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पटना: फायर थेरेपी से कई जटिल रोगों का हो रहा इलाज, आयुर्वेद में मानी जाती है संजीवनी - benefits of fire therapy

फायर थेरेपी से पुराने से पुराने ओस्टियोआर्थराइटिस शिनोशूल, स्पोंडिलोसिस, जमे हुए कंधे की बीमारी लंबे समय तक मांसपेशियों और जोड़ों की तकलीफ आदि से मरीजों को लाभ मिलता है.

फायर थेरेपी से कई जटिल रोगों का हो रहा ईलाज
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Published : Sep 15, 2019, 5:46 PM IST

पटना: राजधानी में अब अग्निकर्म थेरेपी से कई जटिल रोगों का इलाज किया जा रहा है. आयुर्वेद में अग्निकर्म को दर्द निवारण संजीवनी माना जाता है. इस थेरेपी से जटिल से जटिल दर्द भी खत्म हो जाते हैं. अग्निकर्म एक प्राचीन चिकित्सा तकनीक है. जिसका आयुर्वेद में कई विशेषताओं का वर्णन किया गया है.

बिना दुष्प्रभाव तुरंत प्रदान करता है राहत
फायर थेरेपी से पुराने से पुराने ओस्टियोआर्थराइटिस शिनोशूल, स्पोंडिलोसिस, जमे हुए कंधे की बीमारी लंबे समय तक मांसपेशियों और जोड़ों की तकलीफ आदि से मरीजों को लाभ मिलता है. बताया जाता है कि बिना किसी दुष्प्रभाव के अग्निकर्म तकनीक मस्कुलर स्केलेटल रोगों के लिए एक अत्यधिक प्रभावी उपचार है. जो बिना किसी दुष्प्रभाव या जटिलताओं के तुरंत राहत प्रदान करता है.

फायर थेरेपी पर रिर्पोट

लोहे की रॉड को आग में तपा कर दागा जाता है
फायर थेरेपी में एक विशेष थर्मल माइक्रोक्यूट्री यूनिट यानी एक लोहे की रॉड को आग में तपा कर मरीजों को दर्द वाले स्थान पर दागा जाता है. उसमें एलोवेरा हल्दी आदि कई तरह की जड़ी-बूटी लगाकर उसे दागदार कर ठीक किया जाता है.

what is fire therapy
फायर थेरेपी से इलाज करते डॉक्टर

अग्निकर्म थेरेपी कई रोगों में काम आता है
यह थेरेपी घुटने के दर्द, निचली कमर का दर्द, कटिस्नायुशूल, स्पॉन्डलोसिस, गर्दन संबंधी स्पोंडिलोसिस, स्लिप डिस्क वश जमे हुए कंधे, सिनोविस ,कॉपल टनल सिंड्रोम, यूनिटी माइग्रेन सिरदर्द, एड़ी में दर्द मायोफिशियल दर्द, ग्राउट, संधिशोथ आदि रोगों में काम आता है.

fire therapy
लोहे की रॉड को आग में तपा कर दागा जाता है

पटना: राजधानी में अब अग्निकर्म थेरेपी से कई जटिल रोगों का इलाज किया जा रहा है. आयुर्वेद में अग्निकर्म को दर्द निवारण संजीवनी माना जाता है. इस थेरेपी से जटिल से जटिल दर्द भी खत्म हो जाते हैं. अग्निकर्म एक प्राचीन चिकित्सा तकनीक है. जिसका आयुर्वेद में कई विशेषताओं का वर्णन किया गया है.

बिना दुष्प्रभाव तुरंत प्रदान करता है राहत
फायर थेरेपी से पुराने से पुराने ओस्टियोआर्थराइटिस शिनोशूल, स्पोंडिलोसिस, जमे हुए कंधे की बीमारी लंबे समय तक मांसपेशियों और जोड़ों की तकलीफ आदि से मरीजों को लाभ मिलता है. बताया जाता है कि बिना किसी दुष्प्रभाव के अग्निकर्म तकनीक मस्कुलर स्केलेटल रोगों के लिए एक अत्यधिक प्रभावी उपचार है. जो बिना किसी दुष्प्रभाव या जटिलताओं के तुरंत राहत प्रदान करता है.

फायर थेरेपी पर रिर्पोट

लोहे की रॉड को आग में तपा कर दागा जाता है
फायर थेरेपी में एक विशेष थर्मल माइक्रोक्यूट्री यूनिट यानी एक लोहे की रॉड को आग में तपा कर मरीजों को दर्द वाले स्थान पर दागा जाता है. उसमें एलोवेरा हल्दी आदि कई तरह की जड़ी-बूटी लगाकर उसे दागदार कर ठीक किया जाता है.

what is fire therapy
फायर थेरेपी से इलाज करते डॉक्टर

अग्निकर्म थेरेपी कई रोगों में काम आता है
यह थेरेपी घुटने के दर्द, निचली कमर का दर्द, कटिस्नायुशूल, स्पॉन्डलोसिस, गर्दन संबंधी स्पोंडिलोसिस, स्लिप डिस्क वश जमे हुए कंधे, सिनोविस ,कॉपल टनल सिंड्रोम, यूनिटी माइग्रेन सिरदर्द, एड़ी में दर्द मायोफिशियल दर्द, ग्राउट, संधिशोथ आदि रोगों में काम आता है.

fire therapy
लोहे की रॉड को आग में तपा कर दागा जाता है
Intro: आयुर्वेद में दर्द निवारण संजीवनी माना जाता है अग्निकर्म थेरेपी,
अग्निकर्म थेरेपी से जटिल से जटिल रोगों में दर्द को खत्म किया जाता है,
घुटने का दर्द, कमर दर्द, गर्दन स्नायु जैसे असहनीय दर्द को अग्निकर्म से किया जाता है ठीक,

विदेशों में भी अग्निकर्म की बढ रही है डिमांड,
अग्निक्रिया में गर्म लोहे के सलाखों से दाग दाग कर मरीजों को किया जाता है ठीक,

ईटीवी भारत पर देखिए अग्निकर्म पर खास रिपोर्ट


Body:आयुर्वेद में अग्निकर्म को दर्द निवारक संजीवनी कहा गया है, इस थेरेपी से जटिल से जटिल दर्द भी खत्म हो जाते हैं, अग्निकर्म एक प्राचीन चिकित्सा तकनीक है, जिसका आयुर्वेद में कई तरह के विशेषताओं का वर्णन किया गया है, अग्निकर्म से पुराने से पुराने ओस्टियोआर्थराइटिस शिनोशूल, स्पोंडिलोसिस, जमे हुए कंधे की बीमारी लंबे समय तक मांसपेशियों और जोड़ों की तकलीफ आदि से मरीजों को लाभ मिलता है
बताया जाता है कि बिना किसी दुष्प्रभाव से अग्निकर्म तकनीक मस्कुलर स्केलेटल रोगों के लिए एक अत्यधिक प्रभावी उपचार हैं, जो बिना किसी दुष्प्रभाव या जटिलताओं के से त्वरित राहत प्रदान करता है।


अग्निकर्म प्रक्रिया में एक विशेष थर्मल माइक्रोक्यूट्री यूनिट यानी एक लोहे का शलाका को आग में तपा कर मरीजों को दर्द वाले स्थान पर दाग आ जाता है और उसमें एलोवेरा हल्दी आदि कई तरह के जड़ी-बूटी लगाकर उसे दागदा कर उसे ठीक किया जाता है





Conclusion:

अग्निकर्म थेरेपी कई रोगों में काम आता है


घुटने का दर्द, निचली कमर का दर्द,कटिस्नायुशूल,
स्पॉन्डलोसिस, गर्दन संबंधी स्पोंडिलोसिस, स्लिप डिस्क वश जमे हुए कंधे, सिनोविस ,कॉपल टनल सिंड्रोम, यूनिटी माइग्रेन सिरदर्द, एड़ी में दर्द मायोफिशियल दर्द, ग्राउट, संधिशोथ आदि रोगों में काम आता है






बाईट:-डॉक्टर रमण रंजन,प्रभारी अग्निक्रिया(शल्यचिकित्सा)

बाईट:-डॉ दिनेश्वर प्रसाद, प्राचार्य,
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल
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