पटना: बिहार बड़े हॉस्पिटलों में से एक नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (NMCH) से डराने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. यहां बारिश का गंदा पानी जलजमाव के चलते मेडिसिन विभाग (NMCH Medicine Ward) में घुस गया. ऐसे में इलाज करा रहे मरीजों को डर सताने लगा. सभी मरीज जैसे तैसे वार्ड के बाहर निकल गए. कुछ मरीज तो ऐसे भी थे जो ये मंजर देखकर वापस घर लौट गए. हालांकि, अस्पताल के कर्मचारियों ने तुरंत ही मोर्चा संभाल लिया और वो पानी को वार्ड से बाहर निकालने में जुट गए.
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एनएमसीएच में घुसा पानी
इसी अफरातफरी भरे माहौल में ETV भारत की टीम भी मौके पर पहुंच गई. वहां का जो हाल था आप तस्वीरों के जरिए समझ सकते हैं. स्वास्थ्य कर्मियों और सफाई कर्मचारियों ने अपनी मजबूरी को साझा किया.
'हमलोग मजबूर हैं. अस्पताल प्रसाशन से शिकायत करने के बाबजूद कोई सुनवाई नहीं है. इसलिए थक हारकर हमलोग मजबूर होकर अपना काम कर रहे हैं. चाहे सांप काटे या मछली तैरे, हमें अपना काम इसी में करना होता है.'- अंजू कुमारी, नर्स
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खाली हुआ मेडिसिन वार्ड
मानसून की दस्तक के साथ झमाझम बारिश ने पटना नगर निगम समेत कई विभाग की पोल खोल कर रख दी है. बीती रात मूसलाधार बारिश ने एनएमसीएच की भी पोल खोल कर रख दी. बारिश का पानी जमा होते ही अस्पताल में भर्ती मरीजों में हड़कंप मच गया और सभी वार्ड से बाहर भागते हुए निकल गए.
कर्मचारियों ने निकाला पानी
विडंबना ये है कि मामूली बारिश में भी मेडिसिन विभाग में जलजमाव की स्थिति बनी रहती है, लेकिन इस ओर आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया. वहीं अस्पताल प्रशासन की मुस्तैदी के कारण काफी मशक्कत के बाद वार्ड से पानी निकाल लिया गया है. हालांकि मेडिसिन विभाग में तैनात नर्स और वार्ड बॉयज सभी परेशान थे.
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'बहुत ज्यादा परेशानी होती है. तीन-चार मरीज तो यहां से भाग भी गए हैं. बारिश का पानी वार्ड में घुस जाता है. यहां तो बारिश में पानी दीवारों से भी टपकता रहता है.'- प्रमोद कुमार, वार्ड बॉय
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उठ रहे सवाल
अस्पताल की हालत देख कई सवाल उठते हैं. पानी में तैरते अस्पताल के लिए कौन जिम्मेदार है. क्या सीएम नीतीश कुमार का सिस्टम भी इस पानी में डूब गया है. आखिर इन मरीजों को खतरे में डालने का दोषी कौन है? जब हालात हर साल ऐसे ही बनते हैं तो फिर क्यों नहीं पहले से तैयारी की गई? इन गरीब लाचार मरीजों का क्या कसूर है?
बारिश में होता है यही हाल
एनएमसीएच से पहली बार इस तरह की तस्वीरें सामने नहीं आई है. हल्की बारिश में भी इसी तरह के हालात यहां बन जाते हैं. जब प्रदेश में यास तूफान ने दस्तक दी थी तब भी परिस्थितियां विकट हो गई थीं. उस समय भी जलजमाव के कारण पटना शहर की स्थिति नारकीय हो गई थी. कोरोनावायरस के संक्रमण काल में राज्य के सबसे बड़े कोविड अस्पताल पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (NMCH) सहित राज्य के कई अस्पतालों में भी पानी घुस गया था. इसकी वजह से मरीजों का भी इलाज प्रभावित हुआ था.
2019 में भी बद से बदतर थे हालात
बता दें कि सितंबर 2019 को 48 घंटों की लगातार बारिश में एनएमसीएच के अंदर तक पानी भर गया था. अस्पताल के कई वार्ड जलमग्न हो गए थे. नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) झील में तब्दील हो गया था. आनन-फानन में अस्पताल प्रशासन ने आईसीयू के सभी मरीजों को पटना कॉलेज मेडिकल हॉस्पिटल यानि पीएमसीएच रेफर कर दिया था. मेडिसीन विभाग के सभी मरीजों को अस्पताल के ऑडिटोरियम में शिफ्ट किया गया था. एनएमसीएच में जलजमाव होने से मरीजों का पलायन भी शुरू हो गया था.
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