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विवाह पंचमी आज, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम और माता सीता की ऐसे करें पूजा, भूल के भी ना करें ये काम - ईटीवी भारत बिहार

Vivah Panchami 2023: विवाह पंचमी के दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था. इस दिन इनकी पूजा से वैवाहिक लाभ मिलता है. लेकिन इस दिन शादी करना शुभ नहीं माना जाता है. आचार्य मनोज मिश्रा से जानें विवाह पंचमी का क्या महत्व है.

विवाह पंचमी आज
विवाह पंचमी आज
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 17, 2023, 6:39 AM IST

आचार्य मनोज मिश्रा

पटना: हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और मिथिला कुमारी माता सीता का विवाह हुआ था. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और सीता मां का विवाह हुआ था.

विवाह पंचमी आज: इसी के कारण इसे हर साल विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है. इस साल 16 दिसंबर को पंचमी तिथि रात्रि में प्रवेश कर रही है लेकिन विवाह पंचमी 17 दिसंबर यानी कि आज मनाया जा रहा है. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि विवाह पंचमी के दिन पूजा पाठ का विशेष महत्व है.

पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 8:30 बजे से लेकर 12:30 तक विवाह पंचमी का शुभ मुहूर्त है. जनकपुर अयोध्या और देश के मंदिरों में विवाह पंचमी की धूम देखने को मिलती है. इस दिन जिन लड़के या लड़कियों की शादी नहीं हुई है, शादी में कठिनाई हो रही है तो विवाह पंचमी के दिन भगवान की पूजा अर्चना करके हवन करें.

शादी में व्यवधान को ऐसे करें दूर: आचार्य मनोज मिश्रा ने कहा कि कम से कम 101 माला ओम जानकी वल्लभभय नमः का जाप करें, ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. मनोज मिश्रा ने कहा की विवाह पंचमी का वर्षगांठ तो मनाया जाता है लेकिन इस दिन शादी विवाह की मनाही है. विवाह पंचमी के दिन प्रभु श्रीराम और माता जानकी का विवाह हुआ था लेकिन हिंदू धर्म में विवाह पंचमी के दिन शादी की मनाही है.

सीता मां के विवाह के दिन इसलिए है शादी की मनाही: इस दिन शादी विवाह करने से माता सीता और श्री राम को की तरह दुखों का सामना करना पड़ा सकता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन विवाह नहीं होता है. श्री राम और माता जानकी की शादी के बाद काफी दुख सहना पड़ा था. 14 साल का वनवास हुआ था. इसके बाद माता सीता को रावण हरण करके लंका ले गया.

पति का वियोग सीता माता को सहना पड़ा था. लंका दहन और फिर माता सीता को खुद की पवित्रता को साबित करने के लिए अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी. इसके बाद गर्भवती होने पर सामाजिक मान्यताओं के कारण श्री राम ने उनका त्याग कर दिया. इसके बाद माता सीता ने आश्रम में रहकर अपने पुत्र लव और कुश के साथ जीवन यापन किया था. इसी के कारण विवाह पंचमी के दिन विवाह करने की मनाही है. जिससे कि लड़की को माता सीता की तरह किसी भी प्रकार के दुखों का सामना न करना पड़ें.

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आचार्य मनोज मिश्रा

पटना: हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और मिथिला कुमारी माता सीता का विवाह हुआ था. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और सीता मां का विवाह हुआ था.

विवाह पंचमी आज: इसी के कारण इसे हर साल विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है. इस साल 16 दिसंबर को पंचमी तिथि रात्रि में प्रवेश कर रही है लेकिन विवाह पंचमी 17 दिसंबर यानी कि आज मनाया जा रहा है. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि विवाह पंचमी के दिन पूजा पाठ का विशेष महत्व है.

पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 8:30 बजे से लेकर 12:30 तक विवाह पंचमी का शुभ मुहूर्त है. जनकपुर अयोध्या और देश के मंदिरों में विवाह पंचमी की धूम देखने को मिलती है. इस दिन जिन लड़के या लड़कियों की शादी नहीं हुई है, शादी में कठिनाई हो रही है तो विवाह पंचमी के दिन भगवान की पूजा अर्चना करके हवन करें.

शादी में व्यवधान को ऐसे करें दूर: आचार्य मनोज मिश्रा ने कहा कि कम से कम 101 माला ओम जानकी वल्लभभय नमः का जाप करें, ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. मनोज मिश्रा ने कहा की विवाह पंचमी का वर्षगांठ तो मनाया जाता है लेकिन इस दिन शादी विवाह की मनाही है. विवाह पंचमी के दिन प्रभु श्रीराम और माता जानकी का विवाह हुआ था लेकिन हिंदू धर्म में विवाह पंचमी के दिन शादी की मनाही है.

सीता मां के विवाह के दिन इसलिए है शादी की मनाही: इस दिन शादी विवाह करने से माता सीता और श्री राम को की तरह दुखों का सामना करना पड़ा सकता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन विवाह नहीं होता है. श्री राम और माता जानकी की शादी के बाद काफी दुख सहना पड़ा था. 14 साल का वनवास हुआ था. इसके बाद माता सीता को रावण हरण करके लंका ले गया.

पति का वियोग सीता माता को सहना पड़ा था. लंका दहन और फिर माता सीता को खुद की पवित्रता को साबित करने के लिए अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी. इसके बाद गर्भवती होने पर सामाजिक मान्यताओं के कारण श्री राम ने उनका त्याग कर दिया. इसके बाद माता सीता ने आश्रम में रहकर अपने पुत्र लव और कुश के साथ जीवन यापन किया था. इसी के कारण विवाह पंचमी के दिन विवाह करने की मनाही है. जिससे कि लड़की को माता सीता की तरह किसी भी प्रकार के दुखों का सामना न करना पड़ें.

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