पटनाः सीएम नीतीश कुमार के संसदीय जीवन पर आधारित पुस्तक 'संसद में नीतीश' का आज शुक्रवार को पटना में विमोचन किया जाएगा. इस कार्यक्रम में वित्त मंत्री विजय चौधरी, ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव समेत जदयू के कई प्रमुख नेता मौजूद रहेंगे. इस पुस्तक को बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य जगनारायण सिंह यादव ने लिखा है. यह पुस्तक 5 वॉल्यूम में तैयार की गई है और 15 वर्षों के संसदीय जीवन में नीतीश कुमार ने संसद में जो कुछ भी बोला है उसी को पुस्तक में संपादित किया गया है.
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नीतीश में देश के प्रधानमंत्री का अक्स: पुस्तक के लेखक जगनारायण सिंह यादव सीएम नीतीश में देश के प्रधानमंत्री का अक्स देखते हैं. ऐसे में ईटीवी से साक्षात्कार में उन्होंने बताया है कि नीतीश कुमार का संसदीय जीवन कैसा रहा है और क्यों उनमें प्रधानमंत्री बनने की पूरी काबिलियत है. लेखक ने किस प्रकार से विभिन्न सवालों का दिया है जवाब और कैसा रहा है सीएम नीतीश का संसदीय जीवन, पढ़िए रिपोर्ट...
सवाल: पुस्तक 'संसद में नीतीश कुमार' में क्या है, क्यों लिखा है ?
जवाब: जगनारायण सिंह यादव ने बताया कि नीतीश कुमार 1989 से 2005 नवंबर तक संसदीय जीवन में रहे. कई बार मंत्री के रूप में भी कार्य किए हैं और इनके जो भाषण है उन्हीं को पांच खंडों में बांटकर पुस्तक के रूप में इन्होंने संपादित किया है. नीतीश कुमार बहुत ही जागरूक और सचेत पार्लियामेंट के मेंबर रहे हैं, इनके जो भाषण हैं वह बताते हैं कि मंत्री के तौर पर भी सचेत रहते हुए सुचिता के हिसाब से आवाम के हितों के मसले को उठाते रहे हैं.
जब संसदीय जीवन से निकलकर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो संसद में जिन मुद्दों को उठाते रहे उसे प्रदेश में लागू किया. उदाहरण के तौर पर 1960 के एपीएमसी एक्ट को समाप्त कर कृषि बाजार का विकेंद्रीकरण किया और पैक्स को पंचायत से जोड़ने का काम बाजार को किसानों के दरवाजे तक लाने का नीतीश कुमार ने बतौर मुख्यमंत्री काम किया है. समाजवाद की धारा भी लोकतंत्र में शासन-प्रशासन के विकेंद्रीकरण की बात करती है.
सवाल: पुस्तक को पांच खंडों में लिखा गया है, ऐसा क्यों?
जवाब: नीतीश कुमार भारत को कृषि प्रधान देश मानते हैं और कृषि को लेकर उनकी सोच रही है, 5 साल तक रेल मंत्री भी रहे हैं, इसके अलावा विकसित भारत को लेकर इनकी अलग सोच रही है साथ ही साथ भारतीय समाज को लेकर इनकी चिंतन रही है और भारतीय राजनीति में इन्होंने सुचिता की राजनीति की है. ऐसे में नीतीश कुमार के संसदीय भाषणों को 5 खंड में बांटकर उन्होंने संपादित किया है.
पहला खंड है कृषि प्रधान भारत: इसमें उन्होंने किसानों को लेकर नीतीश कुमार की जो सोच रही है संसद में जो उनके भाषण है किसानों की स्थिति बेहतर करने के लिए उसे संकलित किया है. साल 2002 में संसद में बतौर कृषि मंत्री नीतीश कुमार ने कृषि नीति पेश किया, जिसमें 48 बिंदु हैं. किसानों को क्या-क्या कठिनाई हो रही है, क्या क्या उन्हें मिलना चाहिए सभी पर विस्तार से चर्चा है.
दूसरा खंड है भारतीय रेलवे: बतौर रेल मंत्री नीतीश कुमार ने पांच रेल बजट पेश किए हैं और रेलवे के आधुनिकरण में नीतीश कुमार का बड़ा योगदान है. रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के साथ-साथ उसे बेहतर तकनीक से जोड़ने का काम किया और आज इसका परिणाम है कि पुलवामा तक रेल यातायात संभव है और वंदे भारत जैसी ट्रेनें चल रही हैं.
तीसरा खंड है विकासशील भारत: नीतीश कुमार भारत को विकसित राष्ट्र कैसे बनाया जा सकता है इस पर उनके जो विचार हैं उसे रखा है. इसमें औद्योगिकरण को लेकर सवाल हैं, बिजली और कोयले को लेकर सवाल है. देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को लेकर जो उनके सवाल रहे हैं उसे इस खंड में रखा गया है.
चौथा खंड है भारतीय समाज: भारतीय समाज में जाति एक प्रमुख विषय है और नीतीश कुमार बहुत पहले से सभी जातियों की वास्तविक संख्या और उनकी स्थिति सार्वजनिक करने की मांग करते रहे हैं. ऐसा इसलिए ताकि उनके लिए चलाई जा रही विकास की योजनाओं को सही तरीके से क्रियान्वयन किया जा सके. 4 अगस्त हीं इस पुस्तक को विमोचन करने के लिए दिन इसलिए भी तय किया गया है क्योंकि 4 अगस्त 1993 को संसद में नीतीश कुमार ने जातियों के आंकड़े को सार्वजनिक करने की बात उठाई थी. आज 30 वर्ष बाद बिहार हाई कोर्ट ने मंजूरी दी जिसके बाद बिहार में जाति गणना कार्य चल रहा है. इसके अलावा बाबरी मस्जिद विध्वंस पर सामाजिक सौहार्द के लिए नीतीश कुमार के जो वक्तव्य थे उसे भी इस खंड में संकलित किया गया है.
पांचवां और आखिरी खंड है: भारतीय राजनीति, जगनारायण सिंह यादव ने बताया कि नीतीश कुमार भारतीय राजनीति में शुचिता के लिए जाने जाते हैं. राजनीति में जो मर्यादा की गिरावट हो रही है उस पर मुखरता से संसद में नीतीश कुमार के वक्तव्य हैं जिसमें उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत किए हैं. भ्रष्टाचार पर भी मुखरता से नीतीश कुमार ने बोला है. इस खंड में विभिन्न ने संविधान संशोधनों में नीतीश कुमार ने जो भाषण दिए हैं उसे भी रखा गया है.
सवाल: क्या आप पुस्तक के माध्यम से आप बता रहे हैं कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने की काबिलियत रखते हैं?
जवाबः नीतीश कुमार के 15 वर्षों का जो संसदीय जीवन है, उसमें उनके गुणवत्ता को कोई नकार नहीं सकता. पार्लियामेंट में अब तक इनकी जो भूमिका रही है उससे स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री बनने की नीतीश कुमार में भारी क्षमता है. बनना ना बनना देश की जनता तय करेगी लेकिन देश हित में आम अवाम की हित में इन्होंने कई मुद्दों को उठाया है चाहे रेट इक्विलाइजेशन का मामला हो या कोयला के रॉयल्टी के संबंध में प्रश्न किया है, तमाम ऐसे तथ्य हैं जिसे उन्होंने पुस्तक के माध्यम से देश की जनता को उपलब्ध कराएं है ताकि वह पढ़ें और नीतीश कुमार को जान सकें. उनकी क्षमता से अवगत हो सके.
सवाल:- इस पुस्तक को अपने किस उद्देश्य से संपादित किया है, क्या सीएम नीतीश से कोई पद पाने की लालसा रखते हैं?
जवाबः ऐसा बिल्कुल नहीं है. इस पुस्तक को संपादित करने की लंबे समय से तैयारी चल रही थी और जब तैयार हो गया है तो इसे विमोचन कराया जा रहा है. पद की कोई लालसा नहीं है क्योंकि पहले ही वह पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य रह चुके हैं. जब उन्होंने संसद में नीतीश कुमार के भाषणों को पढ़ा तो उन्हें लगा कि देश की जनता के सामने इसे प्रस्तुत करना चाहिए और नीतीश कुमार के विचारों से भी लोगों को अवगत कराना चाहिए. देश में समता के लिए, लोकतंत्र की रक्षा के लिए जो नीतीश कुमार की सोच है, उसे इस पुस्तक के माध्यम से जनता के बीच उन्होंने लाने का काम किया है.