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Bihar News: बिहार में मृत कैदी की रिहाई को लेकर सियासी बवाल, पक्ष विपक्ष आमने-सामने - Bihar News

बिहार में मृत कैदी को रिहा करने पर बवाल मचा हुआ है. इसको लेकर सियासी बयानजाबी तेज हो गई है. एक ओर भाजपा की ओर से सरकार को दोषी बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर महागबंधन के नेता इसे भूल बता रहे हैं. भजपा प्रवक्ता ने सरकार को दिशाहीन बताया. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Apr 26, 2023, 8:45 PM IST

बिहार में मृत कैदी की रिहाई को लेकर सियासी बवाल

पटनाः बिहार में मृत कैदी को रिहा करने का मामला तुल पकड़ लिया है. इसको लेकर बिहार में सियासी बयानजाबी जारी है. बिहार सरकार के काम पर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर में जिस कैदी की मौत 6 माह पहले हो चुकी है, उसको रिहा कैसे किया जाएगा. आनंद मोहन की रिहाई के साथ साथ अब यह मामला भी तुल पकड़ लिया है. सरकार ने कानून में संशोधन किया तो सियासी भूचाल आ गया. इसके साथ ही सरकार ने मृत व्यक्ति को भी रिहा करने का आदेश दे दिया.

यह भी पढ़ेंः Bihar News: 6 महीने पहले जिस कैदी की हो चुकी है मौत उसकी रिहाई के सरकारी आदेश से हड़कंप, जानें पूरा मामला

सरकार पर उठ रहे सवालः बिहार सरकार के फैसले पर बवाल खड़ा हो गया है. दरअसल बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन को सरकार ने छोड़ने के लिए कानून में संशोधन किए. इसका लाभ कई दूसरे कैदियों को भी मिला. सरकार ने आनंद मोहन के अलावा 26 अन्य कैदियों को भी छोड़ने का निर्णय लिया, जिसमें एक ऐसा कैदी भी शामिल है, जिसकी मौत 6 माह पहले हो चुकी है. 26 कैदी में 5 कैदी नाम बक्सर केंद्रीय कारा को भेजा गया. एक बंदी पतिराम राय की मौत 11 अक्टूबर 2022 को हो गयी थी. बावजूद इसके सरकार ने उन्हें परिहार दिया और जेल से मुक्त करने का आदेश दिया. इस मामले में बक्सर जेल के सुपरिटेंडेंट राजीव कुमार ने कहा कि "सरकार ने 27 बंदियों को छोड़ने का फैसला लिया था, जिसमें 5 बंदी बक्सर के थे. 3 बंदी को तो छोड़ दिया गया और एक को अर्थदंड जमा नहीं हुआ है, इसलिए नहीं छोड़ा गया है. वहीं एक बंदी पतिराम की मौत 11 अक्टूबर 2022 को हो गई थी."


सरकार लाचार और बेबसः भाजपा के प्रवक्ता विनोद शर्मा ने भी बिहार सरकार पर निशाना साधा. कहा कि बिहार में अभी सरकार लाचार और बेबस हो गई है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के इशारे पर काम कर रहे हैं. इसी कारण अभी बिहार में ये सब काम हो रहा है. सरकार क्या काम करती है, इसका पता ही नहीं चलता है. ऐसे तो अभी दर्जनों मामले मिलेंगे, जो लापरवाही के कारण काम पूरे नहीं हो रहे हैं. मृतक को रिहा करने का आदेश दिया जा रहा है, जो पूरे देश में हास्य का विषय है. नीतीश कुमार को यह तक पता नहीं है कि वे किसे छोड़ने जा रहे हैं.

"बिहार सरकार दिशाहीन हो चुकी है. नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के इशारे पर काम कर रहे हैं. बिहार में मृतक को भी परिहार दिया जा रहा है. यह अजीबोगरीब घटना है, ऐसे वाकया से राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की फजीहत होती है. सीएम नीतीश कुमार को पता तक नहीं है कि वे किसे रिहा कर रहे हैं." - विनोद शर्मा, प्रवक्ता, भाजपा

जल्दीबाजी का मामला नहींः इस मामले में राजद प्रवक्ता ने सरकार की ओर से सफाई दी. उन्होंने कहा कि यह कोई जल्दीबाजी का मामला नहीं है. यह नियम के तहत ही हो रहा है. उन्होंने कहा कि जो नियमानुकूल है, उसे तय कर उसी अनुसार काम किया गया है. इसमें लिस्ट बनाने की जो प्रक्रिया होती है, उसमें कहां पर क्या चूक हुई है, इसकी जांच कराई जाएगी. सरकार इसको लेकर भी निर्देश जारी किया है. जो लोग इस मामले में गड़बड़ी किए हैं, उनके ऊपर कार्रवाई की जाएगी.

"कैदियों को छोड़ने का निर्णय कानून के हिसाब से लिया गया है. एक मृतक को परिहार मिली है. पूरे मामले की जांच सरकार के स्तर से कराई जाएगी. जो कोई भी दोषी होंगे, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी." -एजाज अहमद, प्रवक्ता, राजद

बिहार में मृत कैदी की रिहाई को लेकर सियासी बवाल

पटनाः बिहार में मृत कैदी को रिहा करने का मामला तुल पकड़ लिया है. इसको लेकर बिहार में सियासी बयानजाबी जारी है. बिहार सरकार के काम पर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर में जिस कैदी की मौत 6 माह पहले हो चुकी है, उसको रिहा कैसे किया जाएगा. आनंद मोहन की रिहाई के साथ साथ अब यह मामला भी तुल पकड़ लिया है. सरकार ने कानून में संशोधन किया तो सियासी भूचाल आ गया. इसके साथ ही सरकार ने मृत व्यक्ति को भी रिहा करने का आदेश दे दिया.

यह भी पढ़ेंः Bihar News: 6 महीने पहले जिस कैदी की हो चुकी है मौत उसकी रिहाई के सरकारी आदेश से हड़कंप, जानें पूरा मामला

सरकार पर उठ रहे सवालः बिहार सरकार के फैसले पर बवाल खड़ा हो गया है. दरअसल बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन को सरकार ने छोड़ने के लिए कानून में संशोधन किए. इसका लाभ कई दूसरे कैदियों को भी मिला. सरकार ने आनंद मोहन के अलावा 26 अन्य कैदियों को भी छोड़ने का निर्णय लिया, जिसमें एक ऐसा कैदी भी शामिल है, जिसकी मौत 6 माह पहले हो चुकी है. 26 कैदी में 5 कैदी नाम बक्सर केंद्रीय कारा को भेजा गया. एक बंदी पतिराम राय की मौत 11 अक्टूबर 2022 को हो गयी थी. बावजूद इसके सरकार ने उन्हें परिहार दिया और जेल से मुक्त करने का आदेश दिया. इस मामले में बक्सर जेल के सुपरिटेंडेंट राजीव कुमार ने कहा कि "सरकार ने 27 बंदियों को छोड़ने का फैसला लिया था, जिसमें 5 बंदी बक्सर के थे. 3 बंदी को तो छोड़ दिया गया और एक को अर्थदंड जमा नहीं हुआ है, इसलिए नहीं छोड़ा गया है. वहीं एक बंदी पतिराम की मौत 11 अक्टूबर 2022 को हो गई थी."


सरकार लाचार और बेबसः भाजपा के प्रवक्ता विनोद शर्मा ने भी बिहार सरकार पर निशाना साधा. कहा कि बिहार में अभी सरकार लाचार और बेबस हो गई है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के इशारे पर काम कर रहे हैं. इसी कारण अभी बिहार में ये सब काम हो रहा है. सरकार क्या काम करती है, इसका पता ही नहीं चलता है. ऐसे तो अभी दर्जनों मामले मिलेंगे, जो लापरवाही के कारण काम पूरे नहीं हो रहे हैं. मृतक को रिहा करने का आदेश दिया जा रहा है, जो पूरे देश में हास्य का विषय है. नीतीश कुमार को यह तक पता नहीं है कि वे किसे छोड़ने जा रहे हैं.

"बिहार सरकार दिशाहीन हो चुकी है. नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के इशारे पर काम कर रहे हैं. बिहार में मृतक को भी परिहार दिया जा रहा है. यह अजीबोगरीब घटना है, ऐसे वाकया से राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की फजीहत होती है. सीएम नीतीश कुमार को पता तक नहीं है कि वे किसे रिहा कर रहे हैं." - विनोद शर्मा, प्रवक्ता, भाजपा

जल्दीबाजी का मामला नहींः इस मामले में राजद प्रवक्ता ने सरकार की ओर से सफाई दी. उन्होंने कहा कि यह कोई जल्दीबाजी का मामला नहीं है. यह नियम के तहत ही हो रहा है. उन्होंने कहा कि जो नियमानुकूल है, उसे तय कर उसी अनुसार काम किया गया है. इसमें लिस्ट बनाने की जो प्रक्रिया होती है, उसमें कहां पर क्या चूक हुई है, इसकी जांच कराई जाएगी. सरकार इसको लेकर भी निर्देश जारी किया है. जो लोग इस मामले में गड़बड़ी किए हैं, उनके ऊपर कार्रवाई की जाएगी.

"कैदियों को छोड़ने का निर्णय कानून के हिसाब से लिया गया है. एक मृतक को परिहार मिली है. पूरे मामले की जांच सरकार के स्तर से कराई जाएगी. जो कोई भी दोषी होंगे, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी." -एजाज अहमद, प्रवक्ता, राजद

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