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इस अद्भुत खून चूसने वाले जलोका कीड़ा से होता है चर्म रोग का इलाज, आयुर्वेद चिकित्सा की है नई पद्धति

आयुर्वेदिक कॉलेज के चिकित्सकों की माने तो इस कीड़े को मानव शरीर के उस हिस्से में रख दिया जाता है जहां उनको दाद, खाज, खुजली और त्वचा संबंधित बीमारी होती है. इसके बाद ये कीड़ा घूम-घूम कर त्वचा के इन्फेक्शन वाले पार्ट का दूषित खून चूस लेता है.

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Published : Sep 2, 2019, 8:29 PM IST

राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल में होगा जलोका से इलाज

पटना: राजधानी में आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली ने चर्म रोग के लिए एक अनोखा इलाज इजात किया है. इसमें जलोका नामक कीड़े के जरिये गंभीर से गंभीर चर्म रोग का इलाज किया जाता है. यह कीड़ा बीमारी वाली जगह से सारा गंदा खून चूस लेता है और इससे कोई नुकसान भी नहीं होता.

Patna
खून चूसने वाला कीड़ा है जलोका

चर्म रोग की बीमारी है खतरनाक
चिकित्सा प्रणाली ने जिस तरह विकास किया है, उससे आज कई खतरनाक बीमारियों का इलाज भी मिलने लगा है. वहीं, चर्म रोग जैसी बीमारी को ठीक करने के लिए भी बहुत से पैसे खर्च होते हैं. इसके बावजूद चर्म रोग की बीमारी जड़ से खत्म नहीं होती. इसके अलावा कभी-कभी दवाईयों का साईडइफेक्ट भी हो जाता है.

Patna
आयुर्वेद चिकित्सा ने किया विकास

जलोका कीड़ा गंदे खून को चूसता है
वहीं, चिकित्सा प्रणाली की सबसे बेहतर पद्धति आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को माना जाता है. कहा जाता है कि आयुर्वेद में हर बीमारी को जड़ से समाप्त करने के गुण पाए जाते हैं. ऐसी ही एक बीमारी है चर्म रोग, जिसे त्वचा संबंधी रोग भी कहते हैं. त्वचा शरीर की एक वृहद प्रणाली मानी जाती है. इससे जुड़ी बीमारी को खत्म करने में समय लग जाता है. वहीं, राजधानी के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल में चर्म रोग का इलाज जलोका नामक कीड़े के माध्यम से किया जाता है. जलोका एक खून चूसने वाला कीड़ा है.

राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल में होगा जलोका कीड़ा से इलाज

ऐसे होता है इलाज
आयुर्वेदिक कॉलेज के चिकित्सकों की माने तो इस कीड़े को मानव शरीर के उस हिस्से में रख दिया जाता है जहां उनको दाद, खाज, खुजली और त्वचा संबंधित बीमारी होती है. इसके बाद ये कीड़ा घूम-घूम कर त्वचा के इन्फेक्शन वाले पार्ट का दूषित खून चूस लेता है. इससे वह बीमारी जड़ से ठीक हो जाती है. हालांकि शुरुआती दौर में इंफेक्शन वाले पार्ट पर जलोका को रखा जाता है तो मरीज डरने लगते हैं, लेकिन डॉक्टरों की परामर्श पर धीरे-धीरे उन्हें राहत मिलने लगती है.

पटना: राजधानी में आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली ने चर्म रोग के लिए एक अनोखा इलाज इजात किया है. इसमें जलोका नामक कीड़े के जरिये गंभीर से गंभीर चर्म रोग का इलाज किया जाता है. यह कीड़ा बीमारी वाली जगह से सारा गंदा खून चूस लेता है और इससे कोई नुकसान भी नहीं होता.

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खून चूसने वाला कीड़ा है जलोका

चर्म रोग की बीमारी है खतरनाक
चिकित्सा प्रणाली ने जिस तरह विकास किया है, उससे आज कई खतरनाक बीमारियों का इलाज भी मिलने लगा है. वहीं, चर्म रोग जैसी बीमारी को ठीक करने के लिए भी बहुत से पैसे खर्च होते हैं. इसके बावजूद चर्म रोग की बीमारी जड़ से खत्म नहीं होती. इसके अलावा कभी-कभी दवाईयों का साईडइफेक्ट भी हो जाता है.

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आयुर्वेद चिकित्सा ने किया विकास

जलोका कीड़ा गंदे खून को चूसता है
वहीं, चिकित्सा प्रणाली की सबसे बेहतर पद्धति आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को माना जाता है. कहा जाता है कि आयुर्वेद में हर बीमारी को जड़ से समाप्त करने के गुण पाए जाते हैं. ऐसी ही एक बीमारी है चर्म रोग, जिसे त्वचा संबंधी रोग भी कहते हैं. त्वचा शरीर की एक वृहद प्रणाली मानी जाती है. इससे जुड़ी बीमारी को खत्म करने में समय लग जाता है. वहीं, राजधानी के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल में चर्म रोग का इलाज जलोका नामक कीड़े के माध्यम से किया जाता है. जलोका एक खून चूसने वाला कीड़ा है.

राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल में होगा जलोका कीड़ा से इलाज

ऐसे होता है इलाज
आयुर्वेदिक कॉलेज के चिकित्सकों की माने तो इस कीड़े को मानव शरीर के उस हिस्से में रख दिया जाता है जहां उनको दाद, खाज, खुजली और त्वचा संबंधित बीमारी होती है. इसके बाद ये कीड़ा घूम-घूम कर त्वचा के इन्फेक्शन वाले पार्ट का दूषित खून चूस लेता है. इससे वह बीमारी जड़ से ठीक हो जाती है. हालांकि शुरुआती दौर में इंफेक्शन वाले पार्ट पर जलोका को रखा जाता है तो मरीज डरने लगते हैं, लेकिन डॉक्टरों की परामर्श पर धीरे-धीरे उन्हें राहत मिलने लगती है.

Intro:spl.
आइये जानते है,आयुर्वेद में जलोका कीड़ा से चर्म रोग का इलाज,
दूषित खून को चूस कर त्वचा रोगों करता है ठीक है


Body:चिकित्सा प्रणाली की सबसे बेहतर पद्धति आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को माना जाता है और कहा जाता है कि आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज का जड़ से समाप्त करने के गुण पाए जाते हैं, ऐसा ही एक है चर्म रोग जिसे त्वचा संबंधी रोग भी कहते हैं और त्वचा शरीर के एक एक वृहद प्रणाली मानी जाती है आयुर्वेद में इसे एक कीड़ा द्वारा इलाज किया जाता है और उस कीड़ा का नाम है जलोका है, जो जोक जैसे आकृति वाला एक कीड़ा होता है, जो पानी में रहता है और खून चूसता है, अब आप सोच रहे होंगे कि खून चूसने वाले कीड़ा से चर्म रोग का इलाज कैसे संभव हो पाता है, तो यह बिल्कुल मुमकिन है, राजधानी पटना के आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल में इन दिनों चर्म रोग का इलाज जलोका कीड़ा द्वारा किया जाता है, चिकित्सकों की माने तो यह एक खून चूसने वाला कीड़ा है, मानव शरीर के जिस हिस्सों में दाद, खाज ,खुजली एवं त्वचा संबंधित किसी भी प्रकार की बीमारी होती है, तो वहां पर इस कीड़ा को रख दिया जाता है और यह कीड़ा घूम घूम कर जहां पर त्वचा का इन्फेक्शन पार्ट होता है, वहां से दूषित खून को वह चूस लेता है जिससे वह बीमारी ठीक हो जाती हैं


Conclusion:हालांकि शुरुआती दौर में इंफेक्शन शरीर के पार्ट पर जब जलोका को रखा जाता है तो मरीज डरने लगते हैं लेकिन डॉक्टरों के परामर्श पर धीरे-धीरे उन्हें राहत मिलने लगती है और वह ठीक हो जाता है जोलोका कसे त्वचा से संबंधित विभिन्न प्रकार की बीमारियों को ठीक किया जाता है डॉक्टर से ही सुनते हैं

बाईट-मरीज
वन टू वन
डॉक्टर रमण रंजन
चर्मरोग विशेषज्ञ
आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल पटना
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