पटनाः बिहार की राजधानी पटना में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने सुशील मोदी द्वारा प्रदेश इंजीनियरिंग और मेडिकल काॅलेजों में घोषित 33% आरक्षण नहीं मिलने वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया (Umesh Kushwaha attack on Sushil Modi ) दी है. उमेश कुशवाहा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बच्चियों और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए पिछले 17 वर्षों से लगातार कार्य कर रहे हैं और उनके द्वारा इस क्षेत्र में किये गए कार्य मील के पत्थर साबित हुए हैं. इस क्षेत्र में उनकी कई योजनाओं का दूसरी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने भी अनुसरण किया है. बीजेपी की जमीन खिसक चुकी है, इस बात को समझते हुए सुशील मोदी लगातार अनर्गल बयान देते रहते हैं.
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मुख्यमंत्री ने डाली थी महिला सशक्तीकरण की नींवः उमेश कुशवाहा ने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए पूरे देश में पहली बार पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों में महिलाओं को 50% आरक्षण देकर उन्हें समान अधिकार, समान सामाजिक स्थिति और समान अवसर प्रदान करते हुए एक सामाजिक क्रांति की नींव मुख्यमंत्री द्वारा रखी गयी. इससे नीति निर्माताओं के रूप में स्थानीय स्वशासन में महिलाओं की सम्मानजनक भागीदारी का मार्ग प्रशस्त हुआ. बाद में इसी आधार पर आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान, त्रिपुरा और उत्तराखंड ने आरक्षण दिया. महिलाओं को रोजगार के समान अवसर सुनिश्चित कराने के लिए पंचायती राज संस्थाओं एवं नगरीय निकायों के माध्यम से प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में महिलाओं को 50 % आरक्षण दिया गया। मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना की चर्चा आज पूरे देश में होती है। बिहार सशस्त्र बलों की नई महिला बटालियन की स्थापना की गई और पुलिस बल में सीधी भर्ती में महिलाओं को 35 % आरक्षण दिया गया।
शिक्षा के उत्थान के लिए दी जा रही प्रोत्साहन राशिः उमेश कुशवाहा ने कहा कि मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत कन्या के जन्म के समय 2000/- रुपए, टीकाकरण के समय 1000/- रुपये, बेटी के 1 वर्ष की उम्र पूरी होने पर 2000/- रुपये, मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना के तहत मैट्रिक परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास करने वाली बालिकाओं को 10,000 रुपये, इंटर पास करने पर 25,000 /- रुपये और स्नातक करने पर 50,000 /- रुपये दिए जा रहे हैं. स्कूल यूनिफार्म के लिए भी उन्हें आर्थिक सहायता दी जा रही है, इसके तहत कक्षा एक व दो के लिए 600, कक्षा 3 से 5 के लिए 700, कक्षा 6 से 8 के लिए 1000, कक्षा 9 से 12 में 1500 रुपये तथा मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत 300/- रूपए प्रदान किये जाते हैं.
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी चल रही कई योजनाएंः उमेश कुशवाहा ने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य बन गया है, जहां महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए महिलाओं द्वारा प्रबंधित 10 लाख स्वयं सहायता समूह हैं. जीविका के माध्यम से 2007 से ही बैंकों के साथ क्रेडिट लिंकेज स्थापित है. जिन्होंने क्षमता निर्माण व वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है. मुख्यसमंत्री महिला उद्यमी योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से महिलाओं को बिना ब्याज के 10 लाख के ऋण दिए जाते हैं. इनमें केवल पांच लाख रुपये ही सात साल में उन्हें चुकाने होते हैं. बिहार ने जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत संस्थागत प्रसव में उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज की है. राज्य की शिशु मृत्यु दर में भी काफी कमी आई है और नियमित टीकाकरण में बिहार ने राष्ट्रीय औसत को पीछे छोड़ दिया है.
सुशील मोदी को नजर नहीं आ रही योजनाएंः जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक उन्नति और उन्हें विकास की राष्ट्रीय मुख्यधारा में लाने के लिए बिहार राज्य महिला अधिकारिता नीति को अपनाया गया. मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत गरीब परिवारों के लड़कियों की शादी के समय वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. वर्ष 2005 में कक्षा 10 की वार्षिक परीक्षा में लड़के और लड़कियों का अनुपात 67ः33 था, जो राज्य सरकार के प्रयासों से अब 50ः50 हो गया है. इसके अलावे भी अनगिनत योजनाएं महिलाओं के लिए चल रही हैं, पर सुशील मोदी के नागपुरी चश्मे से वो नजर ही नहीं आता. सुशील जी आप थोड़ा धैर्य रखें, 2024 और 2025 में आपको वास्तविकता का अंदाजा हो जाएगा.
"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बच्चियों और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए पिछले 17 वर्षों से लगातार कार्य कर रहे हैं और उनके द्वारा इस क्षेत्र में किये गए कार्य मील के पत्थर साबित हुए हैं. इस क्षेत्र में उनकी कई योजनाओं का दूसरी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने भी अनुसरण किया है. बीजेपी की जमीन खिसक चुकी है, इस बात को समझते हुए सुशील मोदी लगातार अनर्गल बयान देते रहते हैं" - उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जेडीयू