पटना: कोरोना काल (Corona Period) में वैसे तो रोजगार को लेकर सरकार की तरफ से खूब दावे हो रहे हैं, कुछ रिक्तियों को भरा भी गया है लेकिन यह नाकाफी है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (Center for Monitoring Indian Economy) की हालिया रिपोर्ट ने चिंता और बढ़ा दी है, क्योंकि बिहार में बेरोजगारी (Unemployment) लगातार ऊंचाई पर पहुंच रही है.
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सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी की रिपोर्ट के अनुसार इसी साल शहरी क्षेत्र में जून में बेरोजगारी दर 13.1 फीसदी थी, जो जुलाई में बढ़कर 17.5% हो गई. वहीं ग्रामीण क्षेत्र में जून में 10.1 प्रतिशत और जुलाई में 12.4% थी, जबकि 1 महीने बाद अगस्त में यह बढ़ कर शहरी क्षेत्र में 19.5% हो गई. वहीं ग्रामीण क्षेत्र में 12.8% यानी कुल मिलाकर जुलाई में 13% बेरोजगारी थी, जो बढ़कर 13.6% अगस्त में हो गई है.
पिछले साल के मुकाबले भी बेरोजगारी दर में वृद्धि देखने को मिल रही है. पिछले साल जुलाई में 12.8% और अगस्त में 13.4 प्रतिशत के आसपास बेरोजगारी दर थी.
बिहार में बेरोजगारी किस तरह से बढ़ रही है, जरा इस हालिया रिपोर्ट को पढ़ें...
- शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी जून 2021 में 13.1 थी, जुलाई में 17.5 और अगस्त में 19.5 फीसदी हो गई.
- ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी जून 2021 में 10.1, जुलाई में 12.4 और अगस्त में 12.8 प्रतिशत हो गई.
- कुल मिलाकर जुलाई 2021 में बेरोजगारी 13 थी, जो अगस्त 2021 में बढ़कर 13.6 प्रतिशत हो गई.
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हालांकि सत्ताधारी जेडीयू (JDU) की तरफ से यह कहा जा रहा है कि सरकार बनते ही कैबिनेट से 20 लाख लोगों को रोजगार देने का फैसला हो चुका है. लगातार रिक्तियों को भरा भी जा रहा है, लेकिन कोरोना का असर है इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है.
प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद हम लोगों ने जो लक्ष्य रखा है, उसे जरूर पूरा करेंगे. सरकारी रोजगार सृजन और सरकारी नौकरी देने को लेकर गंभीरता से प्रयास कर रही है.
वहीं जेडीयू के दावे पर आरजेडी (RJD) की तरफ से तंज भी कसा जा रहा है. प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है एनडीए की सरकार ने पूरे देश में बेरोजगारों की फौज खड़ी कर दी है. डबल इंजन की सरकार बिहार में है और बेरोजगारी के मामले में बिहार नंबर वन है. इसी के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं.
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बढ़ती बेरोजगारी को लेकर विशेषज्ञ डॉ. विद्यार्थी विकास का कहना है कि बिहार में कृषि और पशुपालन क्षेत्र का विकास सही ढंग से नहीं होने के कारण भी बेरोजगारी अधिक है. इसके अलावा कंस्ट्रक्शन और अन्य क्षेत्रों पर भी जो असर पड़ा है, उसके कारण बेरोजगारी बढ़ी है. वे कहते हैं कि उद्योग-धंधे कम रहने के कारण भी बेरोजगारी बिहार में अधिक है.
आपको बताएं कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने आरजेडी की सरकार बनने पर पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया था, हालांकि सरकार नहीं बन पाई. वहीं बीजेपी ने एनडीए की सरकार बनने पर 19 लाख रोजगार देने का वादा किया था. चुनाव बाद नीतीश कैबिनेट ने 20 लाख रोजगार देने पर अपनी मुहर लगा दी थी.