पटना : भारतीय जनता पार्टी से मुकाबले के लिए बिहार से विपक्षी एकता की मुहिम शुरू हुई थी. लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने देशभर के नामी-गिरामी नेताओं से मुलाकात भी की. नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का चेहरा बताया जा रहा था, लेकिन अब के चंद्रशेखर राव ड्राइविंग सीट पर नजर आ रहे हैं. केसीआर की दूसरी बैठक में जेडीयू को न्योता मिला है. वो भी तब जब नीतीश ने कांग्रेस की भारत जोड़ों यात्रा से 'उचित दूरी' बनाई.
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नए सचिवालय भवन के उद्घाटन में निमंत्रण: 17 फरवरी को तेलंगाना के नए सचिवालय भवन का उद्घाटन होना है. इस कार्यक्रम के बाद केसीआर ने एक आम सभा भी बुलाई है. जिसमें शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को न्योता दिया है. इससे पहले भी केसीआर ने विपक्षी नेताओं की रैली आयोजित की थी. लेकिन, नीतीश कुमार को निमंत्रण नहीं भेजा था. कांग्रेस पार्टी के यात्रा से जब नीतीश कुमार ने दूरी बना ली तब केसीआर और नीतीश कुमार के बीच नज़दीकियां बढ़ीं हैं, ऐसा माना जा रहा है.
साउथ में रखी जाएगी थर्ड फ्रंट की नींव?: चर्चा है कि केसीआर ने दूसरे कार्यक्रम में नीतीश कुमार को आमंत्रित किया है. सवाल इस बात का है कि क्या नीतीश के साउथ में जाने से थर्ड फ्रंट की रूप रेखा तैयार हो जाएगी. हालांकि दिक्कत ये है कि कांग्रेस को लेकर दोनों नेताओं के बीच मतभेद है. नीतीश कुमार चाहते हैं कि ऐसा गठबंधन बने जिसमें कांग्रेस शामिल हो. लेकिन, केसीआर कांग्रेस को गठबंधन में रखने के पक्ष में नहीं हैं.
तेजस्वी और ललन सिंह जाएंगे तेलंगाना: तेजस्वी और ललन सिंह का जान तय माना जा रहा है. नीतीश कुमार तेलंगाना जाएंगे कि नहीं इसे लेकर फिलहाल संशय बरकरार है. लेकिन, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह बैठक में हिस्सा लेने जा रहे हैं. राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि हम लोग विपक्ष की- ''एकजुटता के लिए प्रतिबद्ध हैं. जिस तरीके से बिहार में महागठबंधन तैयार हुआ है, उसी तरीके से भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन को आकार देने की तैयारी है.''
क्या कहते हैं जानकार?: वरिष्ठ पत्रकार का कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि- ''केसीआर तेजतर्रार नेता हैं. वह अपनी पिच पर नेताओं को खिलाना चाह रहे हैं. नीतीश कुमार को भी वह अपनी पिच पर लाना चाहते हैं. बहुत अब तक उन्हें सफलता भी मिली है.'' जानकार भी मानते हैं कि नीतीश कुमार और केसीआर के बीच नजदीकियां इसलिए बढ़ीं हैं क्योंकि उन्होंने कांग्रेस से दूरी बना ली है. बिहार के सियासी फलक पर ये दिख भी रहा है.
कांग्रेस से दूरी, केसीआर के कितने पास: राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार मानते हैं कि - ''के चंद्रशेखर राव के मन में भी राष्ट्रीय राजनीति में आने की महत्वाकांक्षा है. महामंत्री पद को लेकर वह भी जोर आजमाइश करना चाहते हैं. नीतीश कुमार और के चंद्रशेखर राव के बीच कांग्रेस को लेकर विवाद है. लेकिन नीतीश कुमार ने कांग्रेस की यात्रा से दूरी बना ली तो केसीआर ने भी नीतीश कुमार को बुलावा भेजने में देरी नहीं की.'' देखना यह दिलचस्प होगा कि के चंद्रशेखर राव को कितनी सफलता मिलती है.
नीतीश या केसीआर 'चेहरा' कौन? : विपक्ष को एकजुट करने की कवायद बिहार से शुरू हुई थी. लालू प्रसाद यादव के प्रयास से नीतीश कुमार को चेहरा बताया जा रहा था. दोनों नेताओं ने देश भर के कई नेताओं से मुलाकात भी की थी. इन सबके बीच तब के चंद्रशेखर राव बिहार दौरे पर आए थे. तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर और नीतीश कुमार के बीच मुलाकात भी हुई थी. लेकिन प्रधानमंत्री पद के सवाल को लेकर के चंद्रशेखर राव ने टाल दिया था.