पटना: 'ये देश है वीर जवानो का अलबेलों का मस्तानों का' ये गाना हर भारतीय के जेहन में जवानों की शहादत को ताजा कर देता है. इन यादों को अपनी जेहन में बसाए रखने के लिए अब शहीदों के आंगन और अंतिम संस्कार की जगह की मिट्टी से पुलवामा में भारत का नक्शा बनाया जाएगा और इस नक्शे में एक बार फिर हमारे ये जवान खिल उठेंगे. शहादत को इस अनोखे अंदाज में सलाम करने के लिए महाराष्ट्र के औरंगाबाद के उमेश गोपीनाथ जाधव बारह राज्यों में चौदह हजार किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं. वे पुलवामा में शहीद हुए सभी चालीस जवानों के घर जाकर उनके परिवारों से मिल रहे हैं और वहां की मिट्टी ले रहे हैं.
शहीदों के घर जाएंगे
गुरुवार को वे जोधपुर पहुंचेंगे. जहां से वे जैसलमेर, राजसमंद और कोटा के शहीदों के घर जाएंगे. चालीस वर्षीय जाधव बताते हैं पुलवामा हमले के दिन मैं जयपुर एअरपोर्ट पर फ्लाइट का इंतजार कर रहा था कि तभी हमले की न्यूज आई और चालीस जवानों की शहादत ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया. मैं तीन दिन तक सो नहीं सका. मैं सोचता रहा कि अगर मेरा खुद का भाई सीमा पर होता और मेरे पास उसकी शहादत की खबर आती तो मैं क्या करता. जाधव एक म्यूजिशियन हैं और कई सालों से बैंगलुरू रह रहे हैं.
क्राउड फंडिंग से मिल रही मदद
उमेश अपना ये सफर एक छोटी सी कार से तय कर रहे हैं. कार के पीछे भी इन्होंने एक दूसरी कार लगा रखी है. जिसमें शहीदों के घर की मिट्टी, तस्वीरें और उनसे जुड़े कुछ सामान हैं. साथ ही इसमें एक बाइक और साइकिल भी है. जहां कार नहीं जा सकती, वहां वे इससे ही जाते हैं. उमेश ने बताया कि जब सफर पर निकले तो शुरू में पैसों की कमी लगती थी. लेकिन क्राउड फंडिंग से उन्हें मदद मिल रही है. उन्होंने बताया ये पूरा सफर इमोशंस से भरा है.
शहीद संजय सिन्हा के घर पहुंचे उमेश
इससे पहले उमेश ने तमिलनाडु के शहीद सी. सिवाचंद्रन के परिवार से मुलाकात की और शहीद के पिता के जज्बे को देख अपने अंदर और भी दृढ़ इच्छा शक्ति को जगाया. वहां उन्होंने देखा कि जिस पिता ने अपने बेटे का तिरंगे में लिपटा शरीर देखा था, वे अपने घर के आखिरी चिराग अपने पोते को भी सेना में भेजने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. बेटे की शहादत ने उनमें देशभक्ति के जज्बे को और बढ़ा दिया है. उमेश ने बताया कि सफर के दौरान कभी वे बिस्किट खाकर सोए. तो कभी घंटों तक बाढ़ में फंसे रहे. लेकिन हिम्मत नहीं हारी. इसी क्रम में बुधवार को को उमेश पटना के मसौढ़ी पहुंचे हैं. उमेश गुरुवार को यहां शहीद संजय सिन्हा के घर जा कर उनको श्रद्धांजलि देंगे और उनके घर की मिट्टी को अपने साथ ले जाएंगे.