पटना: कोरोना की दूसरी लहर का कहर थम चुका है और अब सरकार तीसरी लहर ((Third Wave of Corona)) को लेकर तैयारियों में जुट गई है. बच्चों को संभावित तीसरी लहर से बचाने के लिए वयस्कों का जिम्मेदार व्यवहार जरूरी बताया जा रहा है. ऐसे में इसे लेकर यूनिसेफ (UNICEF) भी गंभीर है साथ ही लोगों को जागरूक भी कर रहा है. इस दौरान दूसरी लहर में अभिभावकों की सतर्कता और बरती गई सावधानियों की तारीफ भी की गई.
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तीसरी लहर को लेकर तैयारी
संभावित तीसरी लहर को लेकर यूनिसेफ गंभीर है और वेबीनार (Webinar) के जरिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है. बुद्धिजीवी और पत्रकारों को भी तीसरी लहर को लेकर जागरूक किया जा रहा है. बच्चों पर प्रभाव कम से कम हो इसके लिए प्रयास करने की जरूरत पर बल दिया गया. यूनिसेफ ने तकनीकी सहायता के अलावा बड़ी संख्या में चिकित्सा उपकरण व सुविधाएं जैसे 18 आरटी-पीसीआर सिस्टम, 7 लाख ट्रिपल लेयर मास्क, विभिन्न प्रकार के कोल्ड चेन किट, डीप फ्रीज़र आदि की आपूर्ति भी की है.
'महामारी के अलावा इन्फोडेमिक भी उतना ही चुनौतीपूर्ण है. मीडिया के लिए जरूरी है कि वह सही जानकारी जनता तक पहुंचाए. महामारी के दौरान सबसे कमजोर वर्ग यानी बच्चों और किशोरों के अधिकारों और हितों को आगे बढ़ाने में भी उनकी भूमिका अहम है. बाल चिकित्सा कार्य योजना विकसित करने के लिए यूनिसेफ सरकार के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है.- नफीसा बिंते शफीक, प्रमुख, यूनिसेफ बिहार
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आने वाले दिनों में 400 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर, 10 आरटी-पीसीआर सिस्टम, 100 हाई फ्लो नेज़ल कैनुला और सिविल वर्क वाले 5 ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट भी सप्लाई किए जाएंगे. इन सभी उपकरणों की कीमत लगभग 26 करोड़ रुपए हैं.” '- नफीसा बिंते शफीक, प्रमुख, यूनिसेफ बिहार
लोगों को किया जा रहा जागरूक
यूनिसेफ बिहार की प्रमुख नफीसा बिंते शफीक़ ने कोविड-19 महामारी के दौरान संवेदनशील रिपोर्टिंग के लिए मीडियाकर्मियों की सराहना करते हुए उन्हें कोविड वॉरियर्स करार दिया. महामारी के दौरान बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य एक और बड़ी चिंता का विषय है. मीडिया, स्वास्थ्य विशेषज्ञों की जरूरी सलाह और सकारात्मकता को प्रसारित कर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
'25 मई तक बिहार में कोविड-19 के कारण मृत्यु दर 0.6% रही है जिसे और कम किए जाने की जरूरत है. 5 अप्रैल से 25 मई के बीच 0-19 आयु वर्ग के लगभग 11 प्रतिशत बच्चों और किशोरों को राज्य में कोविड संक्रमित पाया गया है. इन कोविड संक्रमित बच्चों में से 38.6% लड़कियां और 61.3% लड़के हैं.'- डॉ. सिद्धार्थ रेड्डी, स्वास्थ्य अधिकारी, यूनिसेफ बिहार
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यूनिसेफ कर रहा वेबीनार
वीडियो कॉफ्रेंसिंग और सेमिनार के जरिये यूनिसेफ लोगों को जागरूक कर रहा है. इस दौरान स्तनपान का महत्व भी बताया गया. इस संबंध में कई मिथक चल रहे हैं. मसलन, स्तनपान से कोविड संक्रमण होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का हवाला देते हुए यूनिसेफ बिहार की पोषण अधिकारी डॉ. शिवानी डार ने कहा कि इसका अब तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है. कोविड-19 संक्रमित माताओं को स्तनपान जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. मां के दूध में संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है और इसे पहला टीका भी कहा जाता है.
'माताओं को परामर्श देने की आवश्यकता है कि स्तनपान के लाभ संभावित जोखिमों से काफी अधिक है. मां और शिशु को जन्म के बाद और स्तनपान के दौरान एक साथ रहना चाहिए. उन्हें या उनके शिशु को कोविड हो या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. मां को केवल इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे मास्क पहनें और आसपास स्वच्छता बनाए रखें. इस महत्वपूर्ण संदेश को फैला कर अफवाहों पर अंकुश लगाया जा सकता है.'- डॉ. शिवानी डार, पोषण अधिकारी, यूनिसेफ बिहार
यूनिसेफ के अनुसार
यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है कि हर महामारी में कई चरण होते हैं और यह कोविड-19 पर भी लागू होता है. आईसीएमआर द्वारा किए गए तीन सीरो सर्वे के अनुसार, पहले, दूसरे और तीसरे सर्वेक्षण के दौरान 18 वर्ष से कम उम्र के 5, 12 और 40 प्रतिशत बच्चे क्रमशः कोरोना संक्रमित पाए गए. ऐसे सभी बच्चों ने बाद में एंटी-बॉडी विकसित कर ली. लेकिन शेष 33 प्रतिशत बच्चों में ऐसी कोई एंटी-बॉडी नहीं है. क्योंकि वे ना तो संक्रमित हुए और ना ही उनका टीकाकरण हुआ है. ऐसे में इन बच्चों के गंभीर रूप से प्रभावित होने की संभावना बढ़ जाती है.
'अभिभावक बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर हैं सतर्क'
अब तक केवल 0.14 प्रतिशत बच्चों को ही कोविड की वजह से आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ी है. हल्के लक्षणों को घर पर आइसोलेट रह कर ठीक किया जा सकता है. बच्चों का रूटीन टीकाकरण हर हाल में होना चाहिए. इंडियन एकेडमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स, मुंबई द्वारा बच्चों को फ्लू वैक्सीन देने की सिफारिश की गई है. बड़ों द्वारा कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार को अपनाकर तीसरे चरण के संभावित जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है. दूसरी लहर में अभिभावक अपने बच्चों के लिए सुरक्षा कवच बने इसके लिए यूनिसेफ ने उनकी तारीफ भी की है.
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