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प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना वैक्सीन के कोटे में कटौती, ये है इसकी वजह

देश में कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन अभी भी बहुत कम लोग हैं जो प्राइवेट अस्पतालों में जाकर वैक्सीन लगवा रहे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना की वैक्सीन (Vaccine) का कोटा कम करने का फैसला किया है.

कोरोना वैक्सीन
कोरोना वैक्सीन
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Published : Aug 7, 2021, 9:24 PM IST

पटना: केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना की वैक्सीन (Vaccine) का कोटा कम करने के लिए फैसला लिया है. इसकी वजह है कि प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) को लेकर लोग दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. सरकारी केंद्रों पर सरकार की तरफ से नि:शुल्क टीकाकरण की व्यवस्था है. हर वर्ग के लोग सरकारी केंद्रों पर ही जाकर टीका लेने में रुचि दिखा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- तीसरी लहर से निपटने के लिए बिहार BJP का एक्शन प्लान- 'हर बूथ पर तैनात होंगे कोरोना योद्धा'

अगर बात बीते 3 महीनों की करें तो मई से लेकर जुलाई तक राज्य सरकारों द्वारा सरकारी केंद्रों के लिए 30 करोड़ डोज वैक्सीन की खरीदी गई है. जबकि इसी दौरान प्राइवेट अस्पतालों ने मात्र 3.5 करोड़ वैक्सीन की डोज खरीदा है.

वहीं, अगर बिहार की बात करें तो बिहार में 7 प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर हैं. जिनमें 5 प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर राजधानी पटना में ही है, लेकिन इन 3 महीनों में प्रदेश के प्राइवेट अस्पतालों ने एक भी डोज वैक्सीन का नहीं खरीदा है.

पटना के डिस्ट्रिक्ट इम्यूनाइजेशन ऑफिसर डॉ. एसपी विनायक ने बताया कि पटना जिला वैक्सीन भंडार से बीते 3 महीने में एक भी डोज वैक्सीन की आपूर्ति प्राइवेट अस्पतालों को नहीं की गई है. उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से ऐसा निर्देश है कि अगर किसी प्राइवेट केंद्र को 6000 से अधिक वैक्सीन चाहिए तो इसके लिए वह सीधे वैक्सीन निर्माता कंपनी से संपर्क कर वैक्सीन की आपूर्ति कराएं.

देखें रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि इसके अलावा कम डोज में अगर वैक्सीन चाहिए तो इसके लिए जिला स्वास्थ समिति से संपर्क करना होता है, लेकिन पटना में अब तक कोई प्राइवेट अस्पताल ने इसके लिए संपर्क नहीं किया है.

डॉ. एसपी विनायक ने कहा कि शुरुआत में जब वैक्सीनेशन अभियान शुरू हुआ था तो कुछ प्राइवेट केंद्र चुने गए थे, वहां वैक्सीन की आपूर्ति जिला स्वास्थ्य समिति से कराई जाती थी लेकिन सरकार का जब निर्देश आया कि प्राइवेट केंद्र अगर वैक्सीनेशन चाहते हैं तो यह नि:शुल्क सुविधा नहीं होगी और निशुल्क वैक्सीनेशन की सुविधा सिर्फ सरकारी केंद्रों पर होगी. उसके बाद से प्राइवेट केंद्रों को वैक्सीन की आपूर्ति रोक दी गई.

उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद कुछ केंद्रों ने वैक्सीन निर्माता कंपनी से सीधे संपर्क कर वैक्सीन की आपूर्ति कराएं, लेकिन काफी लंबे समय से उनका स्टॉक खाली नहीं हुआ है. जो वैक्सीन प्राइवेट केंद्र पर 1600 रुपए में लगेगी, वह सरकारी केंद्रों पर नि:शुल्क है. ऐसे में लोग प्राइवेट केंद्रों पर जाने में ना के बराबर रुचि ले रहे हैं.

ये भी पढ़ें- VIDEO : भीड़ देखिए...महिलाएं वैक्सीन लेने आयी हैं या कोरोना बांटने

ऐसे में अब केंद्र की मोदी सरकार प्राइवेट अस्पतालों के लिए तय वैक्सीन के 25% कोटे को घटाने पर विचार कर रही है. इतना ही नहीं, सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों के पास बची 7 से 9% वैक्सीन को मंगाना शुरू भी कर दिया है.

आपको बताएं कि पिछले दिनों बिहार से बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Sushil Modi) के सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) ने बताया कि ये जरूरी नहीं कि कोटे में कटौती की जाए. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि सरकार ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से बात की है और उनसे प्राइवेट सेक्टर को उनकी जरूरत के हिसाब से डोज देने को कहा है.

पटना: केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना की वैक्सीन (Vaccine) का कोटा कम करने के लिए फैसला लिया है. इसकी वजह है कि प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) को लेकर लोग दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. सरकारी केंद्रों पर सरकार की तरफ से नि:शुल्क टीकाकरण की व्यवस्था है. हर वर्ग के लोग सरकारी केंद्रों पर ही जाकर टीका लेने में रुचि दिखा रहे हैं.

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अगर बात बीते 3 महीनों की करें तो मई से लेकर जुलाई तक राज्य सरकारों द्वारा सरकारी केंद्रों के लिए 30 करोड़ डोज वैक्सीन की खरीदी गई है. जबकि इसी दौरान प्राइवेट अस्पतालों ने मात्र 3.5 करोड़ वैक्सीन की डोज खरीदा है.

वहीं, अगर बिहार की बात करें तो बिहार में 7 प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर हैं. जिनमें 5 प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर राजधानी पटना में ही है, लेकिन इन 3 महीनों में प्रदेश के प्राइवेट अस्पतालों ने एक भी डोज वैक्सीन का नहीं खरीदा है.

पटना के डिस्ट्रिक्ट इम्यूनाइजेशन ऑफिसर डॉ. एसपी विनायक ने बताया कि पटना जिला वैक्सीन भंडार से बीते 3 महीने में एक भी डोज वैक्सीन की आपूर्ति प्राइवेट अस्पतालों को नहीं की गई है. उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से ऐसा निर्देश है कि अगर किसी प्राइवेट केंद्र को 6000 से अधिक वैक्सीन चाहिए तो इसके लिए वह सीधे वैक्सीन निर्माता कंपनी से संपर्क कर वैक्सीन की आपूर्ति कराएं.

देखें रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि इसके अलावा कम डोज में अगर वैक्सीन चाहिए तो इसके लिए जिला स्वास्थ समिति से संपर्क करना होता है, लेकिन पटना में अब तक कोई प्राइवेट अस्पताल ने इसके लिए संपर्क नहीं किया है.

डॉ. एसपी विनायक ने कहा कि शुरुआत में जब वैक्सीनेशन अभियान शुरू हुआ था तो कुछ प्राइवेट केंद्र चुने गए थे, वहां वैक्सीन की आपूर्ति जिला स्वास्थ्य समिति से कराई जाती थी लेकिन सरकार का जब निर्देश आया कि प्राइवेट केंद्र अगर वैक्सीनेशन चाहते हैं तो यह नि:शुल्क सुविधा नहीं होगी और निशुल्क वैक्सीनेशन की सुविधा सिर्फ सरकारी केंद्रों पर होगी. उसके बाद से प्राइवेट केंद्रों को वैक्सीन की आपूर्ति रोक दी गई.

उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद कुछ केंद्रों ने वैक्सीन निर्माता कंपनी से सीधे संपर्क कर वैक्सीन की आपूर्ति कराएं, लेकिन काफी लंबे समय से उनका स्टॉक खाली नहीं हुआ है. जो वैक्सीन प्राइवेट केंद्र पर 1600 रुपए में लगेगी, वह सरकारी केंद्रों पर नि:शुल्क है. ऐसे में लोग प्राइवेट केंद्रों पर जाने में ना के बराबर रुचि ले रहे हैं.

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ऐसे में अब केंद्र की मोदी सरकार प्राइवेट अस्पतालों के लिए तय वैक्सीन के 25% कोटे को घटाने पर विचार कर रही है. इतना ही नहीं, सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों के पास बची 7 से 9% वैक्सीन को मंगाना शुरू भी कर दिया है.

आपको बताएं कि पिछले दिनों बिहार से बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Sushil Modi) के सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) ने बताया कि ये जरूरी नहीं कि कोटे में कटौती की जाए. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि सरकार ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से बात की है और उनसे प्राइवेट सेक्टर को उनकी जरूरत के हिसाब से डोज देने को कहा है.

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