पटनाः पूरे देश में कोरोना महामारी ( Corona Pandemic) से ठीक होने वाले मरीजों को ब्लैक फंगस अपनी चपेट में ले रहा है. राजधानी पटना में भी पिछले एक सप्ताह में ऐसे मरीजों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है. शरीर के कई हिस्सों पर ब्लैक फंगस के असर देखे जा रहे हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान पटना के मशहूर दंत चिकित्सक डॉ धर्मेंद्र ने बताया कि मसूड़ों में ब्लैक फंगस (Black Fungus) का मामला सामने आया है.
डॉक्टर धर्मेंद्र ने बताया कि जो लोग कोरोना संक्रमित ( Corona Infected ) हो चुके हैं उन पर यह संक्रमण ज्यादा असर कर रहा है. डॉक्टर का यह कहना है इससे जुड़े लगभग 10 से ज्यादा मामले उनके क्लीनिक में आ चुका है. मसूड़ों में ब्लैक फंगस का मामला सामने आया है. इसमें मसूड़ों पर काली परत लग जाती है. मसूड़ों पर लगा फंगस दांतो के बीच जाकर उनकी कैविटी को गलाने का काम करता है.
डॉक्टर ने बताया कि आंखों के बाद अब मुंह में भी ब्लैक फंगस प्रभावित कर रहा है. ब्लैक फंगस का इलाज लगभग 15 दिनों तक चलता है.
मुंह में ब्लैक फंगस के लक्षणः-
- दांत में दर्द होना
- मसूड़ों में सूजन आना
- दांत हिलना
- मसूड़ों पर काली परत
वहीं वाइट फंगस के बारे में डॉक्टर ने बताया कि वाइट फंगस का लक्षण भी मुंह के अंदर होता है. मुंह में छाले पड़ जाते हैं. खाने में समस्या होने लगती है. डॉक्टर ने बताया कि सबसे ज्यादा वैसे मरीजों को एतिहात बरतने की जरूरत है जो कोरोना से ग्रसित थे और अब ठीक हो गए हैं.
दंत चिकित्सक डॉक्टर धर्मेंद्र के पास इलाज कराने आए गर्दनीबाग के रामनरेश सिंह ने बताया- 'वह कोरोना से संक्रमित थे कुछ हफ्ते पहले करोना से ठीक हो चुके हैं. उसके बाद उनको धीरे-धीरे दांत में दर्द और खाने में समस्या होने लगी. जिसके बाद से वह डॉक्टर धर्मेंद्र के क्लीनिक पर पहुंचे. जहां डॉक्टर ने उनका इलाज शुरू किया है'.
मसूड़े और दातों में ब्लैक फंगस से बचाव के उपाय
- खाने के बाद अच्छे तरीके से मुंह की सफाई करें
- दिन में दो-तीन बार ब्रश करें
- पुराने ब्रश और जीभी बदले जाएं
- डेली यूज के समान साबुन आदी बदला जाए
- कोरोना से ठीक हुए मरीज के आस-पास साफ सफाई हो
डॉ धर्मेंद्र ने बताया कि अभी तक लगभग 7 से 8 मरीज जिनको दांत में प्रॉब्लम थी उनमें ब्लैक फैंगस के लक्षण थे. उनको एंटीफंगल दवा और दांतो को कंटिन्यू साफ सफाई करके ठीक किया गया है. कुछ मरीज ऐसे भी हैं जिनको आंख में जलन होती है और वह क्लीनिक पर पहुंच जाते हैं. उनको आंख वाले डॉक्टर के पास रेफर कर दिया जाता है.
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