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गांधी सेतु: समानांतर पुल निर्माण के लिए आगे आईं 7 देसी कंपनियां, जल्द पूरी होगी टेंडर प्रक्रिया - India China tension

भारत-चीन विवाद के दौरान बिहार में गांधी सेतु समानांतर पुल निर्माण का टेंडर रद्द कर दिया गया. इसके बाद देशभर में यह पुल सुर्खियों में आ गया. दरअसल, पहले पुल टेंडर में चाइनीज कंपनियों की सहभागिता थी. लेकिन अब रिटेंडर कर इसे भारतीय कंपनियों के हाथों सौंपा जाएगा. पढ़ें पूरी खबर...

गांधी सेतु
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Published : Aug 23, 2020, 5:16 PM IST

पटना: महात्मा गांधी सेतु के समानांतर बनने वाले चार लेन पुल के लिए देश की 7 नामी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है. पिछले महीने 31 जुलाई को सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से निविदा खोली गई. उसमें टाटा सहित सातों कंपनियों के नामों का खुलासा हुआ है. कंपनियों के तकनीकी मूल्यांकन का काम किया जा रहा है. इसके बाद चार लेन पुल बनाने की जिम्मेवारी देश की सातों कंपनियों में से किसी एक को दी जाएगी.

गौरतलब हो कि केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने गांधी सेतु के समानांतर बनने वाले पुल का टेंडर रद्द कर दिया था क्योंकि यह टेंडर चाइनीज कंपनियों के साथ पार्टनरशिप वाली भारतीय एजेंसियों के पास था. मंत्रालय ने टेंडर रदद्द करने की सूचना देते हुए फिर से रिटेंडर में शामिल होने की बात कही थी. पहले निर्माण के लिए चयनित सात एजेसियों में से दो ने चीनी कंपनी को अपना पार्टनर बनाया था. चीन से विवाद होने के बाद केन्द्र सरकार ने फैसला लेते हुए फिर से रिटेंडर कर दिया था.

पटन से अविनाश की रिपोर्ट

गांधीसेतु समानांतर पुल के लिए आगे आईं देश की ये कंपनियां

  1. टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड
  2. एलएनटी लिमिटेड
  3. गैमन इंजिनियर्स एंड कॉन्ट्रैक्ट प्राइवेट लिमिटेड
  4. एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड
  5. डीबीएल एचसीसी संयुक्त उपक्रम
  6. एबीएल अभ्रासकौन संयुक्त उपक्रम लिमिटेड
  7. एफ कॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड

एक नजर निर्माण कार्य और लागत पर
केंद्र सरकार की ओर से तय है इन्हीं कंपनियों में से किसी एक को गांधी सेतु पुल बनाने की जिम्मेवारी सौंपी जाएगी. गांधी सेतु के समानांतर चार लेन में बनने वाले पुल की कुल लागत 2926.2 करोड़ है. इस पुल को 3 साल 6 महीने में पूरा कर लेना है. पुल 5.63 किलोमीटर लंबा होगा, इसके साथ एप्रोच रोड की कुल लंबाई 14.50 किलोमीटर होगी. पुराने और नए प्रस्तावित पुल के बीच की दूरी 29 मीटर होगी. पुल में कुल 37 पाया बनाए जाएंगे और दोनों तरफ के एप्रोच पथ की लंबाई 8 लेन की जाएगी. इसमें चार लेन पुल का होगा और चार लेन नए पुल का होगा.

इस पुल के लिए निविदा की प्रक्रिया पिछले साल से ही शुरू है. लेकिन इस साल कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण और फिर चाइनीज कंपनियों की दिलचस्पी को देखते हुए पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया और फिर से निविदा निकाला गया.

टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में- नंद किशोर यादव
पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ने बातचीत में जानकारी दी कि गांधी सेतु के समानांतर चार लेन में बनने वाले पुल की निविदा प्रक्रिया अंतिम चरण में है. सभी कंपनियों के तकनीकी पहलुओं की जांच की जा रही है. बिहार के लोगों के लिए एनडीए सरकार की ओर से नया तोहफा है, जो साढ़े तीन साल में बनकर तैयार हो जाएगा. उत्तर बिहार की ओर जाने और फिर आने में राजधानी के लोगों को सहूलियत होगी. व्यवसाय में भी काफी वृद्धि होगी.

अभी हाल ही में गांधी सेतु के पश्चिमी लेन को चालू किया गया है. पश्चिमी लेन का सुपर स्ट्रक्चर कंक्रीट का था, जिसे काट कर हटाया गया और स्टील का लगाया गया है. अब पूर्वी लेने पर भी काम शुरू हो रहा है. इसके कारण पूर्वी लेन को बंद कर दिया गया है.

जमीन अधिग्रहण की समस्या नहीं
गांधी सेतु के समानांतर पुल के लिए सबसे खास बात है कि जमीन अधिग्रहण का काम पहले ही पूरा हो चुका है. इस पुल के लिए 4.39 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है इसका अधिग्रहण हो चुका है. जिस एजेंसी को पुल बनाने की जिम्मेवारी मिलेगी, उसे 10 साल तक मेंटेनेंस भी करना होगा. गांधी सेतु के समानांतर पुल पर कई तरह की सुविधा भी होगी और इसका लाइफ 100 वर्ष तय किया गया है.

पटना: महात्मा गांधी सेतु के समानांतर बनने वाले चार लेन पुल के लिए देश की 7 नामी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है. पिछले महीने 31 जुलाई को सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से निविदा खोली गई. उसमें टाटा सहित सातों कंपनियों के नामों का खुलासा हुआ है. कंपनियों के तकनीकी मूल्यांकन का काम किया जा रहा है. इसके बाद चार लेन पुल बनाने की जिम्मेवारी देश की सातों कंपनियों में से किसी एक को दी जाएगी.

गौरतलब हो कि केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने गांधी सेतु के समानांतर बनने वाले पुल का टेंडर रद्द कर दिया था क्योंकि यह टेंडर चाइनीज कंपनियों के साथ पार्टनरशिप वाली भारतीय एजेंसियों के पास था. मंत्रालय ने टेंडर रदद्द करने की सूचना देते हुए फिर से रिटेंडर में शामिल होने की बात कही थी. पहले निर्माण के लिए चयनित सात एजेसियों में से दो ने चीनी कंपनी को अपना पार्टनर बनाया था. चीन से विवाद होने के बाद केन्द्र सरकार ने फैसला लेते हुए फिर से रिटेंडर कर दिया था.

पटन से अविनाश की रिपोर्ट

गांधीसेतु समानांतर पुल के लिए आगे आईं देश की ये कंपनियां

  1. टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड
  2. एलएनटी लिमिटेड
  3. गैमन इंजिनियर्स एंड कॉन्ट्रैक्ट प्राइवेट लिमिटेड
  4. एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड
  5. डीबीएल एचसीसी संयुक्त उपक्रम
  6. एबीएल अभ्रासकौन संयुक्त उपक्रम लिमिटेड
  7. एफ कॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड

एक नजर निर्माण कार्य और लागत पर
केंद्र सरकार की ओर से तय है इन्हीं कंपनियों में से किसी एक को गांधी सेतु पुल बनाने की जिम्मेवारी सौंपी जाएगी. गांधी सेतु के समानांतर चार लेन में बनने वाले पुल की कुल लागत 2926.2 करोड़ है. इस पुल को 3 साल 6 महीने में पूरा कर लेना है. पुल 5.63 किलोमीटर लंबा होगा, इसके साथ एप्रोच रोड की कुल लंबाई 14.50 किलोमीटर होगी. पुराने और नए प्रस्तावित पुल के बीच की दूरी 29 मीटर होगी. पुल में कुल 37 पाया बनाए जाएंगे और दोनों तरफ के एप्रोच पथ की लंबाई 8 लेन की जाएगी. इसमें चार लेन पुल का होगा और चार लेन नए पुल का होगा.

इस पुल के लिए निविदा की प्रक्रिया पिछले साल से ही शुरू है. लेकिन इस साल कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण और फिर चाइनीज कंपनियों की दिलचस्पी को देखते हुए पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया और फिर से निविदा निकाला गया.

टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में- नंद किशोर यादव
पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ने बातचीत में जानकारी दी कि गांधी सेतु के समानांतर चार लेन में बनने वाले पुल की निविदा प्रक्रिया अंतिम चरण में है. सभी कंपनियों के तकनीकी पहलुओं की जांच की जा रही है. बिहार के लोगों के लिए एनडीए सरकार की ओर से नया तोहफा है, जो साढ़े तीन साल में बनकर तैयार हो जाएगा. उत्तर बिहार की ओर जाने और फिर आने में राजधानी के लोगों को सहूलियत होगी. व्यवसाय में भी काफी वृद्धि होगी.

अभी हाल ही में गांधी सेतु के पश्चिमी लेन को चालू किया गया है. पश्चिमी लेन का सुपर स्ट्रक्चर कंक्रीट का था, जिसे काट कर हटाया गया और स्टील का लगाया गया है. अब पूर्वी लेने पर भी काम शुरू हो रहा है. इसके कारण पूर्वी लेन को बंद कर दिया गया है.

जमीन अधिग्रहण की समस्या नहीं
गांधी सेतु के समानांतर पुल के लिए सबसे खास बात है कि जमीन अधिग्रहण का काम पहले ही पूरा हो चुका है. इस पुल के लिए 4.39 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है इसका अधिग्रहण हो चुका है. जिस एजेंसी को पुल बनाने की जिम्मेवारी मिलेगी, उसे 10 साल तक मेंटेनेंस भी करना होगा. गांधी सेतु के समानांतर पुल पर कई तरह की सुविधा भी होगी और इसका लाइफ 100 वर्ष तय किया गया है.

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