पटना: बिहार विधानसभा में शराबबंदी और खगड़िया हादसा मामला पूरे दिन गूंजता रहा. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्य वेल में पहुंचकर नारेबाजी करना शुरू कर दिया. हंगामे का सिलसिला दूसरे हाफ में भी चलता रहा. विपक्ष मुख्यमंत्री से जवाब लेना चाहते थे लेकिन मुख्यमंत्री दूसरे हाफ में सदन पहुंचे. विधानसभा अध्यक्ष ने शराबबंदी पर विशेष चर्चा को लेकर सभी दलों की बैठक में फैसला लेने की बात कही.
इसे भी पढ़ें: महाशिवरात्रि के दिन सुबह से ही उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, मंदिरों में लगी भक्तों की लंबी कतार
शराबबंदी और खगड़िया हादसा को लेकर हंगामा
बिहार विधानसभा में प्रश्नकाल शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों का शराबबंदी और खगड़िया हादसा को लेकर हंगामा शुरू हो गया. विपक्ष नीतीश सरकार पर शराबबंदी में फेल होने की बात कह रहे थे. साथ ही बीजेपी मंत्री को लेकर भी आरोप लगाया. पूरे मामले में विपक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सदन में जवाब देने के लिए अड़ गए. हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू होने से पहले ही सभी सदस्यों को इस पर बोलने का मौका भी दिया. जिसका जवाब संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने दिया. लेकिन उससे भी विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ. आरजेडी और कांग्रेस के सदस्यों का कहना था कि यदि मुख्यमंत्री जवाब दे देते तो हंगामा होता ही नहीं. सदन की गरिमा बनाए रखना सब की जिम्मेवारी है.
ये भी पढ़ें: भारतीय रेल भी गरीबों की पहुंच से हो रही दूर, अब पैसेंजर ट्रेन में भी देना होगा एक्सप्रेस का किराया
विधायक ने विपक्ष का मन बढ़ने की कही बात
सत्ता पक्ष की ओर से विपक्ष पर सदन नहीं चलने देने का आरोप लगाया गया. पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने यह भी कहा कि विपक्ष विधानसभा अध्यक्ष की भी बात नहीं सुन रहा है. जदयू के बाहुबली विधायक गोपाल मंडल ने पूरे मामले में विपक्ष का मन बढ़ा हुआ कहा.
हंगामा के बीच चलती रही कार्यवाही
विधानसभा के बजट सत्र में इससे पहले इतना हंगामा नहीं हुआ था. हालांकि हंगामे के बीच भी सदन की कार्यवाही चलती रही और सरकारी कामकाज के साथ सदस्यों के प्रश्नों के जवाब भी हुए. विधानसभा में प्रश्नकाल में 261 प्रश्न लाए गए, जिसमें ग्रामीण कार्य विभाग से 109, पथ निर्माण विभाग से 40, ग्रामीण विकास विभाग से 16, जल संसाधन विभाग से 56, लघु जल संसाधन विभाग से 27, भवन निर्माण विभाग से एक, पंचायती राज विभाग से 11 और श्रम संसाधन विभाग से एक प्रश्न थे. विपक्षी सदस्यों ने एक भी प्रश्न नहीं पूछा. ऐसे में केवल सत्ता पक्ष के सदस्यों का ही उत्तर हुआ. हालांकि अधिकांश प्रश्नों का उत्तर ऑनलाइन सदस्यों को जरूर मिला.