पटना : बिहार के बाहर लाखों मजदूर, हजारों छात्र और बड़ी संख्या में पर्यटक समेत अन्य लोग लॉकडाउन के कारण फंसे हुए हैं. बिहार के मुख्यमंत्री के आग्रह पर आखिरकार केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के गाइडलाइंस में संशोधन कर दिया. इधर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव एक के बाद एक ट्वीट करके प्रवासी मजदूरों को वापस बिहार लाने की मांग कर रहे हैं. कुल मिलाकर देखा जाए, तो एक दूसरे पर बढ़त बनाने की ये कोशिश कहीं ना कहीं बिहार चुनाव में फायदा लेने की होड़ के कारण हो रही है.
एनडीए और आरजेडी में होगी कड़ी टक्कर
बता दें कि बिहार में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला एनडीए और आरजेडी के बीच है. जब लॉकडाउन के कारण कोटा से छात्रों को वापस लाने का मामला रंग पकड़ने लगा, उसके बाद एक तरफ विपक्ष तो दूसरी तरफ बीजेपी-जेडीयू की तरफ से भी यह मांग उठने लगी कि उन्हें वापस लाना चाहिए.
सरकार प्रवासी बिहारियों को लेकर है चिंतित
सूत्रों के मुताबिक जब विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की सोशल मीडिया पर जारी पहल का कुछ असर दिखने लगा, तब एनडीए के नेताओं में भी बेचैनी हो गई. इसमें बड़ा बदलाव तब देखने को मिला जब मध्य प्रदेश और गुजरात समेत अन्य राज्यों ने अपने-अपने छात्रों को बसे भेजकर वापस बुला लिया. सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी ने नीतीश कुमार के जरिए प्रधानमंत्री से यह मांग करवाई कि बिहार के लोगों को वापस लाने के लिए गाइडलाइंस में संशोधन जरूरी है. इसके बाद आनन-फानन में केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन भी कर दिया, ताकि यह मैसेज जा सके की बिहार सरकार प्रवासी बिहारियों को लेकर चिंतित है.
क्रेडिबिलिटी देखकर वोट करेंगे लोग
इस बीच तेजस्वी यादव ने यह घोषणा कर दी कि मजदूर दिवस के दिन 1 मई को वे लोग अपने-अपने घर में अनशन करेंगे, ताकि बिहार के बाहर फंसे बिहारियों को सरकार किसी तरह अपने घर तक पहुंचाएं. अब विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच इस बात को लेकर होड़ मची है कि अगर प्रवासी बिहारी वापस अपने घर लौटते हैं, तो इसका श्रेय किसे मिलेगा. घर पर एक बड़ा वोट बैंक है, जो बिहार के छात्र-छात्राओं पर्यटकों मजदूरों और अन्य लोगों से जुड़ा है और जो आने वाले चुनाव में अपनी पसंद और क्रेडिबिलिटी देखकर वोट करेगा.