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बोचहां सीट और MLC चुनाव को लेकर NDA में गहमागहमी, BJP-VIP में आर-पार की लड़ाई - etv bihar

बिहार में बोचहां विधानसभा सीट और एक एमएलसी सीट को लेकर मुकेश सहनी की वीआईपी (Mukesh Sahni VIP Party) अब आर पार की लड़ाई के मूड में है. इबाद अब राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम है कि बीजेपी और वीआईपी के बीच तलाक तय है. पढ़ें पूरी खबर..

वीआईपी और बीजेपी में तनाव
वीआईपी और बीजेपी में तनाव
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Published : Jan 31, 2022, 10:41 PM IST

पटना: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन तलवार की धार पर है. घटक दल अलग-अलग राग अलाप रहे हैं. मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली वीआईपी ने बिहार एनडीए गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. बीजेपी वीआईपी के बीच आर-पार की लड़ाई (Tension between VIP and BJP) छिड़ गई है. मुकेश सहनी दबाव में झुकने को तैयार नहीं हैं. बिहार एनडीए गठबंधन में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. एमएलसी चुनाव को लेकर बीजेपी और जेडीयू को छोटे दलों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है.

ये भी पढ़ें- Bihar MLC Election: बिहार में बढ़ी सियासी सरगर्मी, अपनों ने ही बढ़ाई चुनौती

दरअसल, एनडीए में वीआईपी बीजेपी के कोटे में थी और जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली पार्टी हम नीतीश कुमार के कोटे में थी. नीतीश कुमार ने एमएलसी चुनाव के दौरान मांझी को तो मना लिया, लेकिन बीजेपी मुकेश सहनी को नहीं मना सकी. मुकेश साहनी ने सभी 24 विधान परिषद की सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने का फैसला ले लिया. मुकेश साहनी यहीं नहीं रुके, उन्होंने लोकसभा चुनाव में भी 150 सीटों पर दावा ठोक दिया.

वीआईपी और बीजेपी में तनाव

बता दें कि दो मुद्दों पर फिलहाल मुकेश सहनी और बीजेपी के बीच सियासी जंग छिड़ी है. दरअसल, मुकेश सहनी चाहते हैं कि आगामी विधान परिषद की उम्मीदवारी बीजेपी 6 साल के लिए तय कर दें. बीजेपी की ओर से फिलहाल ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है. दूसरी तरफ बोचहां विधानसभा सीट पर बीजेपी की दलित नेत्री और महामंत्री बेबी देवी को चुनाव लड़ना चाहती है और मुकेश सहनी किसी भी सूरत पर झुकने को तैयार नहीं है. वीआईपी अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है.

''बीजेपी के साथ हमारा गठबंधन एक एमएलसी सीट और 11 विधानसभा सीट पर हुआ था. एमएलसी सीट 6 साल के लिए होती है, लेकिन मुझे डेढ़ साल का ही कार्यकाल दिया गया. आगे अगर उन्हें देना है, तो दे नहीं देना है तो ना दें. मैं हर परिस्थिति के लिए तैयार हूं. बोचहां विधानसभा सीट से हमारी पार्टी के उम्मीदवार लड़ेंगे. किसी भी कीमत पर हम समझौता करने के लिए तैयार नहीं है. अगर बीजेपी मुझे समर्थन देती है, तो ठीक है, नहीं तो मैदान में मुलाकात होगी.''- मुकेश सहनी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, वीआईपी

''मुकेश सहनी एनडीए के एक घटक दल हैं. हम उनका सम्मान करते हैं, लेकिन अगर किसी दल को अकेले चुनाव लड़ने की इच्छा हो तो उसे कोई रोक नहीं सकता है. जहां तक बोचहां विधानसभा सीट और एमएलसी सीट का मामला है, तो उस पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है.''- अरविंद सिंह, बीजेपी प्रवक्ता

ईटीवी भारत संवाददाता के सवाल पर बीजेपी और जेडीयू की ओर से गोलमोल जवाब दिए जा रहे हैं. बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने कहा कि बोचहां विधानसभा सीट को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है. जेडीयू नेता विजय चौधरी ने भी सवाल को गोलमोल अंदाज में टाल दिया. आरजेडी ने मुकेश सहनी की दुखती नब्ज पर हाथ रख दिया पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि अब मुकेश सहनी को बताना चाहिए कि उनके पेट में खंजर किसने मारा, हमारे नेता ने पहले कह दिया था कि उनका टॉप अप भरा जाएगा कि नहीं इस पर संशय है. अब हमारे नेता की बात सच हो रही है.

वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि दोनों दलों के बीच का रिश्ता तलाक की ओर जा रहा है. मुकेश सहनी जहां लगातार बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ बीजेपी भी दबाव में आने को तैयार नहीं है. विधान परिषद के लिए 6 साल के कार्यकाल का आश्वासन भी बीजेपी मुकेश सहनी को नहीं दे सकती है. इसके चलते दोनों दलों के बीच तलाक जैसी स्थिति है.

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पटना: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन तलवार की धार पर है. घटक दल अलग-अलग राग अलाप रहे हैं. मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली वीआईपी ने बिहार एनडीए गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. बीजेपी वीआईपी के बीच आर-पार की लड़ाई (Tension between VIP and BJP) छिड़ गई है. मुकेश सहनी दबाव में झुकने को तैयार नहीं हैं. बिहार एनडीए गठबंधन में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. एमएलसी चुनाव को लेकर बीजेपी और जेडीयू को छोटे दलों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है.

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दरअसल, एनडीए में वीआईपी बीजेपी के कोटे में थी और जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली पार्टी हम नीतीश कुमार के कोटे में थी. नीतीश कुमार ने एमएलसी चुनाव के दौरान मांझी को तो मना लिया, लेकिन बीजेपी मुकेश सहनी को नहीं मना सकी. मुकेश साहनी ने सभी 24 विधान परिषद की सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने का फैसला ले लिया. मुकेश साहनी यहीं नहीं रुके, उन्होंने लोकसभा चुनाव में भी 150 सीटों पर दावा ठोक दिया.

वीआईपी और बीजेपी में तनाव

बता दें कि दो मुद्दों पर फिलहाल मुकेश सहनी और बीजेपी के बीच सियासी जंग छिड़ी है. दरअसल, मुकेश सहनी चाहते हैं कि आगामी विधान परिषद की उम्मीदवारी बीजेपी 6 साल के लिए तय कर दें. बीजेपी की ओर से फिलहाल ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है. दूसरी तरफ बोचहां विधानसभा सीट पर बीजेपी की दलित नेत्री और महामंत्री बेबी देवी को चुनाव लड़ना चाहती है और मुकेश सहनी किसी भी सूरत पर झुकने को तैयार नहीं है. वीआईपी अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है.

''बीजेपी के साथ हमारा गठबंधन एक एमएलसी सीट और 11 विधानसभा सीट पर हुआ था. एमएलसी सीट 6 साल के लिए होती है, लेकिन मुझे डेढ़ साल का ही कार्यकाल दिया गया. आगे अगर उन्हें देना है, तो दे नहीं देना है तो ना दें. मैं हर परिस्थिति के लिए तैयार हूं. बोचहां विधानसभा सीट से हमारी पार्टी के उम्मीदवार लड़ेंगे. किसी भी कीमत पर हम समझौता करने के लिए तैयार नहीं है. अगर बीजेपी मुझे समर्थन देती है, तो ठीक है, नहीं तो मैदान में मुलाकात होगी.''- मुकेश सहनी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, वीआईपी

''मुकेश सहनी एनडीए के एक घटक दल हैं. हम उनका सम्मान करते हैं, लेकिन अगर किसी दल को अकेले चुनाव लड़ने की इच्छा हो तो उसे कोई रोक नहीं सकता है. जहां तक बोचहां विधानसभा सीट और एमएलसी सीट का मामला है, तो उस पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है.''- अरविंद सिंह, बीजेपी प्रवक्ता

ईटीवी भारत संवाददाता के सवाल पर बीजेपी और जेडीयू की ओर से गोलमोल जवाब दिए जा रहे हैं. बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने कहा कि बोचहां विधानसभा सीट को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है. जेडीयू नेता विजय चौधरी ने भी सवाल को गोलमोल अंदाज में टाल दिया. आरजेडी ने मुकेश सहनी की दुखती नब्ज पर हाथ रख दिया पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि अब मुकेश सहनी को बताना चाहिए कि उनके पेट में खंजर किसने मारा, हमारे नेता ने पहले कह दिया था कि उनका टॉप अप भरा जाएगा कि नहीं इस पर संशय है. अब हमारे नेता की बात सच हो रही है.

वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि दोनों दलों के बीच का रिश्ता तलाक की ओर जा रहा है. मुकेश सहनी जहां लगातार बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ बीजेपी भी दबाव में आने को तैयार नहीं है. विधान परिषद के लिए 6 साल के कार्यकाल का आश्वासन भी बीजेपी मुकेश सहनी को नहीं दे सकती है. इसके चलते दोनों दलों के बीच तलाक जैसी स्थिति है.

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