नयी दिल्ली/पटना: केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह (Union Minister Giriraj Singh) ने स्वामित्व योजना को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि गांवों के मकान और जमीन जिसे स्वामित्व योजना में ले रहे हैं, वो 30 से 40 प्रतिशत 25 स्क्वायर मीटर के अंदर में है. ग्रामीणों को काफी खुशी होती है, जब उन्हें स्वामित्व योजना (Svamitva Scheme) के तहत घरों का अधिकार मिलता है.
ये भी पढ़ें: '2023 तक भूमि रिकॉर्ड को डिजिटलाइज्ड मैप करने और ऑनलाइन करने का काम होगा पूरा'
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत ग्रामीण बिना पाटीदार, अधिकारियों के एक क्लिक करने के बाद गांव के किसी भी कॉमन सर्विस सेंटर में अपनी जमीन का रिकॉर्ड ले सकते हैं. इस योजना के तहत गांव में लोगों को जमीनों का मालिकाना हक मिल रहा है. संपत्ति से जुड़े विवादों को भी निपटाने में मदद मिलेगी. योजना का उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत को बढ़ावा देना है.
ये भी पढ़ें: 'सबका साथ सबका विकास और सबका आवास का वादा किया जा रहा है पूरा'
इस योजना के अंतर्गत आने वाले ग्राम समाज के काम ऑनलाइन हो जाएंगे. जिससे भू-माफिया, फर्जीवाड़ा व भूमि की लूट बंद हो जाएगी. ग्रामीण अपनी संपत्ति का ब्यौरा ऑनलाइन देख सकेंगे. साल 2021 से 2024 के दौरान इस योजना में 6 लाख 50 हजार गांवों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है. इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को अपनी जमीन के प्रॉपर्टी कार्ड के लिए आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी. ड्रोन से गांवों की मैपिंग व सर्वे का काम जैसे-जैसे पूरा होता जाएगा, वैसे-वैसे गांवों में रहने वाले लोगों को उनका प्रॉपर्टी कॉर्ड मिलता जाएगा.
केंद्र सरकार का मानना है कि स्वामित्व में मानचित्रण व सर्वेक्षण की आधुनिक तकनीक साधनों का उपयोग कर ग्रामीण भारत में बदलाव लाया जा सकता है. इससे कर्ज व अन्य वित्तीय लाभ लेने के लिए ग्रामीणों द्वारा संपत्ति को एक वित्तीय संपदा के रूप में इस्तेमाल करने का मार्ग प्रशस्त होगा. जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश दिया है कि हरेक ड्रोन टीम को एक दिन में करीब पांच गांव का काम दिया जाए.
बता दें कि इस योजना की सफलता के लिए राज्यों तथा भारतीय सर्वेक्षण के बीच करीबी समन्वय होना जरूरी है. इस योजना को महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के गांवों में लागू किया जा चुका है. इस योजना का दायरा बढ़ने वाला है. कई और भी राज्यों के गांवों में यह शुरू होगा.