पटना: अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने गणतंत्र दिवस के दिन तीनों कृषि कानून के खिलाफ ट्रैक्टर मार्च निकालकर प्रदर्शन करने का आह्वान किया है. देशभर के विभिन्न किसान संगठनों और राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन किया है. बिहार में भी ट्रैक्टर मार्च निकालने की तैयारी पूरी हो गई है. लगभग सभी जिला मुख्यालयों में ट्रैक्टर मार्च निकालकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा और तीनों कृषि कानून को रद्द करने की मांग की जाएगी.
इस ट्रैक्टर मार्च को लेकर भाकपा माले के स्टेट कमिटी मेंबर कुमार परवेज ने बताया कि भाकपा माले शुरुआती दिनों से ही किसानों के समर्थन में खड़ी है. अब जब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा, उनके साथ खड़े रहेंगे. पूरे बिहार में भाकपा माले के नेता और कार्यकर्ता ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे. इस ट्रैक्टर मार्च को सफल बनाया जाएगा. हालांकि उन्होंने बताया कि पटना में जिला प्रशासन की ओर से ट्रैक्टर मार्च निकालने की इजाजत नहीं मिली है. इसलिए पटना में ट्रैक्टर मार्च नहीं निकाला जाएगा लेकिन बिहार के हर एक जिले में ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा.
ट्रैक्टर मार्च होगा ऐतिहासिक- संगीता सिंह
इसके अलावा अखिल भारतीय किसान महासभा की किसान नेता संगीता सिंह ने बताया कि ट्रैक्टर मार्च पूरी तरीके से सफल और ऐतिहासिक होगा. इसकी तैयारी पूरी हो गई है. देशभर में कृषि में महिलाओं की संख्या काफी अधिक है और ट्रैक्टर मार्च में भी महिला किसानों की अहम भूमिका रहेगी. किसान के कॉल पर ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा.
महागठबंधन ने दिया ट्रैक्टर मार्च को समर्थन
राजद ने भी ट्रैक्टर मार्च का समर्थन किया है. राजद नेताओं ने कहा कि किसान आंदोलन को तेज करने के लिए जो भी फैसला लिया जाएगा उसमें पार्टी हमेशा खड़ी रहेगी. किसान आंदोलन जबतक जारी रहेगा तब तक राजद किसानों के साथ खड़ी रहेगी. वहीं, सीपीआई और सीपीएम ने भी किसान आंदोलन को पूरा समर्थन दिया है. कांग्रेस ने भी किसान आंदोलन और ट्रैक्टर मार्च का समर्थन किया है.
बिहार के सभी किसान हैं खुशहाल- एनडीए
किसान आंदोलन और ट्रैक्टर मार्च को लेकर भाजपा और जदयू के नेताओं ने कहा कि बिहार के सभी किसान खुशहाल हैं. वहीं, जो भी कानून लाए गए हैं, उससे किसानों की आय बढ़ेगी. इस कानून से किसानों को कोई नुकसान नहीं होगा. लेकिन कुछ लोग किसानों और जनता को भड़का कर इस आंदोलन को प्रायोजित कर रहे हैं. वो किसान आंदोलन के नाम पर अपनी रोटी सेंक रहे हैं. अगर किसानों की कोई वाजिब मांग होती है और उसको लेकर प्रदर्शन या मार्च निकालते, तो सरकार उन्हें नहीं रोकती. लेकिन यह तो प्रायोजित आंदोलन है.