पटना: अपने विभिन्न मांगों को लेकर शिक्षकों ने आंदोलन तेज कर दिया है. इसको लेकर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदार नाथ पांडेय और संघ के महासचिव शत्रुध्न प्रसाद सिन्हा ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि नीतीश सरकार की तानाशाही और जिद के कारण 4 मार्च को दमन-विरोधी दिवस मनाने का फैसला लिया गया है.
'शिक्षकों का निलंबन हो वापस'
संघ के अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार की जिद के कारण इंटर कॉपी मूल्यांकन कार्य पर काफी असर पड़ा है. जिसकी बौखलाहट में सरकार शिक्षकों पर निलंबन की कार्रवाई कर रही है. उन्होंने कहा कि निलंबन की कार्रवाई अवैध है. शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए नियोजित शिक्षकों का नियोजन नियमावली के अंतर्गत गठित पैनल समिति अनुशासनिक कार्रवाई कर सकती है. संघ के अध्यक्ष ने कहा कि सरकार जल्दबाजी में मृत शिक्षकों को कॉपी मूल्याकंन और परीक्षक के लिए नियुक्त कर रही है. केदार नाथ पांडेय ने कहा कि संघ निलंबित शिक्षकों के साथ खड़ा है.
'सीएम ने किया था सातवां वेतन लागू करने का वादा'
माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदार नाथ पांडेय ने बिहार की जनता से अपील करते हुए कहा कि वे सीएम नीतीश पर शिक्षकों की मांगों को सुनने के लिए नैतिक दबाब बनाएं. उन्होंने कहा कि चुनाव के पहले सीएम नीतीश ने खुद सांतवा वेतन आयोग की अनुशंसा लागू करने की अपील की थी. इस वजह से वादा को पूरा करना सीएम की नैतिक जाबावदेही है.
मृत और त्यागपत्र दे चुके शिक्षकों की सूची
- स्व. रंजीत कुमार यादव, शालिग्राम , बेगूसराय
- स्व. गुलाम हैदर, प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय, बांका
- आभा कुमारी, एस.एस बालिका उच्च विद्यालय, बांका
शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने कहा कि बिहार सरकार का इन मृत शिक्षकों और त्यागपत्र दे चुकी है. शिक्षकों से कॉपी मूल्यांकन करवाना और उनपर एफआईआर करवाना हास्यास्पद है. सरकार बिहार के छात्रों के साथ मजाक कर रही है. इसके लिए उन्होंने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पर मामला दर्ज कराने को कहा.