पटना: भारत में मान्यताओं से परे कुछ नहीं. यहां तुलसी जैसे औषधीय पौधे का विवाह होता है, तो वहीं, वट का पूजन भी. ऐसी ही एक और मान्यता के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जो पिछले 62 सालों से राजधानी पटना से सटे बाढ़ में निभाई जा रही है. वो मान्यता है कुआं का विवाह.
जी हां कुआं विवाह, सुनने में अजीब तो जरूर लगेगा लेकिन यकीन मानिए बाढ़ के वार्ड नंबर आठ में हर साल कुआं का विवाह होता है. इस विवाह में दुल्हन बनती है कुआं और दूल्हा काठ का पुतला. पूरे विधि विधान के साथ पांच दिन तक विवाह समारोह चलता है. जिसमें हल्दी की रस्म से लेकर मंडप पूजन का भी आयोजन होता है.
भोज का आयोजन...
कुआं विवाह समारोह का आयोजन धूमधाम से करवाया जाता है. कुआं को दुल्हन की तरह सजा कर शादी की सारी रस्मों को निभाया जाता है. वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ये विवाह समारोह संपन्न होता है. इस बार भी कुआं विवाह संपन्न हुआ. नाच-गाने के साथ स्वादिष्ट भोज का स्टाल लगाया गया. जिसमें काफी संख्या में लोग मौजूद रहे.
ये है मान्यता...
इलाके के लोगों की माने तो कुआं विवाह के बाद इसका पानी पीकर नये कामों को शुरू करने में फायदा मिलता है. वहीं, दूसरी ओर इसे पर्यावरण के लिहाज से भी जोड़कर देखा जाए तो इससे पानी की महत्ता का भी पता चलता है. वार्ड नंबर 8 के पार्षद विक्की इसे मुख्यमंत्री जल संचय योजना से जोड़ते हुए देखते हैं. उनका कहना है कि कुआं में सफाई और पानी संचय भी होता है. प्रगतिशील युवा मंच इस अनोखे विवाह का आयोजन करता है.