पटना: बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर के चुनावी कार्य शुरू हो गए हैं. लेकिन प्रदेश के शिक्षक चुनावी ड्यूटी करने में रुचि नहीं ले रहे हैं. अब से पहले जिन शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी लगाई जाती थी, वह कुछ समय विद्यालय में काम करने के बाद चुनाव ड्यूटी में चले जाते थे. अब शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी कर दिया है कि विद्यालय में सुबह 9:00 से शाम 5:00 बजे की ड्यूटी पूरी करने के बाद ही शिक्षक चुनाव ड्यूटी में जाएंगे.
बीएलओ के काम से त्यागपत्र दे रहे शिक्षक : शिक्षा विभाग का तर्क है कि चुनावी ड्यूटी के लिए शिक्षकों को अलग से पैसा दिया जाता है. इसलिए स्कूल की ड्यूटी के बाद चुनावी ड्यूटी के लिए उन्हें अलग से समय देना होगा. शिक्षा विभाग ने अभी कहा है कि चुनावी ड्यूटी अनिवार्य कार्य है और शिक्षकों को करना होगा. मूल रूप से शिक्षक चुनाव की तैयारी को लेकर महीना पहले से बीएलओ के कार्य में लग जाते हैं. अब शिक्षक बीएलओ के कार्य से त्यागपत्र दे रहे हैं और करना नहीं चाह रहे हैं.
900 शिक्षकों का रोका जा रहा वेतन : शिक्षा विभाग में ऐसे 900 से अधिक शिक्षकों की सूची तैयार की है और उनका वेतन रोकने की अनुशंसा कर दी है. इस पर शिक्षक संघ काफी नाराज है. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग इस प्रकार के आदेश जारी कर शिक्षकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है. शिक्षकों की जो नियमावली है, उसमें कहीं भी नहीं है कि उन्हें चुनाव की ड्यूटी करनी ही होगी.
"चुनाव के समय मतदान प्रक्रिया पूरी करना यह बेशक शिक्षक नियमावली में है, लेकिन बीएलओ का कार्य करना शिक्षकों के लिए अनिवार्य नहीं है. अब 8 घंटे की स्कूल में ड्यूटी करने के बाद रात के समय शिक्षक यदि चुनावी ड्यूटी करे तो यह संभव नहीं नहीं है कि, वह पूरी ऊर्जा से अगले दिन विद्यालय में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे पाएंगे. इससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी, जो शिक्षकों का मूल कार्य है." - मनोज कुमार सिंह, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ
'अतिरिक्त पैसा देकर किसी और से काम कराए सरकार': मनोज कुमार सिंह ने कहा कि सरकारी यदि यह कह रही है कि शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी के लिए अतिरिक्त पैसा दिया जाता है तो सरकार किसी और से यह कार्य करा ले और उसे पैसा दे. बिहार में बेरोजगारों की कमी नहीं है. 8 घंटे की ड्यूटी के बाद शिक्षक अतिरिक्त ड्यूटी नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें ड्यूटी के लिए बाध्य ही नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों के अलावा अन्य से भी काम लिया जा सकता है.
'शिक्षकों पर कार्रवाई का होगा विरोध': शिक्षक नेता ने कहा कि दिल्ली महानगर में हमने देखा है कि हर वार्ड में एक कार्यालय बना हुआ है. जहां लोग अपना मतदाता पहचान पत्र बनवाते हैं और बीएलओ जो कार्य करते हैं सभी काम वहां होता है. व्यवस्था की नहीं जा रही है और शिक्षकों को सिर्फ परेशान किया जा रहा है और इससे विद्यालय का संचालन प्रभावित होता है. उन्होंने ने कहा कि उनकी जानकारी में आया है कि 900 से अधिक शिक्षक जो बीएलओ का काम नहीं करना चाहते हैं. उन पर सरकारी कार्यवाही करने की योजना बनाई जा रही है. संघ इसका पुरजोर विरोध करता है.
'शिक्षकों की कार्यावधि का निर्धारण अव्यवहारिक' : शिक्षक नेता ने कहा कि विद्यालय में पहले सुबह 9:00 से 4:00 बजे तक शिक्षक पठन-पाठन अध्ययन का कार्य करते थे और अब 9 से 5 कर दिया गया है. शनिवार को हाफ डे को हटाकर फुल डे कर दिया गया है. सरकार प्राथमिक और उच्च माध्यमिक वर्गों के छात्रों के लिए घंटा बराबर कर दी है. यह व्यावहारिक नहीं है कि पहली कक्षा का बच्चा भी 6:30 घंटा की कक्षा करें और 12वीं कक्षा का विद्यार्थी भी 6:30 घंटा की कक्षा करे. वह सरकार और शिक्षा विभाग से मांग करेंगे कि इस संबंध में यदि निर्णय लेना है तो संघ के प्रतिनिधियों को बुलाकर वार्ता किया जाए.
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