पटनाः निवेश के लिये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रवासी बिहारियों को लुभाने के लिए रेड कारपेट बिछाने की तैयारी है. 15 साल के मुख्यमंत्री काल में निवेश को आकर्षित करने के लिए नीतीश कुमार ने हर तरह के कार्य किए हैं. उद्योगपतियों के सम्मेलन से लेकर डॉक्टरों के सम्मेलन तक कर चुके हैं. लेकिन कुछ लाभ नहीं मिला. अब निवेश के लिए प्रवासियों पर नीतीश की नजर है. उसके लिए मुख्यमंत्री आवास में ही विशेष टास्क फोर्स बनाने वाले हैं.
नीतीश कुमार का बड़ा दांव, लेकिन साख पर सवाल
बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद नीतीश कुमार ने कई सालों तक निवेश को आकर्षित करने की कोशिश की. देश के जाने-माने उद्योगपति बदलते बिहार जानने पहुंचे भी. लेकिन कोई बड़ा निवेश बिहार में नहीं हुआ. कानून व्यवस्था के साथ सड़क, बिजली सहित कई क्षेत्रों में व्यापक सुधार होने के बावजूद निवेश नहीं हुआ. हार कर नीतीश ने अप्रवासी बिहारियों को लुभाने की कोशिश शुरू की है.
मुख्यमंत्री के नजदीकी और पूर्व मंत्री संजय झा का कहना है कि मुख्यमंत्री ने अभी अप्रवासी बिहारियों के साथ संवाद भी किया है और उनके लिए मुख्यमंत्री आवास में विशेष टास्क फोर्स भी बनाने की तैयारी शुरू हो गई है.
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बिहार के कानून व्यवस्था में आयी है गिरावट
आर्थिक विशेषज्ञ एनके चौधरी के अनुसार बिहार के कानून व्यवस्था में गिरावट आई है. नीतीश कुमार की जो पहले और दूसरे फेज में साख थी. वैसी साख अब नहीं रह गई है. ऐसी स्थिति में निवेशक बिहार आएंगे. इसकी संभावना कम ही है. लेकिन प्रयास बढ़िया है. एनके चौधरी का यह भी कहना है कि पहले भी नीतीश कुमार ने कई तरह के सम्मेलन का आयोजन किया है. बड़े-बड़े उद्योगपति को भी बुलाया, लेकिन हुआ कुछ नहीं.
अब जब कानून व्यवस्था से लेकर नीतीश कुमार की सरकार की स्थिति भी पहले जैसी नहीं रही. ऐसे में यह प्रयास बहुत कारगर होगा, कहना कठिन है.
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बिहार को देखने आए कई उद्योगपति लेकिन निवेश नहीं किया
एक समय नीतीश कुमार की चर्चा पूरे देश और दुनिया में होने लगी थी. देश के जाने माने उद्योगपति मुकेश अंबानी से लेकर बाहर के भी उद्योगपति बिहार में संभावना तलाशने लगे थे. बिल गेट्स जैसे दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति भी बिहार पहुंचे. लेकिन कोई बड़ा निवेश नहीं किया. स्वास्थ सेवा क्षेत्र में जरूर कुछ सामाजिक कार्य सरकार के साथ मिलकर अभी भी कर रहे हैं.
कुल मिलाकर देखें तो बिहार में छोटे-मोटे निवेश तो जरूर हुए. लेकिन न तो बड़े उद्योग लगे और ना ही बड़े उद्योगपतियों ने बिहार की तरफ रुख किया. ऐसे में देखना है कि अब प्रवासी बिहारी नीतीश कुमार की नई पहल को किस प्रकार से लेते हैं.