पटना: बिहार की राजधानी पटना की प्रख्यात एंडोडोंटिक्स डॉ. ऐश्वर्या के मुताबिक दांत अगर स्वस्थ है तो खाने-पीने में किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं होती है और मन भी हमेशा प्रसन्न रहता है लेकिन यदि किसी को दांत में जरा भी तकलीफ है तो बार-बार ध्यान उस तकलीफ पर चला जाता है. वह कहती हैं कि डेंटल हेल्थ (Dental Health) को लेकर पहले की तुलना में अब लोगों में अधिक जागरूकता आ गई है लेकिन अभी भी डेंटल हेल्थ से जुड़े कई सारे भ्रम हैं, जिसका लोगों के मन से दूर होना जरूरी है. लोगों को लगता है कि सेंसेटिव दांत कॉमन प्रॉब्लम है. अगर कीड़े लग गए हैं तो अपने आप ठीक हो जाएंगे लेकिन यह सच नहीं है.
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दांतों की समस्याओं को लेकर भ्रम: डॉ. ऐश्वर्या ने बताया कि लोगों को भ्रम यह है कि दांतों की यदि सफाई कराते हैं तो इससे दांत कमजोर होता है उसका लेयर कम होता है लेकिन ऐसा नहीं होता. कई बार दांत और मसूड़ों के बीच में जब गंदगी बैठ जाती है तो यह टूथब्रश से आसानी से साफ नहीं होता और यह धीरे-धीरे मसूड़ों को डैमेज करता है. ऐसी स्थिति में डेंटिस्ट के पास जाकर दांतों की सफाई करनी जरूरी होती है ताकि मजदूरों की गंदगी साफ हो.
दांत में कीड़ा लगने पर क्या करना चाहिए?: इसके साथ ही डॉ. ऐश्वर्या कहती हैं कि लोगों में यह भी भ्रम है कि दांत में जरा सा कीड़ा लग गया तो यह अपने आप साफ हो जाएगा. लोग हल्का घरेलू नुस्खा कर लेते हैं या फिर साफ कराकर छोड़ देते हैं, जो गलत है. दांतों में एक बार जब कीड़ा लग गया तो यह कीड़ा तबतक टिका रहेगा, जब तक इसे सही से साफ नहीं किया जाएगा और उसे साफ करके उसमें अच्छे तरीके से मसाला नहीं भरा जाए. अगर साफ करके छोड़ देते हैं और मसाला नहीं भरते हैं तो धीरे-धीरे फिर से कीड़ा लगना शुरू होगा और दातों के अंदर नस को डैमेज करने लगेगा. कई बार कीड़ा अधिक बढ़ जाता है तो दातों के नस को डैमेज करने लगता है. जिसके बाद लोग सीधे दांत की सफाई कराकर उसमें मसाला भरा देते हैं जो गलत है.
"दांत के नसों में यदि कीड़ा लग गया तो नसों का ट्रीटमेंट बेहद जरूरी है, जिसे रूट कैनाल ट्रीटमेंट कहा जाता है. उसके बाद ही उसके ऊपर मसाला भरना चाहिए या फिर दांतों की कैपिंग करनी चाहिए. दांतों में तकलीफ होती है तो कई लोग नमक और तेल का लेप लगाने लगते हैं. कई लोग फिटकरी से कुल्ला करने लगते हैं, जो काफी गलत है और यह दांतों की तकलीफ को और बढ़ाता है. ऐसी स्थिति में अधिक से अधिक गुनगुने पानी में नमक डालकर सिर्फ कुल्ला करना ही सबसे सटीक और सहज उपाय है."- डॉ. ऐश्वर्या, एंडोडोंटिक्स
डॉक्टर ऐश्वर्या कहती हैं कि हमारे शरीर के सभी अंग एक-दूसरे से नसों के माध्यम से कनेक्टेड रहते हैं ऐसे में काफी लोगों को यह भ्रम रहती है कि यदि दांत निकलवाते हैं तो आंखों की रोशनी प्रभावित होगी, जो बिल्कुल गलत है. काफी अधिक लोगों के विजडम टूथ (अक्ल दाढ़) सही तरीके से नहीं निकल पाते हैं और आधा अधूरा निकलकर बंद हो जाता है. जिसके बाद कई बाहर खाने पीने के क्रम में मसूड़े छिल जाते हैं. ऐसे में यदि विजडम टूथ सही तरीके से नहीं आया है तो इसे निकलवा देना जरूरी होता है, ताकि दांतों की समस्या कम हो क्योंकि यह दांत अन्य दातों के स्थान को प्रभावित करते हैं और अन्य दांतो के शेप बदलने लगते हैं. जो बाद में खाने-पीने में परेशानी करने लगता है.
दांतों की सेंसिटिविटी का इलाज: इन दिनों लोगों को दांतों की सनसनाहट की समस्या काफी बढ़ गई है. इश बारे में एंडोडोंटिक्स डॉ. ऐश्वर्या कहती हैं कि इसके कई कारण हैं. महिलाओं में जिन्हें गैस्टिक की समस्या रहती है, उनके दांतो का एक लेयर जो इनामल लेयरर होता है वह डैमेज हो जाता है. इसके अलावा इन दिनों युवा वर्ग में गुटखा चबाने का प्रचलन बढ़ गया है. यह गुटखा लगातार चबाते रहना दांतों के ऊपरी लेयर जो इनामल लेयर के नाम से जाना जाता है, उसे बुरी तरह डैमेज करता है. अधिक गुटखा चबाने वालों को ठंडा गरम कुछ भी खाने में काफी दिक्कत होती है. दांत घिस जाता है.
सेंसेटिव दांत कॉमन प्रॉब्लम: डॉक्टर ऐश्वर्या आगे कहती हैं कि जरूरी है कि ऐसे तंबाकू पदार्थों का सेवन पूरी तरह बंद करें. दांतों में किसी प्रकार की अत्यधिक सनसनाहट हो रही है तो डॉक्टर से मिलें. इनामल लेयर डैमेज है तो उसका बॉन्डिंग करा लें या फिर रेस्टोरेशन जिसे लिनियरिंग कहते हैं, वह करा लें ताकि दांतों के ऊपर एक तह मिल सके और कुछ भी खाने पीने जैसे मीठा खट्टा इत्यादि खाने-पीने में सनसनाहट महसूस ना हो. वो कहती हैं कि शरीर के अन्य अंगों की तरह से हमें अपने दांतों को लेकर भी सतर्क रहना चाहिए और उसका पूरा ख्याल रखना चाहिए.