पटना: कोरोना के खिलाफ निर्णायक जंग में वैक्सीनेशन सबसे अहम रोल माना जा रहा है. ऐसे में प्रदेश में हाल के दिनों में वैक्सीनेशन के प्रति लगातार गिरावट आ रही है. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि अगर वैक्सीनेशन अभियान की यही गति रही तो प्रदेश कैसे कोरोना से लड़ पाएगा. हालांकि, इसमें आश्चर्यजनक बात यह है कि शहरों में वैक्सीनेशन के प्रति लोगों की दिलचस्पी अच्छी खासी है. लेकिन गांव में अचानक से लोगों की दिलचस्पी ना के बराबर रह गई है.
प्रदेश में 1 अप्रैल से 45 वर्ष से अधिक उम्र के सामान्य लोगों का वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू हुआ और ऐसे में लोगों का वैक्सीनेशन के प्रति काफी क्रेज देखने को मिला और 1 अप्रैल के दिन 181799 वैक्सीनेशन हुए. लगभग 10 दिनों तक वैक्सीनेशन की यही रफ्तार रही. लेकिन अचानक से बीते 10 दिनों में वैक्सीनेशन में भारी गिरावट आई है. बीते 10 दिनों का ट्रेंड यह है कि 80 से 85 हजार के बीच वैक्सीनेशन हो रहा है.
क्या कहते हैं न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल के अधीक्षक
पटना के न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल में कोरोना वैक्सीन के वैक्सीनेशन के लिए वैक्सीनेशन सेंटर बना हुआ है. यहां अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार सिन्हा का कहना है कि अस्पताल में वैक्सीनेशन अभियान के शुरुआती दिनों में जरूर लोगों की दिलचस्पी कम रही. लेकिन धीरे-धीरे यह दिलचस्पी बढ़ती गई और अभी की स्थिति यह है कि रोजाना 600 से 900 के बीच लोगों का फर्स्ट, 2nd सेकंड डोज का वैक्सीनेशन हो रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में वैक्सीनेशन में कमी के कुछ कारण हैं जिसमें पहला तो यह है कि 45 वर्ष से अधिक उम्र के अधिकांश इच्छुक लोग वैक्सीन का पहला डोज लगवा चुके हैं और दूसरे डोज के समय का इंतजार कर रहे हैं.
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'अभी के समय ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीनेशन काफी कम हो रहे हैं और इसका एक प्रमुख कारण यह है कि वैक्सीनेशन के प्रति प्रचार प्रसार कम हुए हैं. वैक्सीनेशन अभियान को अगर गति देनी है तो सरकार को चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को वैक्सीनेशन के प्रति जागरूक करें और बताएं कि कोरोना के खिलाफ निर्णायक जंग अगर हमें जीतना है तो हमें अनिवार्य रूप से वैक्सीन लगवाना होगा': डॉ. मनोज कुमार सिन्हा, अधीक्षक, न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल