पटना: बिहार में एक तरफ सरकार का दावा है कि झारखंड के अलग होने के बाद हरित क्षेत्र में लगातार वृद्धि हो रही है. वहीं, पथ निर्माण विभाग की योजनाओं के कारण राजधानी सहित कई स्थानों पर सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर बड़े पैमाने पर पेड़ काटे गए हैं.
नई तकनीक से पेड़ को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लगाने में भी बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली है. इसपर पैसे भी बहुत अधिक खर्च हुए हैं. अधिकारियों की मानें तो यह सफलता 50% के आसपास है. सरकार की नई पॉलिसी का अमल भी सही ढंग से नहीं हो रहा है. इसपर सवाल भी उठने लगे हैं.
पथ निर्माण विभाग ने बनाई है नई पॉलिसी
राजधानी पटना के बेली रोड, गांधी मैदान रोड, वीरचंद पटेल पथ और आर ब्लॉक दीघा रोड के अलावा मीठापुर से मेहुली सहित कई बड़ी निर्माण परियोजना में बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए. पथ निर्माण विभाग ने पॉलिसी बनाई कि पेड़ों को उखाड़कर दूसरे स्थान पर लगाया जाएगा. इसकी शुरुआत आर ब्लॉक दीघा रोड में की गई. इसमें बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली है.
पहली परियोजना थी इसलिए नहीं मिली अधिक सफलता
पथ निर्माण विभाग के बिहार राज्य स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के सीजीएम के अनुसार सफलता 50% के आसपास है. इनका दावा है कि पहली परियोजना थी इसलिए बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली. आने वाले दिनों में सफलता का रेट बढ़ेगा.
"आर ब्लॉक दीघा रोड के निर्माण के दौरान काफी संख्या में पेड़ों को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह लगाया गया. बिहार में इस तरह का यह पहला प्रोजेक्ट था. इसमें करीब 70 फीसदी तक सफलता मिल सकती थी, लेकिन पहला प्रयोग होने के चलते कई पेड़ सूख गए." -संजय कुमार, सीजीएम, बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन
यह भी पढ़ें- पटना में क्यूआर कोड के जरिए कचरा उठाव की होगी निगरानी, लगाए गए 150 कर्मी
पॉलिसी पर नहीं हो रहा अमल
बिहार सरकार के पथ निर्माण विभाग की नई पॉलिसी को लेकर माले के विधायक सत्यदेव आर्य सवाल खड़ा कर रहे हैं.
"हमने पॉलिसी देखी है लेकिन उस पॉलिसी के अनुसार अमल नहीं हो रहा है. इसलिए राजधानी का हरित आवरण समाप्त हो रहा है. सरकार को अपनी नीति पर फिर से विचार करने की जरूरत है. इसके साथ ही ऐसी व्यवस्था करने की जरूरत है, जिससे पॉलिसी को कड़ाई से अमल में लाया जा सके."-सत्यदेव आर्य, विधायक, माले
पटना में काटे गए हजारों पेड़
पटना में पिछले कुछ सालों में 5000 से अधिक पेड़ों को काटा गया है. बिहार की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के दफ्तर वाले सड़क वीरचंद पटेल पथ में भी बड़े-बड़े पेड़ थे. सड़क निर्माण के नाम पर सभी को काट दिया गया. हालांकि कुछ पेड़ लगाए भी गए हैं.
यही हाल आर ब्लॉक दीघा पथ के निर्माण में भी हुआ. पहले यहां रेलवे लाइन था और बड़ी संख्या में पेड़ लगे हुए थे. पेड़ों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया, लेकिन अधिकांश सूख गए. उन्हें कलाकृतियों का रूप दिया गया है. इसके अलावा बिहार की कई बड़ी परियोजनाओं में जहां सड़कें चौड़ीकरण हो रही हैं और नई सड़कों का निर्माण हो रहा है उसमें भी पेड़ काटे गए हैं.
राहत की बात इतनी ही है कि पूरे बिहार में वृक्षारोपण अभियान चलाया गया और उसका असर भी दिख रहा है. बिहार का हरित आच्छादन 15% के आसपास पहुंच गया है. राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में जितने पेड़ कटे थे उसके मुकाबले काफी कम संख्या में पेड़ लगे हैं. नई पॉलिसी पर भी कारगर ढंग से अमल नहीं किया जा रहा है. इसके कारण उसपर सवाल खड़े हो रहे हैं.