पटना: बिहार में जातीय जनगणना पर एक बार ( Bihar Politics On Caste Census ) सियासत तेज हो गई. राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जातीय जनगणना ( Tejashwi Yadav on Caste Census ) की मांग को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ( Tejashwi Meet CM Kumar on Caste Census) मुलाकात की. विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेंबर में यह मुलाकात हुई. इस मुलाकात के दौरान काम और कांग्रेस के सदस्य भी साथ रहे.
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बता दें कि विधानसभा में बुधवार को नेता पतिपक्ष तेजस्वी यादव ( RJD Leader Tejashwi Yadav ) ने कहा था कि इस सत्र के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकारी खर्च पर जातीय जनगणना कराने की घोषणा करें. उन्होंने कहा था कि जातीय जनगणना देशहित में जरूरी है, ताकि इससे यह मालूम हो सके कि किस जाति के लोग सबसे ज्यादा गरीब हैं और उसके बाद उस जाति के लिए काम करना आसान होगा. गुरुवार को वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( Bihar CM Nitish Kumar ) से मिलकर पूछेंगे कि जातिगत जनगणना पर बिहार सरकार के स्टैंड का क्या हुआ.
तेजस्वी ने कहा कि जातीय जनगणना कराने को लेकर मुख्यमंत्री भी पक्ष में हैं. सर्वदलीय टीम इस संबंध में प्रधानमंत्री से मिल भी चुकी है, लेकिन एक दिन पहले फिर संसद में भाजपा नेता ने कहा है कि देश में अब जातीय जनगणना जरुरी नहीं है. ऐसे में अब मुख्यमंत्री इसे राज्य सरकार के स्तर पर कराएं. इस संबंध में हम मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखेंगे.
तेजस्वी ने कहा कि जब हम सभी दिल्ली में प्रधानमंत्री से मिलकर वापस आये थे, तो उस वक्त यह कहा गया था कि उपचुनाव के बाद सर्वदलीय बैठक कर निर्णय लिया जायेगा, लेकिन अब तक इस संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई है. इसलिए हम मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि सत्र के दौरान जातीय जनगणना कराने की घोषणा करें. विधानसभा परिसर में मंगलवार को मिली शराब की खाली बोतल को लेकर फिर से तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है.
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दरअसल, जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. केंद्र सरकार ने सीधे तौर पर जातीय जनगणना कराने से मना कर दिया था. एक बार फिर संसद में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने जातीय जनगणना कराने से इनकार कर दिया है.
नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था, 'महाराष्ट्र और ओडिशा की सरकारों ने आगामी जनगणना में जातीय विवरण एकत्रित करने का अनुरोध किया है. भारत सरकार ने नीतिगत मामले के रूप में फैसला किया है कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त कोई जातीय जनगणना नहीं होगी.'
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