पटनाः बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने 10 लाख बेरोजगारों को नौकरी देने की घोषणा क्या की बेरोजगार युवाओं की उम्मीद जग गयी. इसी दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 20 लाख युवाओं को नौकरी देने की घोषणा कर दी. बेरोजगारों की मानो लॉटरी लग गयी. वक्त बीतता गया और नौकरी के नाम पर विरोध प्रदर्शन करने वाले बेरोजगारों को नौकरी तो नहीं मिली लेकिन उन्हें कई बार पुलिस की लाठियां जरूर खानी पड़ी. पटना की बात करें तो इस घोषणा के बाद करीब आधा दर्जन बार प्रदर्शन (protest outside assembly) करते समय पुलिस की लाठियों के शिकार बने.
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आर पार की लड़ाई के मूड मेंः आम तौर पूरे वर्ष सरकार और सिस्टम के खिलाफ लडाई लड़ने वाले पीड़ित और बेरोजगारों के लिए अपनी बात बिहार सभा के दौरान रखने की परिपाटी रही है. इसके लिए मौलिक अधिकार के तहत एक धरना स्थल होता है जहां जनता अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करती है.पटना की यदि बात करें तो यह धरना स्थल गर्दनीबाग में स्थित है. करीब 500 मीटर की एरिया में बने धरना स्थल पर अभी से ही बेरोजगारों की फौज पहुंचने लगी है. ऐसे ज्यादातर समूह सरकार के नाराज हैं. इस बार बिहार विधान सभा पहुंचकर आर पार की लड़ाई के मूड में हैं.
हर समूह का अपना अपना दावाः बिहार के वार्ड सदस्य अपनी मांग को लेकर करीब सवा लाख की संख्या में विधान सभा सत्र के दौरान पहुंचने का दावा कर रहे हैं. इसके अलावा टीईटी अभ्यर्थी, शिक्षक अभ्यार्थी, उर्दू शिक्षक सहित करीब 36 ऐसे समूह के लोग अपनी ताकत का जोर आजमाइश करेंगे. इसके अलावा सबसे ज्यादा प्रभावकारी समूह बेरोजगारों का होगा, जिसका कोई न तो बैनर होगा और न ही संख्या. सरकार को इनपुट के आधार पर अनुमान लगाना होगा कि कितने बेरोजगार धरना स्थल पहुंचेंगे.
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पुलिस की बढ़ सकती है परेशानीः लगभग सभी विभागों के बैनर और नेतृत्व है, लेकिन बेरोजगारों को नेतृत्व करने वाला कई समूह है. इसके अलावा किस समूह से कितने लोग जुड़ जायेंगे इसका भी अनुमान लगाना मुश्किल भरा काम है. ऐसे में बिहार पुलिस इस इनपुट के आधार पर काम करने की विशेष रणनीति तैयार की है. बिहार पुलिस के अपर पुलिस महानिदेशक जे एस गंगवार की मानें तो इस बार के सत्र के दौरान इनपुट के आधार पर सुरक्षा की रणनीति तय की गयी. इसके लिए पूरे सत्र के दौरान प्रतिदिन का एक दिन पहले इनपुट के आधार पर मजिस्ट्रेट और पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की जाएगी.
शक्ति प्रदर्शन की तैयारीः मतलब साफ है इस बार विपक्ष के अलावा बिहार विधान सभा के दौरान बेरोजगार भी अपनी शक्ति दिखायेंगे. विपक्ष और बेरोजगार में बस इतना ही अंतर होगा कि विपक्ष को अंदर प्रदर्शन का मौका मिलेगा और बेरोजगार बाहर अपनी शक्ति प्रदर्शन करेंगे. शायद यही वजह है कि सत्र के दौरान भीतर से ज्यादा बाहर की तैयारी करनी पड़ रही है, ताकि कोई समूह बिहार सभा गेट तक ना पहुंच सके. हालाकि लगभग सभी समूहों को दावा है कि वो अपनी मांगों को लेकर बिहार विधान सभा गेट तक जरूर जायेंगे.