पटनाः पिछले 25 वर्षों से बिहार की संस्कृति और बिहार के नृत्य लौंडा नाच को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए पटना के कलाकार उदय लगातार अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं. लेकिन कोरोना काल में उदय लंबे समय तक अपने घर पर ही बैठे रहे. सभी सांस्कृतिक गतिविधि और कार्यक्रम बंद होने की वजह से कोई काम नहीं मिल रहा था. बिहार सरकार और कला संस्कृति विभाग द्वारा भी कोई मदद नहीं मिली. उदय की आर्थिक स्थिति अब दयनीय हो गई है.
'पिता ने कहा था छोड़ दो यह सब काम'
उदय ने बताया कि जब उन्होंने अपने परिवार से मदद मांगी तो परिवार वालों ने कहा कि 25 वर्षों से सरकार के लिए प्रोग्राम करते हो तो उन्हीं से मदद मांगो, हमसे क्यों मांगते हो. दरअसल उदय जब सातवीं कक्षा में थे तब से ही पढ़ाई से ज्यादा उन्हें कल्चरल प्रोग्राम में मन लगता था. खासकर नृत्य में. नृत्य एक ऐसा तोहफा है जो उदय को विरासत के रूप में मिला है. छोटेपन से ही उदय सांस्कृतिक गतिविधियों में ज्यादा ध्यान देते थे. जिस वजह से परिवार में थोड़ी अनबन भी होती थी. पिता ने कई बार कहा कि यह सब काम छोड़ दो लेकिन उदय ने इसे नहीं छोड़ा.
'बिहार की संस्कृति है लौंडा नाच'
उदय का मानना है कि लौंडा नाच बिहार की संस्कृति है. जिसे भिखारी ठाकुर ने जीवित रखा था. लोग इसे बुरा मानते थे. इसलिए आज के समय में कलाकार इसे नहीं करना चाहते हैं. उदय उन सभी को प्रेरणा देते हैं और इस नृत्य को बचाए रखने और आगे बढ़ाने के लिए कार्य कर रहे हैं. उदय ने करीब ढाई सौ से अधिक मेडल्स और ट्रॉफी जीती है. करीब 300 से अधिक प्रमाण पत्र व प्रशस्ति पत्र उन्हें मिले हैं. बिहार भारत और विदेशों में भी उन्हें सम्मानित किया गया है.
'सरकार मदद नहीं करेगी तो कौन करेगा'
उदय को मलाल सिर्फ इस बात का है कि उनकी कला की सभी जगह सराहना हुई है. लेकिन बिहार सरकार ने कलाकारों के लिए कुछ नहीं. अगर सरकार हमारे लिए कुछ नहीं करेगी तो हम कैसे बिहार की संस्कृति को आगे बढ़ाएंगे. सरकार को यह सोचना चाहिए कि इस विपदा की घड़ी में उन्हें कलाकारों के लिए कुछ करना चाहिए. लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही. अब भला ऐसे कलाकारों की मदद सरकार नहीं करेगी तो कौन करेगा. जिन्होंने बिहार और बिहार सरकार का नाम देश और विदेश में ऊंचा किया वह आज आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं.
पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने किया था सम्मानित
बता दें कि 2002 में उदय को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा सम्मानित किया गया था. 2006 में युवा महोत्सव में सम्मानित किया गया. जिसके बाद भिखारी ठाकुर सम्मान बिहार गौरव सम्मान सहित कई सम्मान उदय को मिल चुके हैं. इतना ही नहीं मॉरीशस में भी उदय ने अपनी प्रस्तुति दी थी. जिसके बाद उन्हें नवाजा गया था.
उदय ने कहा कि यह सरकार का कर्तव्य है कि कलाकारों की मदद करें. अगर अभी मदद नहीं मिलेगी तो कब मिलेगी मरने के बाद? बिहार में अक्सर ऐसा ही होता है जब कलाकार जीवित रहते हैं तो उनकी कदर नहीं की जाती. मरने के बाद उन्हें सम्मानित किया जाता है. इसलिए हम सरकार से आग्रह करते हैं कि सरकार कलाकारों की कदर करें और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करें.