतीश ही चेहरा होंगे. इसके पीछे वो नीतीश कुमार ने बिहार में जो काम किए हैं, उसे बड़ा कारण बताते हैं. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि नीतीश कुमार ने जो काम किया, उनका जो विजन है. जनता उन्हें लगातार समर्थन करती रही है. वो किसी के साथ रहें, जनता उनके साथ ही रहती है. नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव में जाने के फैसले पर बीजेपी प्रवक्ता अजफर शमसी का कहना है कि पहले से ही यह तय है. हमारे प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पहले से ही कहते रहे हैं.

अजफर शमसी, बीजेपी प्रवक्ता
अजफर शमसी, बीजेपी प्रवक्ता

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञ अपने तरीके से इसका विश्लेषण कर रहे हैं. एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डीएम दिवाकर का कहना है कि कई मुद्दों पर मतभेद होने के बावजूद बीजेपी नीतीश कुमार के सहारे मुस्लिम वोटों को हाथ से जाने नहीं देना चाहती है. इसलिए 2020 में भी नीतीश कुमार के चेहरे के सहारे ही चुनाव में जाने का फैसला ले रही है.

प्रोफेसर डीएम दिवाकर, राजनीतिक विशेषज्ञ
प्रोफेसर डीएम दिवाकर, राजनीतिक विशेषज्ञ

बिहार में 2015 में बीजेपी पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे बीजेपी ने चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. बावजूद इसके, उसकी हार हुई. यही कारण है कि 2020 में बीजेपी किसी तरह का कोई रिस्क लेना नहीं चाहती है और महागठबंधन को ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहती है कि जिसका लाभ उसे मिल जाए.

पटना: बिहार में जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन पिछले डेढ़ दशक से है. दो-ढाई सालों को छोड़ दें, तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में बीजेपी-जदयू सभी चुनाव बिहार में जीतती रही है. 2015 में नीतीश महागठबंधन के साथ थे और महागठबंधन को जीत मिली. लेकिन नीतीश एक बार फिर पाला बदलते हुए एनडीए के साथ आ गए. इस साल लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीटें नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने जीती. वहीं, 2020 में विधानसभा का चुनाव होने हैं. एक बार फिर से बीजेपी नीतीश के नेतृत्व में ही चुनाव में जाने की तैयारी शुरू कर दी है.

ऐसे में जदयू का मानना है कि नीतीश जिसके साथ रहेंगे, जीत उसी की मिलेगी. यही वजह है कि शायद नीतीश कुमार बिहार में बीजेपी के लिए मजबूरी हैं. बिहार में भले ही जदयू और बीजेपी के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हो. बावजूद इसके, बीजेपी को अब भी नीतीश कुमार पर ही भरोसा है. 2020 में नीतीश कुमार के चेहरे के बलबूते ही बीजेपी विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. पिछले दिनों बीजेपी नेताओं के बयान से कई तरह के कयास लगने लगे थे. लेकिन अमित शाह के बयान के बाद साफ हो गया है कि अब नीतीश कुमार के चेहरे को लेकर किसी तरह का संशय नहीं है.

पटना से संवाददाता अविनाश की खास रिपोर्ट

2015 की हार देख चुकी है बीजेपी...
आज के समय में बीजेपी के लिए एक तरह से नीतीश कुमार मजबूरी हो गए हैं क्योंकि पिछले डेढ़ दशक से नीतीश कुमार के साथ बीजेपी का एलायंस बिहार में चल रहा है और हर बार जब भी नीतीश चेहरा रहे हैं, तो जीत एनडीए खेमे को ही मिली है. लेकिन 2015 में जब नीतीश एनडीए में नहीं थे तो एनडीए विधानसभा का चुनाव हार गया था. यही शायद वो बड़ा कारण है कि कई मुद्दों पर मतभेद होते हुए भी बीजेपी के लिए नीतीश का चेहरा ही 2020 में जरूरत है.

अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता
अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता

जदयू-बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया
जदयू नेता पहले से भी कहते रहे हैं कि जब भी बिहार में चुनाव होगा तो नीतीश ही चेहरा होंगे. इसके पीछे वो नीतीश कुमार ने बिहार में जो काम किए हैं, उसे बड़ा कारण बताते हैं. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि नीतीश कुमार ने जो काम किया, उनका जो विजन है. जनता उन्हें लगातार समर्थन करती रही है. वो किसी के साथ रहें, जनता उनके साथ ही रहती है. नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव में जाने के फैसले पर बीजेपी प्रवक्ता अजफर शमसी का कहना है कि पहले से ही यह तय है. हमारे प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पहले से ही कहते रहे हैं.

अजफर शमसी, बीजेपी प्रवक्ता
अजफर शमसी, बीजेपी प्रवक्ता

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञ अपने तरीके से इसका विश्लेषण कर रहे हैं. एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डीएम दिवाकर का कहना है कि कई मुद्दों पर मतभेद होने के बावजूद बीजेपी नीतीश कुमार के सहारे मुस्लिम वोटों को हाथ से जाने नहीं देना चाहती है. इसलिए 2020 में भी नीतीश कुमार के चेहरे के सहारे ही चुनाव में जाने का फैसला ले रही है.

प्रोफेसर डीएम दिवाकर, राजनीतिक विशेषज्ञ
प्रोफेसर डीएम दिवाकर, राजनीतिक विशेषज्ञ

बिहार में 2015 में बीजेपी पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे बीजेपी ने चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. बावजूद इसके, उसकी हार हुई. यही कारण है कि 2020 में बीजेपी किसी तरह का कोई रिस्क लेना नहीं चाहती है और महागठबंधन को ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहती है कि जिसका लाभ उसे मिल जाए.

Intro:पटना-- बिहार में जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन पिछले डेढ़ दशक से है । दो ढाई सालों को छोड़ दें तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में बीजेपी जदयू हर चुनाव, बिहार में जितती रही है 2015 में नीतीश महागठबंधन के साथ थे और महागठबंधन को जीत मिली लेकिन फिर से नीतीश एन डी ए के साथ आ गए और इस साल लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीटें नीतीश कुमार के नेतृत्व में एन डी ए ने जीता। 2020 में विधानसभा का चुनाव होना है एक बार फिर से बीजेपी नीतीश के नेतृत्व में ही चुनाव में जाने की तैयारी शुरू कर दी है। जदयू पहले से कहती रही है कि नीतीश जिसके साथ रहेंगे जीत उसी की मिलेगी और शायद बीजेपी इसलिए नीतीश कुमार बिहार में बीजेपी के लिए मजबूरी हैं।
पेश है रिपोर्ट--


Body:बिहार में भले ही जदयू और बीजेपी के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हो बावजूद बीजेपी को अब भी नीतीश कुमार पर ही भरोसा है और 2020 में नीतीश कुमार के चेहरे के बलबूते ही बीजेपी विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है पिछले दिनों बीजेपी नेताओं के बयान से कई तरह के कयास लगने लगे थे।लेकिन अमित शाह के बयान के बाद साफ हो गया है कि अब नीतीश कुमार के चेहरे को लेकर किसी तरह का संशय नहीं है। बीजेपी के लिए एक तरह से नीतीश कुमार आज मजबूरी हो गए हैं क्योंकि पिछले डेढ़ दशक से नीतीश कुमार के साथ बीजेपी का रिलायंस बिहार में चल रहा है और हर बार जब भी नीतीश चेहरा रहे जीत एन डी ए खेमे को ही मिली लेकिन 2015 में जब नीतीश एन डी ए में नहीं थे विधानसभा का चुनाव हार गई शायद यह एक बड़ा कारण है, कई मुद्दों पर मतभेद होते हुए भी बीजेपी के लिए नीतीश का चेहरा ही 2020 में जरूरत है। जदयू नेता पहले से भी कहते रहे हैं कि जब भी बिहार में चुनाव होगा नीतीश ही चेहरा होंगे इसके पीछे नीतीश कुमार ने जो बिहार में काम किया है उसे बड़ा कारण बताते हैं। जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि नीतीश कुमार ने जो काम किया उनका जो विजन है जनता उन्हें लगातार समर्थन करती रही है और इसलिए किसी के साथ रहें जनता नीतीश कुमार के साथ ही रहती है। नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव में जाने के फैसले पर बीजेपी प्रवक्ता अजफर शमसी का कहना है कि पहले से ही यह तय है हमारे प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पहले से ही कहते रहे हैं ।
बाइट्स--अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता
अजफर शमसी, प्रवक्ता, बीजेपी।
विशेषज्ञ अपने तरीके से इसका विश्लेषण कर रहे हैं । ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डीएम दिवाकर का कहना है कि कई मुद्दों पर मतभेद होने के बावजूद बीजेपी नीतीश कुमार के सहारे मुस्लिम वोटों को हाथ से जाने नहीं देना चाहती है। और इसलिए 2020 में भी नीतीश कुमार के चेहरे के सहारे ही चुनाव में जाने का फैसला ले रही है।
बाईट--डीएम दिवाकर, विशेषज्ञ।



Conclusion:बिहार में 2015 में बीजेपी पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे बीजेपी चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ा था लेकिन उसके बावजूद हुई हार बीजेपी के लिए बड़ा झटका था और इसलिए 2020 में बीजेपी किसी तरह का कोई रिस्क लेना नहीं चाहती है और महागठबंधन को ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहती है कि जिसका लाभ उसे मिल जाए।
अविनाश, पटना।
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