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किसान बिल: बिहटा में दिखा भारत बंद का असर, राजद और माले ने किया विरोध-प्रदर्शन

किसान बिल को लेकर भारत बंद का असर बिहटा में भी दिखा. राजद और माले नेताओं ने सड़क पर बैठकर कृषि कानूनों का विरोध किया. वहीं लोगों को गुलाब का फूल देकर भी भारत बंद का सर्मथन मांगा गया.

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किसान बिल को लेकर भारत बंद का असर
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Published : Dec 8, 2020, 4:21 PM IST

पटना: किसान कानूनों के विरोध में देशव्यापी बंद का असर राजधानी पटना के बिहटा में भी देखने को मिला. जहां बिहटा चौराहे पर राजद और माले कार्यकर्ताओं ने बिहटा-आरा-पटना और औरंगाबाद मुख्य सड़क को जाम कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.

कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस की नोकझोंक
वहीं विपक्षी पार्टीयों के कार्यकर्ताओं ने हाथों में बैनर लेकर सड़क पर उतरे. बिहटा चौक से प्रदर्शन कर रहे लोग बाजार तक सरकार विरोधी नारा लगाते हुए पैदल मार्च किया और बिल का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की. वहीं विरोध के दौरान सड़कों पर बैठे राजद व माले के कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस की थोड़ी देर के लिए नोकझोंक भी हुई. हालांकि थोड़ी देर के बाद मामला शांत हो गया.

शांतिपूर्ण तरीके से भारत बंद का समर्थन
वहीं जाम के दौरान सभी इमरजेंसी सेवाएं चालू दिखी. खुद राजद के कार्यकर्ताओं ने एंबुलेंस एवं अन्य इमरजेंसी गाड़ियों को रास्ता दिया और उन्हें आगे तक भेजा. इसके साथ शांतिपूर्ण तरीके से विपक्षी पार्टियों ने इस बिल के विरोध में भारत बंद का समर्थन किया. साथ ही बाजारों में राजद नेता रामप्रवेश यादव ने स्थानीय लोगों एवं पुलिस प्रशासन को गुलाब का फूल देकर भारत बंद के लिए समर्थन मांगा.

बिहटा में दिखा भारत बंद का असर

किसानों पर दिल्ली में बरसाई गईं लाठियां
वहीं माले पार्टी के किसान नेता गोपाल सिंह ने कहा कि कोरोना काल में किसान विरोधी काला कानून को केंद्र की सरकार ने एक साथ पास कर जबरन किसानों पर थोप दिया और बिल का विरोध कर रहे किसानों पर दिल्ली में लाठियां बरसाई गईं. सरकार से उनका संगठन मांग करता है कि तीनों बिल को वापस ले और किसानों के प्रति तानाशाही रवैये को छोड़े. पहले मोदी सरकार ने कहा था कि 2022 तक किसानों की आय में दोगुनी होगी लेकिन यहां तो किसान एक बार फिर गुलाम बनते दिख रहे हैं. यह काला कानून बिल्कुल नहीं चलेगा. इसे सरकार जल्द से जल्द वापस ले, नहीं तो इससे भी तेज और उग्र आंदोलन किया जाएगा.

किसान के साथ-साथ आम इंसान भी परेशान
किसान के हित में सोचें नहीं तो किसान सरकार का लगातार विरोध करते रहेंगे. जब तक सरकार किसानों की मांग नहीं मानती तब तक विपक्षी पार्टियां इसका लगातार विरोध करते रहेंगे. वहीं उनका ये भी कहना है कि जब से मोदी सरकार केंद्र में आई है तब से किसान के साथ-साथ आम इंसान भी परेशान है.

गौरतलब है कि केन्द्र के द्वारा बनाये गए किसान के नए कृषि बिल के विरोध में पिछले कई दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर पंजाब एवं हरियाणा के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और वापस लेने की मांग कर रहे हैं. जिसको लेकर किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है. जिसका देश की तमाम विपक्षी पार्टियों ने सर्मथन किया है.

पटना: किसान कानूनों के विरोध में देशव्यापी बंद का असर राजधानी पटना के बिहटा में भी देखने को मिला. जहां बिहटा चौराहे पर राजद और माले कार्यकर्ताओं ने बिहटा-आरा-पटना और औरंगाबाद मुख्य सड़क को जाम कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.

कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस की नोकझोंक
वहीं विपक्षी पार्टीयों के कार्यकर्ताओं ने हाथों में बैनर लेकर सड़क पर उतरे. बिहटा चौक से प्रदर्शन कर रहे लोग बाजार तक सरकार विरोधी नारा लगाते हुए पैदल मार्च किया और बिल का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की. वहीं विरोध के दौरान सड़कों पर बैठे राजद व माले के कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस की थोड़ी देर के लिए नोकझोंक भी हुई. हालांकि थोड़ी देर के बाद मामला शांत हो गया.

शांतिपूर्ण तरीके से भारत बंद का समर्थन
वहीं जाम के दौरान सभी इमरजेंसी सेवाएं चालू दिखी. खुद राजद के कार्यकर्ताओं ने एंबुलेंस एवं अन्य इमरजेंसी गाड़ियों को रास्ता दिया और उन्हें आगे तक भेजा. इसके साथ शांतिपूर्ण तरीके से विपक्षी पार्टियों ने इस बिल के विरोध में भारत बंद का समर्थन किया. साथ ही बाजारों में राजद नेता रामप्रवेश यादव ने स्थानीय लोगों एवं पुलिस प्रशासन को गुलाब का फूल देकर भारत बंद के लिए समर्थन मांगा.

बिहटा में दिखा भारत बंद का असर

किसानों पर दिल्ली में बरसाई गईं लाठियां
वहीं माले पार्टी के किसान नेता गोपाल सिंह ने कहा कि कोरोना काल में किसान विरोधी काला कानून को केंद्र की सरकार ने एक साथ पास कर जबरन किसानों पर थोप दिया और बिल का विरोध कर रहे किसानों पर दिल्ली में लाठियां बरसाई गईं. सरकार से उनका संगठन मांग करता है कि तीनों बिल को वापस ले और किसानों के प्रति तानाशाही रवैये को छोड़े. पहले मोदी सरकार ने कहा था कि 2022 तक किसानों की आय में दोगुनी होगी लेकिन यहां तो किसान एक बार फिर गुलाम बनते दिख रहे हैं. यह काला कानून बिल्कुल नहीं चलेगा. इसे सरकार जल्द से जल्द वापस ले, नहीं तो इससे भी तेज और उग्र आंदोलन किया जाएगा.

किसान के साथ-साथ आम इंसान भी परेशान
किसान के हित में सोचें नहीं तो किसान सरकार का लगातार विरोध करते रहेंगे. जब तक सरकार किसानों की मांग नहीं मानती तब तक विपक्षी पार्टियां इसका लगातार विरोध करते रहेंगे. वहीं उनका ये भी कहना है कि जब से मोदी सरकार केंद्र में आई है तब से किसान के साथ-साथ आम इंसान भी परेशान है.

गौरतलब है कि केन्द्र के द्वारा बनाये गए किसान के नए कृषि बिल के विरोध में पिछले कई दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर पंजाब एवं हरियाणा के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और वापस लेने की मांग कर रहे हैं. जिसको लेकर किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है. जिसका देश की तमाम विपक्षी पार्टियों ने सर्मथन किया है.

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