पटना: 17 फरवरी को तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर नए सचिवालय भवन का उद्घाटन करेंगे. इस मौके पर एक बार फिर से विपक्षी एकजुटता की ताकत देखने को मिलेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी केसीआर ने आमंत्रण दिया है लेकिन नीतीश कुमार नहीं जाएंगे. तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार के प्रतिनिधि के रूप में केसीआर से मुलाकात करेंगे.
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केसीआर से तेजस्वी यादव की मुलाकात: अब तक तेजस्वी यादव झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मिल चुके हैं. ऐसे तो विपक्षी एकजुटता के लिए नीतीश कुमार बजट सत्र के बाद देश भ्रमण करेंगे लेकिन उससे पहले तेजस्वी यादव विपक्ष के बड़े नेताओं और मुख्यमंत्रियों से मिलकर हलचलें तेज कर दी हैं. क्योंकि नीतीश कुमार और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर के बीच कांग्रेस को लेकर मतभेद खुलकर सामने आया था. तेजस्वी यादव गैर कांग्रेसी मोर्चा की तरफ जिस प्रकार से कदम बढ़ा रहे हैं इसे नीतीश कुमार पर प्रेशर पॉलिटिक्स के रूप में भी देखा जा रहा है.
गैर कांग्रेसी को लेकर नहीं बन रही बात: तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर लगातार गैर कांग्रेसी और गैर बीजेपी तीसरे मोर्चा की वकालत कर रहे हैं. हालांकि नीतीश कुमार कांग्रेस के साथ मोर्चा बनाने की सलाह दे रहे हैं और इस पर मतभेद है. ऐसे पटना में केसीआर और नीतीश कुमार की मुलाकात हो चुकी है, लेकिन उस दौरान बात नहीं बनी. उसके बाद केसीआर ने अपनी पार्टी का नया नामकरण किया.पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति पार्टी का नाम था जिसे बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया गया है.
ललन सिंह और तेजस्वी करेंगे KCR से मुलाकात: नए सचिवालय भवन के उद्घाटन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में भी विपक्ष को एक मंच पर लाने की कोशिश है. रैली में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को भी आमंत्रित किया गया है लेकिन नीतीश कुमार ने जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को पार्टी की तरफ से भेजने का फैसला लिया है. ऐसे तेजस्वी यादव नीतीश के प्रतिनिधि के रूप में केसीआर से मिलेंगे.
तेजस्वी बनाना चाहते हैं सीएम नीतीश पर दबाव!: 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष को एक साथ लाने की कोशिश हो रही है. तेजस्वी यादव हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी गर्मजोशी से मुलाकात की है. अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से मुलाकात होगी. वहीं समाधान यात्रा के दौरान नीतीश कुमार से अरविंद केजरीवाल और तेजस्वी की मुलाकात को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बेरुखी के अंदाज में जवाब दिया था. उसके बाद यह भी चर्चा होने लगी है कि कहीं तेजस्वी नीतीश कुमार पर दबाव डालने की रणनीति के तहत तो नहीं काम कर रहे हैं.
"बिहार में बने महागठबंधन का पूरे देश में एक मैसेज जा रहा है. तेजस्वी यादव की झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात या फिर केसीआर से मुलाकात बीजेपी की नफरत की राजनीति के खिलाफ देश की जनता की सोच के लिए किया गया. विपक्षी एकजुटता के लिए सबकुछ कर रहे हैं. चाहे नीतीश कुमार हो तेजस्वी यादव हो या लालू यादव विपक्षी एकजुटता के लिए ही काम कर रहे हैं. तेजस्वी यादव नीतीश कुमार की जमीन तैयार कर रहे हैं."- एजाज अहमद, प्रवक्ता आरजेडी
" सीएम नीतीश, तेजस्वी यादव और लालू यादव के बीच जो समझौता हुआ था उसको किनारे कर दिया गया. यही डील हुआ था कि सोनिया और राहुल के दरबार में नीतीश कुमार को सम्मान मिलेगा. बिहार की सत्ता की चाबी तेजस्वी को मिलेगी लेकिन न तो वहां नीतीश कुमार को सम्मान मिला और ना ही नीतीश कुमार ने तेजस्वी को सत्ता सौंपी. अब तो ऐसी स्थिति है कि आरजेडी के कई मंत्री नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं. जदयू नेता भी आरजेडी नेताओं को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. यदि तेजस्वी यादव दूत बनकर ही जा रहे हैं तो राहुल गांधी ने भी निमंत्रण दिया था वहां तो नहीं गये. महागठबंधन के नेता एक दूसरे को ठगने का काम कर रहे हैं."- नितिन नवीन, बीजेपी विधायक
"मुझे जानकारी नहीं है. मुख्यमंत्री विपक्षी एकजुटता के लिए कब यात्रा करेंगे. मुझे जानकारी नहीं है जब यात्रा शुरू करेंगे तो आप लोग को जानकारी दे दी जाएगी."- शीला मंडल, मंत्री, बिहार सरकार
एक्सपर्ट की राय: वहीं वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि "जिस प्रकार से तेजस्वी यादव मुख्यमंत्रियों से मिल रहे हैं, कहीं ना कहीं नीतीश कुमार पर प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं. इससे पहले नीतीश कुमार ने अमित शाह से बातचीत का जो संकेत दिया था वह भी नीतीश कुमार के तरफ से प्रेशर पॉलिटिक्स था. समाधान यात्रा के दौरान तेजस्वी अरविंद केजरीवाल की मुलाकात पर नीतीश ने पल्ला झाड़ लिया था. रवि उपाध्याय का कहना है कि नीतीश कुमार एक तरफ कांग्रेस के साथ मोर्चा बनाने की बात कर रहे हैं लेकिन तेजस्वी यादव जिस प्रकार से मिल रहे हैं वह साफ संकेत है कि बिना कांग्रेस के मोर्चा की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बॉडी लैंग्वेज से भी स्थिति सामान्य नहीं लग रही है. दोनों के बीच कहीं न कहीं प्रेशर पॉलिटिक्स की ही बात हो रही है."
विपक्षी एकता को एकजुट करने में जुटे हैं सीएम नीतीश: नीतीश कुमार ने बिहार में एनडीए से अलग होकर महागठबंधन के 7 दलों के साथ सरकार बनाई है. सरकार बनाने के बाद देश के विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, शरद पवार, डी राजा, दीपांकर भट्टाचार्य, ओम प्रकाश चौटाला , कुमार स्वामी शामिल हैं. इतना ही नहीं नीतीश कुमार का बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उड़ीसा के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक से भी मिलने का कार्यक्रम था लेकिन अब तक नहीं बना है. इस बीच तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर अपनी पार्टी का नाम बदल कर भारत राष्ट्र समिति कर चुके हैं और उसके बैनर तले विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं. वहीं तेजस्वी यादव की भूमिका की भी काफी चर्चा हो रही है. माना जा रहा है कि बिहार में नीतीश कुमार पर दबाव डालने की कोशिश भी हो सकती है.