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बिहार राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण का संचालन महिलाओं के हाथ, महिला सशक्तिकरण की दिशा में पटना हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण कदम

Patna High Court: बिहार में महिला सशक्तिकरण की दिशा में पटना उच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक कदम उठाया है. न्यायिक कार्यों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं के हाथ में कमान सौंपी गई है. न्यायिक कार्यों से जुड़ी महिलाओं ने न्यायालय के इस कदम की सराहना की है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

पटना उच्च न्यायालय
पटना उच्च न्यायालय
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 12, 2023, 1:46 PM IST

पटना: बिहार में न्यायिक कार्यों में महिलाओं की भागीदारी कम थी, जिसे देखते हुए महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पटना उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है. हाईकोर्ट के द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है. बिहार राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के संचालन का कार्य महिला न्यायिक अधिकारियों को सौंपा गया है. पूरे कार्यालय का नेतृत्व महिला न्यायिक अधिकारियों द्वारा किया जाएगा.

पटना उच्च न्यायालय ने उठाया ऐतिहासिक कदम: बीएसएलएसए के इतिहास में यह पहली बार है कि इसका कार्यालय पूरी तरह से महिला न्यायिक अधिकारियों द्वारा संचालन और नेतृत्व किया जाएगा. जिलों में तैनात न्यायिक सेवा के अधिकारियों का बाकायदा समायोजन भी किया गया है. शिल्पी सोनीराज जो कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश, लखीसराय को बीएसएलएसए के सदस्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है. धृति जसलीन शर्मा बीएसएलएसए के प्रभावी कामकाज में योगदान देने के लिए अपनी विशेषज्ञता लेकर संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त की गई है.

इन न्यायिक अधिकारियों की हुई नियुक्ति: वहीं विभा द्विवेदी रजिस्ट्रार के रूप में नियुक्ति की गई है, विभा द्विवेदी बीएसएलएसए के प्रशासनिक मामलों की देखरेख में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. आरती कुमारी और नेहा निहारिका सहायक रजिस्ट्रार के पद पर काम करेंगी. बता दें कि हाल के एक घटनाक्रम में पटना उच्च न्यायालय ने अपनी पीठ में एक नए सदस्य के रूप में न्यायमूर्ति गुन्नू अनुपमा चक्रवर्ती का स्वागत किया है. पटना उच्च न्यायालय की महिला अधिवक्ता भी न्यायिक प्रशासन के फैसले से खुश हैं. अधिवक्ता वंदना सिन्हा ने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है

"महिलाएं कई तरह की समस्याओं से जूझती हैं, वैसे में समस्याओं के निदान में महिला अधिकारी और अधिवक्ता बेहतर भूमिका निभा सकती हैं. इस योजना को ठीक तरह से लागू किया जाए तो इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं और यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में माइलस्टोन साबित होगा."- वंदना सिन्हा, अधिवक्ता

पढ़ें-Nepali Nagar Gorund Report: पटना हाईकोर्ट के फैसले से नेपाली नगर वासी खुश, बोले- 'जज साहब का शुक्रिया'

पटना: बिहार में न्यायिक कार्यों में महिलाओं की भागीदारी कम थी, जिसे देखते हुए महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पटना उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है. हाईकोर्ट के द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है. बिहार राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के संचालन का कार्य महिला न्यायिक अधिकारियों को सौंपा गया है. पूरे कार्यालय का नेतृत्व महिला न्यायिक अधिकारियों द्वारा किया जाएगा.

पटना उच्च न्यायालय ने उठाया ऐतिहासिक कदम: बीएसएलएसए के इतिहास में यह पहली बार है कि इसका कार्यालय पूरी तरह से महिला न्यायिक अधिकारियों द्वारा संचालन और नेतृत्व किया जाएगा. जिलों में तैनात न्यायिक सेवा के अधिकारियों का बाकायदा समायोजन भी किया गया है. शिल्पी सोनीराज जो कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश, लखीसराय को बीएसएलएसए के सदस्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है. धृति जसलीन शर्मा बीएसएलएसए के प्रभावी कामकाज में योगदान देने के लिए अपनी विशेषज्ञता लेकर संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त की गई है.

इन न्यायिक अधिकारियों की हुई नियुक्ति: वहीं विभा द्विवेदी रजिस्ट्रार के रूप में नियुक्ति की गई है, विभा द्विवेदी बीएसएलएसए के प्रशासनिक मामलों की देखरेख में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. आरती कुमारी और नेहा निहारिका सहायक रजिस्ट्रार के पद पर काम करेंगी. बता दें कि हाल के एक घटनाक्रम में पटना उच्च न्यायालय ने अपनी पीठ में एक नए सदस्य के रूप में न्यायमूर्ति गुन्नू अनुपमा चक्रवर्ती का स्वागत किया है. पटना उच्च न्यायालय की महिला अधिवक्ता भी न्यायिक प्रशासन के फैसले से खुश हैं. अधिवक्ता वंदना सिन्हा ने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है

"महिलाएं कई तरह की समस्याओं से जूझती हैं, वैसे में समस्याओं के निदान में महिला अधिकारी और अधिवक्ता बेहतर भूमिका निभा सकती हैं. इस योजना को ठीक तरह से लागू किया जाए तो इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं और यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में माइलस्टोन साबित होगा."- वंदना सिन्हा, अधिवक्ता

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