गया: बिहार के गया के संतोष कुमार लेह में शहीद हो गए. शहादत की खबर मिलते ही परिजनों में चीत्कार मच गयी. परिजनों का कहना है कि उन्होंने इसी महीने महाकुंभ स्नान करने का वादा किया था. परिवार के सारे लोग साथ जने वाले थे, लेकिन इससे पहले शहादत की खबर आ गयी.
'पानी का टैंकर विस्फोट': परिजनों के अनुसार आर्मी के अधिकारी ने इसकी जानकारी फोन पर दी. बताया कि चुमाथांग लेह में सेना के क्वार्टर के समीप पानी टैंकर में विस्फोट हो गया. इस ब्लास्ट में दो जवानों की जान चली गई. शहीद होने वाले में एक गया के संतोष कुमार शामिल हैं.
शोक का माहौल: संतोष कुमार मूल रूप से गया जिले के परैया थाना अंतर्गत अमोखर गांव के रहने वाले थे. गया शहर के भलुआही खरखुरा में उनका अपना नया मकान था. परिवार के लोग यहीं रहते थे. शहीद हो जाने की खबर मिलते ही गया शहर में शोक का माहौल है.
'सुबह में हुई थी बात': पति के शहीद होने की खबर मिलते ही पत्नी कनक कुमारी का रो-रोकर बुरा हाल हुआ है. उसने बताया कि सुबह में उनसे बात हुई थी. इसके बाद दोपहर में एक कॉल आया कि पानी का टैंकर में विस्फोट में उन्हें चोटे लगी है. फिर निधन की खबर आई. कनक अपने पति को याद करते-करते बेसुध हो जा रही है.
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"सुबह में आधा घंटा बात हुई थी. फिर दोपहर में फोन आया कि उन्हें चोट लगी है. किसी और का फोन नंबर देने के लिए बोल रहे थे. घर वालों को बताया कि वे शहीद हो गए." -कनक कुमारी, पत्नी
'आर्मी अधिकारी ने दी जानकारी': ससुर रामनरेश प्रसाद बताते हैं कि चुमाथांग लेह से आर्मी के पदाधिकारी ने फोन किया कि पानी का टैंकर फटा है. संतोष कुमार को चोट लगी है. बाद में संतोष कुमार के देहांत हो जाने की सूचना आई. मंगलवार को पार्थिव शरीर लाया जाएगा.
"क्वार्टर के पास यह घटना हुई जिसमें दो जवान शहीद हो गए. इसमें एक मेरे दामाद थे. अंतिम बार दिसंबर में आए थे. महाकुम्भ स्नान चलने की प्लानिंग बनी थी लेकिन इसके बीच शहादत की खबर आयी." -रामनरेश प्रसाद, ससुर
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पुत्र शिवम कुमार ने बताया कि "संतोष कुमार 71 इंजीनियर रेजीमेंट में सूबेदार के पद पर पोस्टेड थे. 12 बजे अपराह्न के लगभग फोन आया था जिसमें आर्मी के पदाधिकारी के द्वारा इस घटना की जानकारी दी गई. बताया कि सुबह में मां ने बात की थी. सब कुछ सही था लेकिन घंटे-दो घंटे बाद ही उनके शहीद होने की खबर आई."
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'मिलनसार थे संतोष कुमार': ग्रामीण बताते हैं कि संतोष काफी मिलनसार और काबिल थे. अपनी ड्यूटी के पक्के थे. उन्हें राष्ट्रपति से भी सम्मान मिला था. दोस्त कहते हैं कि ऐसा इंसान हमारे बीच से चला गया जिसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता है. शहीद जवान संतोष कुमार के पुत्र शुभम और शिवम बताते हैं कि मां का रो-रोकर बुरा हाल है.
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