पटना: नीतीश सरकार ग्रामीण वोटरों को साधने के लिए 118000 किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों को चमकाने में लगी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों कैबिनेट में मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना भी शुरू करने की घोषणा की है. उसके तहत ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री अशोक चौधरी के अनुसार 1000 पुल वित्तीय वर्ष में बनाए जाएंगे.
चमकेगी बिहार की ग्रामीण सड़कें: असल में पिछले चुनाव में और मुख्यमंत्री के पिछले साल यात्रा के दौरान ग्रामीण सड़कों को लेकर बहुत शिकायत मिली थी. कई जगह वोट बहिष्कार भी हुआ था और उसी के बाद नीतीश कुमार ने ग्रामीण सड़कों को चमकाने का बड़ा फैसला लिया.
'जून तक गड्ढा मुक्त होंगी सड़कें': इस साल चुनाव है तो चुनाव से पहले इस पर तेजी से कम करने का निर्देश मुख्यमंत्री के स्तर से दिया गया. ग्रामीण सड़कों के मेंटेनेंस से लेकर कई तरह की रणनीति तैयार की गई है. इसमें 7 साल के लिए मेंटेनेंस दिया जाएगा. मंत्री अशोक चौधरी के अनुसार जून तक सभी ग्रामीण सड़कों को गड्ढा मुक्त कर दिया जाएगा.
सही ढंग से नहीं हो रहा मेंटेनेंस : बिहार में 118000 किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़के हैं और इन सड़कों में ऐसे तो 65000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों को मेंटेनेंस के लिए दिया गया है, लेकिन सच्चाई यही है कि सही ढंग से मेंटेनेंस नहीं हो रहा है. 50000 किलोमीटर से अधिक सड़कों की स्थिति काफी दयनीय है.
नीतीश के अहम फैसले: चुनावी साल में ग्रामीण इलाकों के वोटरों की नाराजगी न झेलना पड़े इसीलिए अब ग्रामीण सड़कों को चमकाने पर नीतीश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सड़को को लेकर नीतीश कुमार ने कुछ अहम फैसले लिए हैं. जैसे इस साल जून तक सभी ग्रामीण सड़कों को गड्ढा मुक्त करने पर फैसला हुआ है. वहीं 26000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों को नए ढंग से बनाने पर फैसला, 21000 करोड़ की राशि इसपर खर्च होगी.
सड़कों की मोटाई बढ़ेगी: वहीं मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना के तहत 1000 नए पुल बनाए जाएंगे, ग्रामीण इलाकों में लगने वाली जाम को देखते हुए महत्वपूर्ण सड़कों की चौड़ाई 16 फीट करने का फैसला भी लिया गया है. सड़कें जल्दी खराब ना हो 11 इंच से बढ़ाकर 19 इंच तक मोटाई करने का भी फैसला नीतीश कुमार का है. वहीं नई सड़कों के निर्माण के साथ 7 साल तक मेंटेनेंस, चरणबद्ध तरीके से 13815 छूटे टोले और बसावट तक सड़क बनाने, जाम से मुक्ति दिलाने के लिए टोपोग्राफी सर्वे और ट्रैफिक सर्वे भी किया जा रहा है.
वोटरों की नाराजगी के बाद फैसला: ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री अशोक चौधरी का कहना है पिछले चुनाव में कई स्थानों पर ग्रामीण सड़कों को लेकर शिकायत मिली थी. कई जगह लोगों ने वोट का बहिष्कार भी किया था और उसी के बाद मुख्यमंत्री ने ग्रामीण सड़कों को दुरुस्त करने का बड़ा फैसला लिया है.
"मुख्यमंत्री सेतु योजना भी शुरू की है. 1000 नए पुल बनाए जाएंगे. जनप्रतिनिधियों से और जिला प्रशासन से सूची भी तैयार कर ली गई है. मेंटेनेंस के लिए भी काम हो रहा है. इस साल जून तक हम लोग सभी ग्रामीण सड़कों को गड्ढा मुक्त कर देंगे. यह टारगेट रखा है."- अशोक चौधरी, ग्रामीण कार्य मंत्री, बिहार
सात साल मेंटेनेंस: ग्रामीण कार्य विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार सिंह का कहना है कि हर साल 31 मार्च के बाद जो सड़कें मेंटेनेंस में नहीं रहेगी, उन्हें 7 साल के लिए मेंटेनेंस में ठेकेदार को दिया जाएगा. इस साल 26000 किलोमीटर सड़कों को 7 साल के मेंटेनेंस के लिए लिया गया है.
"आने वाले समय में सभी सड़कों को 7 साल के मेंटेनेंस स्कीम के तहत लाया जाएगा, जहां जगह होगी वहां चौड़ाई भी बढ़ाई जाएगी. साथ ही जहां ट्रैफिक जाम की समस्या अधिक होगी वहां ग्रामीण सड़कों को चौड़ा किया जाएगा. अभी ग्रामीण सड़कें अधिकांशत साढ़े तीन मीटर की चौड़ाई में है, जहां आवश्यकता होती है, उसे साढ़े 5 मीटर किया जाता है."- दीपक कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ग्रामीण कार्य विभाग
'इंजीनियर की बहाली भी बहुत जरूरी': बेसा के पूर्व महासचिव इंजीनियर सुनील कुमार चौधरी के अनुसार ग्रामीण सड़कों के खराब रहने के पीछे मुख्य वजह डिजाइन, क्वालिटी और सुपरविजन सही ढंग से नहीं होना है. बिहार में इंजीनियर की कमी भी है. ऐसे में सुपरविजन के लिए इंजीनियर की बहाली भी बहुत जरूरी है.
"सरकार ने नई पॉलिसी जरूर बनाई है, सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है लेकिन जब तक संवेदक पर निगरानी नहीं रखी जाएगी और रोड खराब होने पर उससे वसूली नहीं की जाएगी, तब तक ग्रामीण सड़कों की स्थिति में सुधार होने वाला नहीं है."- सुनील कुमार चौधरी, पूर्व महासचिव, बेसा
एक्सपर्ट की राय: राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है बिहार में अभी भी 80% से अधिक आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. नीतीश कुमार ने स्टेट हाईवे और बड़े पुल पर तो खूब काम किया है, लेकिन ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर जितना ध्यान देना चाहिए नहीं दिया. ग्रामीण इलाकों में इसको लेकर नाराजगी है और इसीलिए 2025 चुनाव से पहले कोशिश की जा रही है कि ग्रामीण सड़कों को अधिक से अधिक चमका दिया जाए.
"ग्रामीण इलाके के लोगों की नाराजगी बहुत हद तक इस फैसले से दूर करने की कोशश की गई है. हालांकि कितना काम होता है यह देखने वाली बात है क्योंकि 118000 से अधिक किलोमीटर की लंबाई में ग्रामीण सड़कें हैं. उसमें से बड़ा हिस्सा अभी जर्जर है या सड़क है भी तो कई स्थानों पर गड्ढे हैं. जिसमें चलना आसान नहीं है."- प्रिय रंजन भारती,राजनीतिक विशेषज्ञ
बेहतर होंगी ग्रामीण सड़कें: उन्होंने आगे कहा कि ऐसे सरकार ने ग्रामीण कार्य विभाग के लिए जो पॉलिसी लाई है, वह देश में ग्रामीण सड़कों के लिए पहली बार लाई गयी है. 7 वर्षों के लिए मेंटेनेंस दिया जाएगा. अभी तक पथ निर्माण विभाग की तरफ से ही 7 वर्षों के लिए मेंटेनेंस के लिए दिया जाता रहा है. इससे ग्रामीण सड़कें बेहतर होंगी. साथ ही जो ऐप लॉन्च किया गया है, यदि सही ढंग से उस पर काम नहीं किया गया तो लोगों की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है.
8 से 10 सड़कों का पैकेज तैयार: ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार ग्रामीण सड़कों के बेहतर रखरखाव के लिए प्रखंड स्तर पर 8 से 10 सड़कों का पैकेज तैयार किया जा रहा है. पैकेज वाइज निर्माण और मरम्मत होने से उसकी निगरानी बेहतर ढंग से हो सकेगी. राज्य के ऐसे प्रखंड हैं जहां मात्र 10 से 20 सड़कें हैं. कई ऐसे भी प्रखंड हैं जिसमें 60 से 70 सड़कें हैं.
हर महीने 4000 किलोमीटर को चमकाने की तैयारी: वित्तीय वर्ष में हर महीने 4000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों को गड्ढा मुक्त करने की तैयारी है और वित्तीय वर्ष 2025-26 में ग्रामीण सड़कों को बेहतर करने के लिए बजट में बड़ी राशि खर्च करने की भी तैयारी है जिससे ग्रामीण इलाकों में एक मैसेज जाए.
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