पटना: बिहार विधानसभा की कार्यवाही को शांतिपूर्ण तरीके से चलाने की जिम्मेदारी सभी सदस्यों की है. बजट सत्र के दौरान जो नजारे देखने को मिले, वह लोकतंत्र के लिए काले अध्याय की तरह हैं. नेता प्रतिपक्ष, विधायक और मंत्रियों के अमर्यादित व्यवहार ने लोकतंत्र को कलंकित करने का काम किया है.
नेता प्रतिपक्ष की टिप्पणी से नीतीश के मंत्री हुए आक्रामक
बिहार विधानसभा का बजट सत्र सदस्यों के व्यवहार के लिए लंबे समय तक याद रखा जाएगा. सदन की कार्यावाही के दौरान जहां सदस्यों ने अमर्यादित व्यवहार किए. वहीं सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की की घटना ने लोकतंत्र को तार-तार करने का काम किया.
बिहार विधानसभा में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को भले ही बहुमत है, लेकिन विपक्ष भी कमजोर नहीं है. संख्या बल के हिसाब से विपक्ष सत्ता पक्ष के लगभग बराबर है. वहीं, सत्ता पक्ष के लोग तेजस्वी यादव की टिप्पणी से आक्रामक हो गए. जब शराबबंदी पर बोलना शुरू किया था तो सदन में दोनों ओर से अमर्यादित टिप्पणी और धक्का-मुक्की की नौबत आ गई.
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सदन में चलता रहा यही सिलसिला
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कई बार सदन में इस प्रकार की स्थिति बनने दी, जिससे हंगामा खड़ा हो गया. इस बार सदन में कई नेता पहली बार चुनकर आए हैं. जिसमें कई पहली बार मंत्री भी बने हैं. जिसे लेकर तेजस्वी काफी आक्रामक दिखे.
'मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी, आप मत बोलिए आप तो टॉप अप हैं. अगली बार रिचार्ज होगा, यह भी निश्चित नहीं है.'- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष
सदन में पथ निर्माण मंत्री नितीन नवीन कुछ बोलने खड़े होते तो तेजस्वी यादव उन्हें चुप कराने की कोशिश करते हैं. उन्होंने कहा कि आप पहली बार बने हैं. इसलिए आपको बहुत कुछ सीखने की जरूरत हैं. इतना ही नहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कह दिया कि नीतीश अपने मंत्रियों को एबीसीडी सिखाइएं.
सदन में इस बीच तेजस्वी यादव और रामसूरत राय के बीच भी विवाद चरम पर रहा. शराबबंदी को लेकर तेजस्वी यादव के तेवर कड़े हैं. सदन में भी तेजस्वी यादव भूमि-सुधार एवं राजस्व मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. तेजस्वी यादव के आरोपों से घिरे रामसूरत राय ने गांधी मैदान में फरियाने की चुनौती दे दी तो जमकर बवाल हुआ.
इतना ही नहीं सदन में गन्ना उद्योग मंत्री प्रमोद कुमार और तेजस्वी यादव की तीखी बहस देखी गई. तेजस्वी ने मंत्री के बारे में कह दिया कि कैसे-कैसे लोग मंत्री बना दिए जाते हैं. इसे लेकर भी सदन में खूब बवाल हुआ.
उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद और तेजस्वी यादव के बीच कई बार कहासुनी हुई. तेजस्वी यादव ने सदन में कहा कि उपमुख्यमंत्री का पद संवैधानिक नहीं है. जब अध्यक्ष ने चुटकी लेते हुए कहा कि तेजस्वी यादव अपना अनुभव बता रहे हैं तो सत्ता पक्ष ने जमकर शोर-शराबा किया. दोनों ओर से एक दूसरे को देख लेने की धमकी भी दी गई. तेजस्वी की अनर्गल बयानबाजी से बीजेपी खेमे में नाराजगी है.
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तेजस्वी को अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए, तब बोलें
बीजेपी के पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय झा ने कहा है कि तेजस्वी यादव सदन में अशांति फैलाना चाहते हैं. लिहाजा वे अनर्गल टिप्पणी करके सदन का माहौल खराब कर रहे हैं. तेजस्वी यादव को पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए. तब इसी पर टिप्पणी करनी चाहिए.
वहीं, राजद नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा है कि सत्ता पक्ष को संयमित होकर विपक्ष के आरोपों को सुनना चाहिए और जवाब देना चाहिए, लेकिन यहां उल्टा हो रहा है.
लोकतंत्र हुआ शर्मसार
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि हाल के दिनों में विधायकों के आचरण से लोकतंत्र शर्मसार हुआ है. दोनों ओर से विधायक संसदीय प्रणाली के प्रतिकूल व्यवहार कर रहे हैं. नेताओं को सदन अच्छे चलने के लिए गंभीर संदेश देने की कोशिश करनी चाहिए.