पटना: शिक्षा विभाग की शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में अपर मुख्य शिक्षा सचिव ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के साथ बिहार में नये खुलने वाले स्कूलों और हड़ताली शिक्षकों को लेकर चर्चा की. हालांकि, हड़ताल खत्म करने को लेकर इस बैठक में कोई फैसला नहीं हुआ. सरकार की ओर से शिक्षकों को हड़ताल से लौटने का एक और मौका दिया गया है.
शिक्षा विभाग के प्रवक्ता अमित कुमार ने बताया कि नियम के मुताबिक जो शिक्षक सस्पेंड हैं, उन्हें सस्पेंशन अवधि के दौरान जीवन निर्वहन भत्ता मिलेगा. उन्होंने बताया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक में शामिल अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि जो शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष हड़ताल से लौटना चाहते हों, वो जिला शिक्षा पदाधिकारी के समक्ष अपना योगदान कर सकते हैं. अगर इसमें कोई कठिनाई है, तो वो प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के पास जाकर भी अपना योगदान दे सकते हैं.
'हड़ताल की अवधि में नो वर्क नो पे का सिद्धांत रहेगा लागू'
बैठक में प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि हड़ताली शिक्षक 20 मई से पहले योगदान करके सेवा शर्त में टूट से बच सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर वे काम पर लौटते हैं, तो डीईओ या बीईओ संबंधित नियोजन इकाई को उनका सस्पेंशन रद्द करने की सिफारिश भी कर सकते हैं. काम पर लौटने वाले शिक्षकों को कार्य अवधि का पूरा भुगतान किया जाएगा. हालांकि, हड़ताल की अवधि में 'नो वर्क, नो पे' का सिद्धांत लागू रहेगा.
'आजादी के बाद शिक्षकों की उपेक्षा करने वाली पहली सरकार'
वहीं, बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक ब्रजनंदन शर्मा ने कहा कि सरकार शिक्षक संगठन और शिक्षक आंदोलन को कमजोर करने की साजिश कर रही है. शिक्षा विभाग द्वारा पदाधिकारियों को दिए गए निर्देश का बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति कड़े शब्दों में भर्त्सना करती है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अपने पद की ताकत के मद में अहंकारी हो गए हैं. राज्य में आजादी के बाद शिक्षकों की उपेक्षा करने वाली ये पहली सरकार है. हम अपने हड़ताल पर कायम हैं और वार्ता होने तक हमारी हड़ताल जारी रहेगी.