पटना: नगर निगम के पार्षदों का कार्यकाल 19 जून को समाप्त हो गया. इसके साथ ही प्रदेश भर के नगर निकायों के पार्षदों का कार्यकाल भी समाप्त हो गया है. अभी नगर निगम चुनाव (Nagar Nigam Election) के लिए लंबा इंतजार है. नगर निकायों के चुनाव होने में कम से कम 3 से 4 महीने का विलंब है. नगर निकायों के कार्यकाल समाप्त होने की वजह से पार्षदों के अधिकार छीन लिए गए हैं. पार्षदों का लेटर पैड अब किसी काम का नहीं रहा और वह अब किसी भी विकास संबंधी योजना की अनुशंसा नहीं कर सकते.
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पार्षद के अधिकार विस्तारित करने की मांग: हाल ही में मेयर काउंसिल ऑफ बिहार जिसमें तमाम नगर निकायों के मेयर, डिप्टी मेयर, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष जुड़े हुए हैं, उन सभी की ओर से नगर विकास विभाग और सरकार को एक पत्र लिखा गया है. पत्र के माध्यम से अनुरोध किया गया है कि जिस प्रकार से पंचायत चुनाव में विलंब होने पर पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकार चुनाव की घोषणा तक के लिए विस्तारित किए गए थे. उसी प्रकार से पार्षदों के भी अधिकार चुनाव की घोषणा तक विस्तारित किए जाए.
कोरोना काल के दौरान ठप्प रहा विकास कार्य: पटना नगर निगम क्षेत्र के वार्ड 44 की पार्षद और पटना नगर विकास समिति की सदस्य माला सिन्हा (Ward Councilor Mala Sinha) ने बताया कि इस बार जो पटना नगर निगम के 5 साल का कार्यकाल रहा. इसमें मुश्किल से दो-ढाई साल ही सही से कार्य हुए हैं. बाकी ढाई साल कोरोना की चपेट में आ गया. कोरोना के समय स्थिति ऐसी आ गई कि ना किसी से मिल सकती थी ना ही लोगों के एप्लीकेशन को ले सकती थी. नगर निगम कार्यालय ऑफिस में आना जाना नहीं होता था. ऐसे में विकास कार्य काफी प्रभावित भी हुए.
जलापूर्ति और जल निकासी की योजनाएं शुरू: माला सिन्हा ने आगे कहा कि लेकिन बावजूद इसके ढाई वर्षों में निगम द्वारा विकास के काफी कार्य किए गए. स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था सुदृढ़ की गई, जलापूर्ति और जल निकासी की योजनाओं पर काफी कार्य किए गए. स्वच्छता को लेकर प्रमुखता से काम किया गया और डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम शुरू किया गया. इसका असर यह हुआ कि पहले शहर के मोहल्ले में कई जगहों पर कचरे के अंबार लगे रहते थे जो अब देखने को नहीं मिलते हैं.
जल निकासी की योजनाओं की निगरानी: उन्होंने बताया कि 19 जून को उन लोगों का कार्यकाल खत्म हो गया है. ऐसे में वह अब विकास संबंधी किसी नई योजना और कार्य की अनुशंसा अपने लेटर पैड से नहीं कर सकती है लेकिन वह लगातार क्षेत्र का भ्रमण कर रही है. जल निकासी की योजनाओं को विस्तार से निगरानी कर रही हैं. जहां कुछ भी कहीं कमी दिख रही है, उस कमी को लेकर के वह अधिकारी से बात कर रही है. अधिकारी भी इस पर संज्ञान ले रहे हैं. लेकिन कहीं ना कहीं क्षेत्र के लोगों में भी यह बात सामने आने लगी है कि अब पार्षद का अधिकार खत्म हो गया है और वह कुछ नहीं कर सकती. ऐसे में सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.
"नगर निकाय चुनाव होने में अभी विलंब है. अब तक नगर निगम चुवान को लेक कोई घोषणा नहीं हुई है. ऐसे में जब तक इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं होती है तब तक के लिए वह सरकार से आग्रह करेंगीं कि सरकार उन लोगों के अधिकार और पावर को चुनाव की घोषणा तक विस्तारित कर दें, ताकि जनता के बीच सही संदेश जाए. जनता उन लोगों के पास अभी भी समस्याएं लेकर आती हैं. इसके लिए जरूरी है कि सरकार उन लोगों के अधिकार को विस्तारित करें. मानसून के समय जिस प्रकार से जलजमाव की समस्या सहर में उत्पन्न होती है, लोग अपनी समस्याओं को लेकर के पार्षदों के पास आते हैं, ऐसे में उन सब का बेहतर निदान भी हो पाएगा" -माला सिन्हा, पार्षद, वार्ड-44
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विभागीय बैठक में होगा प्रस्ताव पर फैसला: वहीं नगर विकास विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक विगत 2-4 दिनों में सरकार और विभाग के अधिकारियों की एक बैठक इस मसले पर आयोजित की जाएगी. इस बैठक में संभव है कि पंचायत चुनाव के समय जिस प्रकार फैसला लिया गया था, उसी प्रकार चुनाव की घोषणा तक नगर निकायों के अधिकार विस्तारित कर दिए जाएं. कई वार्ड पार्षदों ने बताया कि उन लोगों की मांग पर सरकार गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है. अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा.