पटना: राजधानी में अब अग्निकर्म थेरेपी से कई जटिल रोगों का इलाज किया जा रहा है. आयुर्वेद में अग्निकर्म को दर्द निवारण संजीवनी माना जाता है. इस थेरेपी से जटिल से जटिल दर्द भी खत्म हो जाते हैं. अग्निकर्म एक प्राचीन चिकित्सा तकनीक है. जिसका आयुर्वेद में कई विशेषताओं का वर्णन किया गया है.
बिना दुष्प्रभाव तुरंत प्रदान करता है राहत
फायर थेरेपी से पुराने से पुराने ओस्टियोआर्थराइटिस शिनोशूल, स्पोंडिलोसिस, जमे हुए कंधे की बीमारी लंबे समय तक मांसपेशियों और जोड़ों की तकलीफ आदि से मरीजों को लाभ मिलता है. बताया जाता है कि बिना किसी दुष्प्रभाव के अग्निकर्म तकनीक मस्कुलर स्केलेटल रोगों के लिए एक अत्यधिक प्रभावी उपचार है. जो बिना किसी दुष्प्रभाव या जटिलताओं के तुरंत राहत प्रदान करता है.
लोहे की रॉड को आग में तपा कर दागा जाता है
फायर थेरेपी में एक विशेष थर्मल माइक्रोक्यूट्री यूनिट यानी एक लोहे की रॉड को आग में तपा कर मरीजों को दर्द वाले स्थान पर दागा जाता है. उसमें एलोवेरा हल्दी आदि कई तरह की जड़ी-बूटी लगाकर उसे दागदार कर ठीक किया जाता है.
अग्निकर्म थेरेपी कई रोगों में काम आता है
यह थेरेपी घुटने के दर्द, निचली कमर का दर्द, कटिस्नायुशूल, स्पॉन्डलोसिस, गर्दन संबंधी स्पोंडिलोसिस, स्लिप डिस्क वश जमे हुए कंधे, सिनोविस ,कॉपल टनल सिंड्रोम, यूनिटी माइग्रेन सिरदर्द, एड़ी में दर्द मायोफिशियल दर्द, ग्राउट, संधिशोथ आदि रोगों में काम आता है.