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ये क्या! कभी साथ चलने वालों से लेकर वरिष्ठ पत्रकार कह रहे- 'कुर्सी के खेल में बदल गए नीतीश'

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Published : Feb 3, 2021, 3:59 PM IST

Updated : Feb 3, 2021, 8:03 PM IST

नीतीश कुमार को अपना विरोध बर्दाश्त नहीं होता. वे कुर्सी के लोभी हो गए हैं. यह बातें राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी और वरिष्ठ पत्रकार शुकांत नागार्जुन ने कहीं. ईटीवी भारत ने जानना चाहा कि नीतीश कुमार और उनकी सरकार का रुख कैसा है? उनके फैसले पर भी बातें हुई. जाने इंटरव्यू के दौरान क्या हुई बातें...

शिवानंद तिवारी और शुकांत नागार्जुन
शिवानंद तिवारी और शुकांत नागार्जुन

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कभी करीबी रहे राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने बड़ी बात कह दी है. बिहार सरकार के हालिया फैसलों पर सवाल खड़ी करते हुए शिवानंद तिवारी ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री सत्ता के नशे में चूर हैं. उन्हें अपना विरोध बर्दाश्त नहीं. इसलिए अब वे अभिव्यक्ति की आजादी भी लोगों से छीन रहे हैं. वहीं बिहार के वरिष्ठ पत्रकार शुकांत नागार्जुन ने कहा, नीतीश जी कुर्सी के पाबंद हो गए हैं. वे पहले ऐसे नहीं थे. दिल्ली में हो रही घटनाओं से उनमें भी बदलाव आने लगा है.

कभी वे भी प्रेस की आजादी पर बोले थे
कुछ पुरानी बातों का जिक्र करते हुए शिवानंद तिवारी ने कहा कि जब अभिव्यक्ति की आजादी पर तत्कालीन बिहार सरकार ने हमला बोला था, तब नीतीश कुमार काफी मुखर हुए थे. मेरे साथ 1 महीने से ज्यादा समय तक जेल में रहे थे. पर वहीं नीतीश अब ना सिर्फ सोशल मीडिया पर सवाल खड़ी कर रहे हैं, बल्कि विरोध प्रदर्शन करने पर युवाओं और बेरोजगारों पर अपराधी का ठप्पा लगाने की बात कह रहे हैं.

राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी
राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी

ये भी पढ़ें- ऐसे लगेगा अपराध पर लगाम? मेंटेनेंस के अभाव में खराब पड़े हैं पटना में लगे 70% CCTV कैमरे

दो आदेश जिस पर सियासत हुई गर्म
शिवानंद तिवारी ने कहा, पिछले दिनों सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने को लेकर भी बिहार सरकार ने एक आदेश जारी किया था. जिसके तहत यह कहा गया है कि ऐसे मामलों में कार्रवाई होगी. अब बिहार सरकार ने एक नया आदेश जारी किया है. जिसके तहत विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों पर सरकार कड़ी निगाह रखेगी. उन्हें चार्ज शीट होने पर किसी नौकरी या ठेके में जगह नहीं मिलेगी. इस बात को लेकर बिहार में सियासत चरम पर है. विपक्ष नीतीश सरकार पर हमला बोल रही है.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- पशुपालन विभाग की बड़ी लापरवाही: पशुओं की दवा और चारा रखे-रखे हो गई एक्सपायर, अब हो रही छुपाने की कोशिश

पार्टी में असहमति तक नहीं करते बर्दाश्त
नीतीश कुमार के करीबी रहे शिवानंद तिवारी तो यहां तक कहते हैं कि नीतीश कुमार को दरअसल अपना विरोध बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होता. वह अपनी पार्टी में भी विरोध तो क्या किसी की असहमति भी बर्दाश्त नहीं करते. इसका जीता जागता उदाहरण मैं खुद हूं.

नीतीश कुमार को कुर्सी ने अपने रंग में रंग दिया
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार शुकांत नागार्जुन ने कहा, कुर्सी का अपना एक चरित्र होता है. इंसान किसी भी विचारधारा का हो. कुर्सी उसे अपने रंग में रंग देती है. नीतीश जी को भी कुर्सी ने अपने रंग में रंग दिया है. मैंने नीतीश जी का वह रूप भी देखा है. वे सड़क पर उतर कर लड़ते थे. छात्र आंदोलन की उपज हैं वो. आपातकाल में उन्होंने यातनाएं झेली हैं. राज्य में पुलिस विधेयक में भी वे सड़क पर उतरे. उनमें अब आया बदलाव सिर्फ कुर्सी के कारण है.

वरिष्ठ पत्रकार शुकांत नागार्जुन
वरिष्ठ पत्रकार शुकांत नागार्जुन

ये भी पढ़ें- पटना: 63 विधायकों को बंगला आवंटित, देखिए पूरी लिस्ट

सत्ताधारी समूह भी हो सकता है बदलाव का कारण
शुकांत नागार्जुन ने कहा, बिहार को आइसोलेट करके हमें नहीं देखना चाहिए. सत्ताधारी समूह पूरे देश में ऐसा कर रही है, जैसा आज नीतीश कुमार यहां फैसला ले रहे हैं. एनडीए में भी ऐसा ही हो रहा है. दिल्ली में जो कुछ हो रहा है. सीमा पर जो हो रहा है. जनतांत्रिक आंदोलन के साथ जो हो रहा है. वही अब बिहार में नीतीश जी भी कर रहे हैं. नीतीश का सबसे बेहतर अवसर 2005 के नवंबर से 2014 के मई तक था. यह उनके राजनीतिक जीवन का उत्कर्ष काल था. अब उनके वक्त में क्षरण हो रहा है.

देखें... नीतीश के बदले तेवर के बारे में क्या कह रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार शुकांत नागार्जुन

ये भी पढ़ें- राज्यसभा में बोले आरसीपी सिंह- 'कलही राजनीति से आगे बढ़कर विपक्ष किसान हित की करें बात'

उनके लिए दो तरह के लोग बजा रहे हैं तालियां
उन्होंने कहा, उन्हें ये गौर से सोचना चाहिए. उनके लिए तालियां बजाने वालों में कमी हो गई है. अब दो तरह के लोग ही तालियां बजा रहे हैं. एक जो उनके सामने तालियां बजाते हैं दूसरे वो जो स्वार्थ में बजा रहे हैं. कमी क्यों हुई. यह नीतीश जी को सोचना चाहिए. 2010 में जो पार्टी नंबर एक पार्टी थी. 10 साल में वह तीन नंबर की पार्टी क्यों बन गई. जो अधिकार से मुख्यमंत्री थे, वे अब दया के मुख्यमंत्री हो गए हैं.

ये भी पढ़ें- रूपेश मर्डर केस का खुलासा: सुनिए SSP की जुबानी, हत्याकांड की पूरी कहानी

शराबबंदी ने नीतीश जी के दौर को तोड़ दिया
शराबबंदी के फैसले के बारे में शुकांत नागार्जुन ने कहा, नीतीश जी के दौर को शराबबंदी के निर्णय ने तोड़फोड़ के बर्बाद कर दिया है. करोड़ों रुपए के शराब अब तक पुलिस ने बरामद कर लिए हैं. लेकिन हम गुनगान कर रहे हैं कि शराबबंदी है, शराबबंदी है. यह कैसी शराबबंदी है और यह कैसा फैसला है.

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कभी करीबी रहे राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने बड़ी बात कह दी है. बिहार सरकार के हालिया फैसलों पर सवाल खड़ी करते हुए शिवानंद तिवारी ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री सत्ता के नशे में चूर हैं. उन्हें अपना विरोध बर्दाश्त नहीं. इसलिए अब वे अभिव्यक्ति की आजादी भी लोगों से छीन रहे हैं. वहीं बिहार के वरिष्ठ पत्रकार शुकांत नागार्जुन ने कहा, नीतीश जी कुर्सी के पाबंद हो गए हैं. वे पहले ऐसे नहीं थे. दिल्ली में हो रही घटनाओं से उनमें भी बदलाव आने लगा है.

कभी वे भी प्रेस की आजादी पर बोले थे
कुछ पुरानी बातों का जिक्र करते हुए शिवानंद तिवारी ने कहा कि जब अभिव्यक्ति की आजादी पर तत्कालीन बिहार सरकार ने हमला बोला था, तब नीतीश कुमार काफी मुखर हुए थे. मेरे साथ 1 महीने से ज्यादा समय तक जेल में रहे थे. पर वहीं नीतीश अब ना सिर्फ सोशल मीडिया पर सवाल खड़ी कर रहे हैं, बल्कि विरोध प्रदर्शन करने पर युवाओं और बेरोजगारों पर अपराधी का ठप्पा लगाने की बात कह रहे हैं.

राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी
राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी

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दो आदेश जिस पर सियासत हुई गर्म
शिवानंद तिवारी ने कहा, पिछले दिनों सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने को लेकर भी बिहार सरकार ने एक आदेश जारी किया था. जिसके तहत यह कहा गया है कि ऐसे मामलों में कार्रवाई होगी. अब बिहार सरकार ने एक नया आदेश जारी किया है. जिसके तहत विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों पर सरकार कड़ी निगाह रखेगी. उन्हें चार्ज शीट होने पर किसी नौकरी या ठेके में जगह नहीं मिलेगी. इस बात को लेकर बिहार में सियासत चरम पर है. विपक्ष नीतीश सरकार पर हमला बोल रही है.

देखें रिपोर्ट

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पार्टी में असहमति तक नहीं करते बर्दाश्त
नीतीश कुमार के करीबी रहे शिवानंद तिवारी तो यहां तक कहते हैं कि नीतीश कुमार को दरअसल अपना विरोध बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होता. वह अपनी पार्टी में भी विरोध तो क्या किसी की असहमति भी बर्दाश्त नहीं करते. इसका जीता जागता उदाहरण मैं खुद हूं.

नीतीश कुमार को कुर्सी ने अपने रंग में रंग दिया
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार शुकांत नागार्जुन ने कहा, कुर्सी का अपना एक चरित्र होता है. इंसान किसी भी विचारधारा का हो. कुर्सी उसे अपने रंग में रंग देती है. नीतीश जी को भी कुर्सी ने अपने रंग में रंग दिया है. मैंने नीतीश जी का वह रूप भी देखा है. वे सड़क पर उतर कर लड़ते थे. छात्र आंदोलन की उपज हैं वो. आपातकाल में उन्होंने यातनाएं झेली हैं. राज्य में पुलिस विधेयक में भी वे सड़क पर उतरे. उनमें अब आया बदलाव सिर्फ कुर्सी के कारण है.

वरिष्ठ पत्रकार शुकांत नागार्जुन
वरिष्ठ पत्रकार शुकांत नागार्जुन

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सत्ताधारी समूह भी हो सकता है बदलाव का कारण
शुकांत नागार्जुन ने कहा, बिहार को आइसोलेट करके हमें नहीं देखना चाहिए. सत्ताधारी समूह पूरे देश में ऐसा कर रही है, जैसा आज नीतीश कुमार यहां फैसला ले रहे हैं. एनडीए में भी ऐसा ही हो रहा है. दिल्ली में जो कुछ हो रहा है. सीमा पर जो हो रहा है. जनतांत्रिक आंदोलन के साथ जो हो रहा है. वही अब बिहार में नीतीश जी भी कर रहे हैं. नीतीश का सबसे बेहतर अवसर 2005 के नवंबर से 2014 के मई तक था. यह उनके राजनीतिक जीवन का उत्कर्ष काल था. अब उनके वक्त में क्षरण हो रहा है.

देखें... नीतीश के बदले तेवर के बारे में क्या कह रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार शुकांत नागार्जुन

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उनके लिए दो तरह के लोग बजा रहे हैं तालियां
उन्होंने कहा, उन्हें ये गौर से सोचना चाहिए. उनके लिए तालियां बजाने वालों में कमी हो गई है. अब दो तरह के लोग ही तालियां बजा रहे हैं. एक जो उनके सामने तालियां बजाते हैं दूसरे वो जो स्वार्थ में बजा रहे हैं. कमी क्यों हुई. यह नीतीश जी को सोचना चाहिए. 2010 में जो पार्टी नंबर एक पार्टी थी. 10 साल में वह तीन नंबर की पार्टी क्यों बन गई. जो अधिकार से मुख्यमंत्री थे, वे अब दया के मुख्यमंत्री हो गए हैं.

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शराबबंदी ने नीतीश जी के दौर को तोड़ दिया
शराबबंदी के फैसले के बारे में शुकांत नागार्जुन ने कहा, नीतीश जी के दौर को शराबबंदी के निर्णय ने तोड़फोड़ के बर्बाद कर दिया है. करोड़ों रुपए के शराब अब तक पुलिस ने बरामद कर लिए हैं. लेकिन हम गुनगान कर रहे हैं कि शराबबंदी है, शराबबंदी है. यह कैसी शराबबंदी है और यह कैसा फैसला है.

Last Updated : Feb 3, 2021, 8:03 PM IST
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