पटना: रील की चकाचौंध भरी दुनिया में कम उम्र के युवा दिल्लगी करके बर्बाद हो रहे हैं. चाहे लड़का हो या लड़की इनके लिए प्यार करना एक फैशन बन गया है. प्यार के चक्कर में अपने मूल उद्देश्य जो पढ़ाई है, उससे भटक जा रहे हैं. ऐसे में करियर में असफल हो रहे हैं और फिर इनका प्रेम भी छूट जा रहा है. ना माया मिली ना राम वाली स्थिति बनती दिख रही है. ऐसे में पटना में साइकोथैरेपिस्ट सेंटर में प्रतिदिन दर्जनों ऐसे युवा पहुंच रहे हैं जो प्यार में अपना सब कुछ बर्बाद कर अपना प्यार भी खो चुके हैं और वास्तविक दुनिया की जिम्मेदारियों को देखते हुए तनाव में डूबे हुए हैं.
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आकर्षण को प्रेम समझने की ना करें गलती: दरअसल पटना में हर साल लाखों की संख्या में छोटे शहरों और गांवों से दसवीं पास करने के बाद छात्र-छात्राएं आगे की पढ़ाई करने के लिए पहुंचते हैं. इनका उद्देश्य रहता है राजधानी पटना में बेहतर शिक्षा प्राप्त कर अच्छे कंपटीशन क्वालीफाई करें और अपना अच्छा करियर बनाएं. लेकिन राजधानी में पहुंचते ही यह युवा चकाचौंध भरी दुनिया से रूबरू होते हैं. यहां दिल्लगी कर बैठते हैं और इस दौर में अपने जीवन को वह एक फिल्मी स्टाइल की तरह जीते हैं. गर्लफ्रेंड के सामने खुद को रईस दिखाने के चक्कर में घर से पढ़ाई लिखाई के लिए 7000 से 10000 का जो खर्च आता है वह अपनी माशूका पर उड़ा देते हैं.
पुरुषोत्तम ने बतायी अपनी जिंदगी की बर्बाद कहानी: पटना में 8 वर्ष पूर्व मैट्रिक के बाद मोतिहारी जिले के एक छोटे से गांव से पढ़ने आए युवक पुरुषोत्तम कुमार ने बताया कि जब वह पटना पढ़ने आया तो पढ़ाई में अच्छा था, घरवालों को उससे बहुत उम्मीदें थी. यहां जब वह पहुंचा तो शुरू में कुछ दिन पढ़ाई लिखाई में काफी व्यस्त रहा लेकिन इसी बीच एक लड़की से उनकी दोस्ती हो गई. यह दोस्ती कुछ ही समय में प्यार में बदल गई और उसके बाद पढ़ाई लिखाई छोड़ कर उसी के साथ समय बिताना अच्छा लगता. ट्यूशन कोचिंग बंक करके साथ में फिल्में देखने जाते थे.
"पटना जू, इको पार्क जैसे अन्य जगहों पर क्वालिटी टाइम स्पेंड करने के लिए जाते थे. घर से जो पैसे पढ़ाई लिखाई के लिए आते थे वह साथ घूमने फिरने में खर्च हो जाते थे. कुछ दिन सब कुछ अच्छा रहा लेकिन जब कंपटीशन क्रैक करने का समय आया मैं फेल कर गया. ना करियर बना पाया ना ही लड़की ही साथ रही. लड़की तभी साथ रहेगी जब पास पैसा रहेगा, करियर रहेगा."- पुरुषोत्तम कुमार
युवाओं के डिप्रेशन में जाने के मामले आए सामने: लड़कियों के साथ भी ऐसा ही है. पटना की प्रख्यात साइकोथैरेपिस्ट डॉ बिंदा सिंह बताती हैं कि छोटे शहरों से लड़कियां जब पटना में पढ़ने के लिए आती हैं तो अधिकांश लड़कियां पहली बार अपने घर से दूर रहती हैं. यहां उन्हें आजादी महसूस होती है. इनकी सहेलियां हीं इन्हें इस बात के लिए नीचा दिखाती हैं कि तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है. सहेलियां ही दिल्लगी के लिए उकसाती हैं और बताती हैं कि फलाना लड़का पीछे पड़ा है. धीरे-धीरे लड़की का बॉयफ्रेंड बन जाता है और प्यार परवान चढ़ने लगता है. उसके बाद एक समय पर ब्रेकअप हो जाता है और उसके बाद यह लड़कियां डिप्रेशन में चली जाती हैं.
"जब बच्चे जवान हो रहे होते हैं तो उनके शरीर में हार्मोन तीव्र गति से प्रवाहित होता है और दिमाग हकीकत और कल्पना में अधिक अंतर नहीं कर पाता. ऐसे में जो आकर्षण होता है उसे वह प्यार समझ लेते हैं. प्यार में इस कदर डूब जाते हैं कि एक दूसरे को लेकर अधिक पोजेसिव हो जाते हैं. धीरे-धीरे रिश्ते में घुटन होने लगती है और आगे चलकर ब्रेकअप हो जाता है फिर दोनों तनाव में चले जाते हैं. इन बच्चों के अभिभावकों को चाहिए कि बच्चे यदि बाहर पढ़ने जा रहे हैं तो उन्हें बताएं कि बच्चे अपने लिए पढ़ेंगे, बच्चों के साथ दोस्ताना बर्ताव रखें, बीच-बीच में समझाते रहें कि जो प्यार मोहब्बत का एहसास है, वह आकर्षण होता है. प्यार मोहब्बत की एक उम्र होती है. वह आएगी लेकिन जरूरी है कि अपने करियर को फोकस करें क्योंकि करियर नहीं रहेगा तो प्यार भी साथ नहीं रहेगा."- डॉ बिंदा सिंह, साइकोथैरेपिस्ट
अनीश की गर्लफ्रेंड ने किसी और से कर ली शादी: वहीं बक्सर जिले के अनीश ने बताया कि पढ़ाई लिखाई के लिए वह कुछ वर्षों पूर्व पटना पहुंचे थे. यहां वह लड़के लड़कियों को एक साथ देखते थे और यह उन्हें अच्छा लगता था. मन में ख्वाहिश बन गई कि उनकी भी कोई गर्लफ्रेंड बने. एक लड़की से उनकी दोस्ती हुई और उससे उसे प्यार हो गया. दोनों एक दूसरे से प्यार की बातें करते खूब घूमते और साथ में होटल रेस्टोरेंट में खाने पीने जाते. इस चक्कर में पढ़ाई लिखाई के लिए घर से जो पैसा आता वह उस पर खर्च कर देते थे. कई शाम भूखे रहे तो कई रात चुड़ा गुड़ खाकर गुजारी. 1 दिन उसने अपनी गर्लफ्रेंड को किसी और के साथ बाइक पर घूमते हुए देख लिया. इसके बाद इस मसले पर गर्लफ्रेंड से उसकी खूब बहस हुई. उसने अपनी गर्लफ्रेंड को कई बार मनाने की कोशिश की.
"आज खुद को ठगा हुआ महसूस करता हूं. मुझे खुद पर ग्लानि होती है कि मां-बाप की मेहनत का पैसा गर्लफ्रेंड पर खर्च कर बर्बाद कर दिया. आज रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहा हूं जबकि मेरी गर्लफ्रेंड की एक सरकारी नौकरी वाले से शादी भी पिछले वर्ष हो गई."- अनीश
मनोचिकित्सक ने साझा किए कुछ केस: डॉ बिंदा सिंह बताती हैं कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ लड़के ही प्यार में धोखा खा रहे हैं, लड़कियां भी प्यार में धोखा खा रही हैं. डॉ बिंदा सिंह ने मरीजों के पहचान की गोपनीयता पर अपने कुछ केसेज शेयर किए, जिसे हम आपको बता रहे हैं जिसमें मरीज का नाम बदला हुआ है.
केस 1: भागलपुर की अरुणिमा 12वीं के बाद पटना के बोरिंग रोड इलाके में कंपटीशन की तैयारी के लिए पहुंचती है और यहां गर्ल्स हॉस्टल में रहने लगती है. दूसरी लड़कियों को फोन पर लड़कों के साथ घंटे बात करते हुए देखती है. रूममेट इसका मजाक बनाती है कि कोई बॉयफ्रेंड नहीं है और बताती है कि क्लास में यह लड़का तुमको काफी देखता है. अपने दोस्त के इनीशिएटिव पर ही उस लड़के से मुलाकात होती है और यह मुलाकात धीरे धीरे प्यार में बदल जाता है.
दोनों लगभग 5 वर्ष रिलेशनशिप में रहते हैं. लड़के के प्यार में लड़की इस कदर पागल हो जाती है कि उसका पढ़ाई लिखाई भी छूट जाता है और वह घर वालों की बातों को भी नहीं मानती. घरवालों से बगावत करके लड़के के साथ रहने के लिए फरार हो जाती है. कुछ दिन लड़के के साथ रहती है और फिर उसे लड़का कहता है कि तुम घर चली जाओ हमारा तुम्हारा एक साथ रहना अब संभव नहीं. इस घटना से लड़की बुरी तरह टूट गई है. डॉ बिंदा सिंह बताती हैं कि घर वाले भी अब लड़की को साथ रखने के लिए तैयार नहीं और लड़की के अंदर कई बार जीवन त्याग देने के ख्याल आ रहे हैं.
केस 2: मुजफ्फरपुर का एक लड़का सुमित कुमार बीपीएससी की तैयारी करने के लिए पटना पहुंचता है. नाला रोड इलाके में लॉज में रूम लेता है. बीपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग जॉइन करता है और यहीं उसे एक लड़की से प्यार हो जाता है. दोनों लगभग 4 वर्ष रिलेशनशिप में रहते हैं, प्यार में लड़का पढ़ाई को समय नहीं दे पाता और इस दौरान वह कोई कंपटीशन नहीं निकाल पाता है. एक समय आता है जब लड़की बताती है कि अब वह साथ नहीं रहेगी, उसकी शादी होने जा रही है. लड़का तनाव में चला जाता है कई बार लड़की के परिवार वालों को धमकी देता है कई बार लड़की से मिलने की कोशिश करता है. बात बनती नहीं है और लड़की की शादी हो जाती है. इसके बाद से लड़का पटना छोड़कर अपने गांव लौट गया है और वहां जाकर एक कमरे में बंद होकर गुमनाम सा रहता है.
कई बार उसे खुद को लेकर के भी चीज होती है कि उसके अंदर क्या कमी है कि लड़की उसे छोड़ कर चली गई, अभी भी उसे जैसे मौका मिलता है किसी ना किसी बहाने लड़की का नंबर जुगाड़ करता है और उसके ससुराल में भी कॉल लगा देता है. डॉ बिंदा सिंह ने बताया कि कुछ सप्ताह पहले उसके पेरेंट्स उसे लेकर उनके पास पहुंचे थे. उन्होंने पेरेंट्स को समझाया कि प्यार से बच्चे से बातें करें, उसे बताएं कि किन संघर्षों के साथ उन्होंने अब तक इसे पाला पोसा है, उसे भरोसा दिलाया कि वह जीवन में अच्छा कर सकता है, इसके साथ ही उन्होंने उस बच्चे की काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है.
केस 3: बात पिछले वर्ष की है, कोरोना के 2 वर्षों के लंबे समय के बाद जब स्कूल सुचारू हुए तो छपरा से एक परिवार अपने बच्चे की पढ़ाई लिखाई के लिए पटना पहुंचा. पटना के एक अच्छे स्कूल में 16 वर्षीय बच्चे को नौवीं कक्षा में दाखिला करा दिया गया. यहां इस बच्चे को स्कूल की ही सातवीं क्लास की 14 वर्षीय लड़की से प्यार हो गया. दोनों ने नंबर एक्सचेंज किया और घर पर समय मिलते दोनों एक दूसरे से बातें करने लगते. लड़के के परिवार वालों को मोबाइल पर अधिक बात करने को लेकर कुछ संदेह हुआ तो लड़के से मोबाइल छीन लिया गया. ऐसे में कुछ दिनों तक उसकी लड़की से बातचीत नहीं हुई जिसके बाद उसने अपने हाथ का नस काट लिया.
डॉ बिंदा सिंह ने बताया कि कुछ महीने पहले पेरेंट्स बच्चे को लेकर उनके पास पहुंचे, उन्होंने बच्चे की काउंसलिंग शुरू की. यह बच्चे ने बताया कि कोरोना के दौरान मोबाइल से पढ़ाई के दौरान कई वेबसाइट का उसे पता चला और मोबाइल वीडियोस को देखते हुए ही उसने प्यार के अनुभव को समझा. बच्चे ने उन्हें बताया कि वह लड़की से बहुत प्यार करता है और दुनिया में उसे कुछ नहीं बस वह लड़की ही चाहिए. उन्होंने उस बच्चे की काफी काउंसलिंग की है और अब बच्चा पेरेंट्स की बातों को भी थोड़ा सुन समझ रहा है और पढ़ाई लिखाई को भी समय दे रहा है लेकिन उसके जेहन में अभी भी उस लड़की का ख्याल बना हुआ है.
केस 4: सासाराम की आरती दसवीं के बाद मेडिकल की तैयारी के लिए बोरिंग रोड इलाके में पहुंचती है. यहां उसे एक लड़की से प्यार हो जाता है और दोनों एक साथ बहुत रोमांच करते हैं जिसमें साथ बैठकर सिगरेट और अन्य नशा करना शामिल है. लड़की मेडिकल का कंपटीशन क्वालीफाई नहीं करती है और पेरेंट्स घर बुला लेते हैं. यहां ना उसका प्यार उसके साथ रहता है ना नशा का सामान और लड़की एग्रेसिव डिप्रेशन में चली जाती है. डॉ बिंदा सिंह सिंह बताती है कि लड़की के पेरेंट्स कुछ दिनों पहले उसे लेकर उनके पास पहुंचे थे, लड़की की काउंसलिंग चल रही है.