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Bihar School Holiday : शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर जताया विरोध, बच्चों ने भी कहा..'पर्व-त्योहार में नहीं आएंगे स्कूल' - ईटीवी भारत न्यूज

पटना के स्कूलों में छुट्टी रद्द करने को लेकर शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर विरोध किया. शिक्षकों के साथ बच्चों ने भी रद्द की गई छुट्टी बहाल करने की मांग की. बच्चों ने भी कहा पर्व के दिन विद्यालय बंद होना चाहिए. हमलोग पर्व-त्योहार में स्कूल नहीं आएंगे. पढ़ें पूरी खबर..

शिक्षकों ने किया विरोध प्रदर्शन
शिक्षकों ने किया विरोध प्रदर्शन
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 1, 2023, 4:28 PM IST

शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर किया विरोध

पटना: बिहार के सरकारी विद्यालयों में कई छुट्टियां रद्द कर दी गई है. इस कारण शिक्षकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. अब शिक्षकों के साथ-साथ बच्चे भी स्वर में स्वर मिलाने लगे हैं. इसी कड़ी में शुक्रवार को स्कूलों में शिक्षकों ने विरोध स्वरूप काला बिल्ला लगाकर काम किया. शिक्षकों ने मांग की है कि उनकी जितनी भी छुट्टियां रद्द की गई है, सब की सब बहाल की जाए. अन्यथा इसी तरह से विरोध होता रहेगा. वहीं बच्चों ने भी पर्व-त्योहार में स्कूल नहीं आने की बात कही है.

ये भी पढ़ें : Bihar School Holiday : रक्षाबंधन के दिन स्कूल खुले हैं.. छात्र नहीं पहुंचे, शिक्षक काली पट्टी बांधकर आदेश की प्रति जला रहे हैं

निर्जला व्रत करने वाली शिक्षिका कैसे आएंगी स्कूल ? मीठापुर मध्य विद्यालय में कंप्यूटर लैब में काला पट्टी बांधकर बच्चों को पढ़ा रही शिक्षिका शीतल कुमारी ने कहा कि यह उन लोगों के साथ अन्याय हो रहा है. कई ऐसे पर्व है जिसे महिलाएं निर्जला करती हैं. ऐसे में चल कोई महिला शिक्षिका निर्जला व्रत में स्कूल में बच्चों को पढ़ना आता है और उससे कुछ हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी. कल रक्षाबंधन के मौके पर विद्यालय खोल दिया गया और बच्चों की उपस्थिति 20% भी नहीं रही.

"यह तय है कि पर्व त्योहारों में बच्चे विद्यालय नहीं आएंगे लेकिन जब बच्चे हैं विद्यालय में नहीं आएंगे तो शिक्षक किसे पढ़ाएंगे. इसी को लेकर विरोध कर रहे हैं और जब तक छुट्टियों को पुनः बहाल नहीं किया जाता है. इसी प्रकार वह विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे".- शीतल कुमारी, कंप्यूटर शिक्षिका

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पर्व-त्योहार पर घर पर रहना बच्चों के लिए जरूरी : शिक्षिका सरिता कुमारी ने कहा कि पर्व त्योहार में विद्यालय को खोलकर सरकार बच्चों को अपनी मूल संस्कृति से दूर कर रही है. घर में बच्चे पर्व त्योहार नहीं मानेंगे तो उनके महत्व को भी नहीं समझेंगे. पर्व त्योहार में छुट्टियां मनाने बच्चे अपने रिलेटिव के घर घूमने जाते हैं और इस दौरान उनमें सामाजिकता का विकास होता है जो बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है.

"छुट्टियों को रद्द करने का सरकार का फैसला न तो शिक्षकों के हित में है ना ही सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के हित में है. सरकार को इस फैसले को अविलंब वापस लेना चाहिए".- सरिता कुमारी, शिक्षिका

253 दिन खुले रहते हैं स्कूल : बिहार राज्य अराजपत्रित शिक्षक संघ के राष्ट्रीय सचिव सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि सरकार 220 दिन की बात करती है और यहां 253 दिन स्कूल खुले रहते हैं, सरकार शिक्षित है तो जोड़कर देख ले. तीज और जिउतिया जैसे कई पर्व है जिसमें महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. इस प्रकार का फैसला महिला शिक्षिकाओं के ऊपर अत्याचार जैसा है और संघ इसका पुरजोर विरोध कर रहा है. रद्द की गई छुट्टियों को पुनः बहाल करने की मांग को लेकर तमाम शिक्षा हाथों में काला पट्टी लगाकर शैक्षणिक कार्य कर रहे हैं.

"5 सितंबर तक काला पट्टी लगाकर विरोध चलेगा और इसके बाद आगे आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी. सरकार अगर इस फैसले को वापस नहीं लेती है तो आगे विद्यालयों में तालाबंदी की भी तैयारी है".- सुधीर कुमार सिंह, राष्ट्रीय सचिव, बिहार राज्य अराजपत्रित शिक्षक संघ

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त्योहारों में बच्चे नहीं आते स्कूल : मध्य विद्यालय मीठापुर के प्रधानाचार्य अजय किशोर ने कहा कि "बच्चे भी पूछ रहे हैं कि कल पट्टी क्यों बांधे हैं और बच्चे भी शिक्षकों की भावनाओं को भली भांति समझ रहे हैं. बच्चे भी पर्व त्योहार में स्कूल नहीं आना चाहते हैं". बच्चे भी चाह रहे हैं कि रेड की गई छुट्टियां बहस की जाए ताकि वह घर में पर्व त्योहार अच्छे तरीके से मना सके. वहीं छात्रा नंदनी कुमारी ने कहा कि मैं रक्षाबंधन के दिन सुबह-सुबह अपने भाई को राखी बांधकर के विद्यालय पहुंची थी. स्कूल से घर पर फोन गया था कि विद्यालय खुला हुआ है और बच्चे को भेजिए.

"पर्व त्योहार के दिन स्कूल को पहले जैसा बंद रहना चाहिए और पर्व त्योहार की छुट्टी खत्म करके काफी गलत किया गया है".- नंदिनी कुमारी, छात्रा

बच्चे घर पर मनाएंगे त्योहार : विद्यालय की पांचवी कक्षा की छात्रा सोनाली कुमारी ने कहा कि वह कल रक्षाबंधन के दिन विद्यालय नहीं आई थी और पर्व त्योहार के दिन वह विद्यालय नहीं आएंगी.छात्रा रितिका गुप्ता ने कहा कि वह रक्षाबंधन के दिन विद्यालय नहीं आई थी और पर्व त्योहार के दिन वह विद्यालय नहीं आ सकती हैं. दशहरा और दीपावली के समय छुट्टियों के दौरान वह घूमने जाया करती थी और इस बार भी वह जाएगी भले विद्यालय खुल रहे या बंद रहे.

"पर्व त्योहार के दिन घर पर पर्व त्योहार मनाएंगे और विद्यालय नहीं आएंगे. पर्व त्योहारों के दिन छुट्टी मिलनी चाहिए". - सोनाली कुमारी, छात्रा

शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर किया विरोध

पटना: बिहार के सरकारी विद्यालयों में कई छुट्टियां रद्द कर दी गई है. इस कारण शिक्षकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. अब शिक्षकों के साथ-साथ बच्चे भी स्वर में स्वर मिलाने लगे हैं. इसी कड़ी में शुक्रवार को स्कूलों में शिक्षकों ने विरोध स्वरूप काला बिल्ला लगाकर काम किया. शिक्षकों ने मांग की है कि उनकी जितनी भी छुट्टियां रद्द की गई है, सब की सब बहाल की जाए. अन्यथा इसी तरह से विरोध होता रहेगा. वहीं बच्चों ने भी पर्व-त्योहार में स्कूल नहीं आने की बात कही है.

ये भी पढ़ें : Bihar School Holiday : रक्षाबंधन के दिन स्कूल खुले हैं.. छात्र नहीं पहुंचे, शिक्षक काली पट्टी बांधकर आदेश की प्रति जला रहे हैं

निर्जला व्रत करने वाली शिक्षिका कैसे आएंगी स्कूल ? मीठापुर मध्य विद्यालय में कंप्यूटर लैब में काला पट्टी बांधकर बच्चों को पढ़ा रही शिक्षिका शीतल कुमारी ने कहा कि यह उन लोगों के साथ अन्याय हो रहा है. कई ऐसे पर्व है जिसे महिलाएं निर्जला करती हैं. ऐसे में चल कोई महिला शिक्षिका निर्जला व्रत में स्कूल में बच्चों को पढ़ना आता है और उससे कुछ हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी. कल रक्षाबंधन के मौके पर विद्यालय खोल दिया गया और बच्चों की उपस्थिति 20% भी नहीं रही.

"यह तय है कि पर्व त्योहारों में बच्चे विद्यालय नहीं आएंगे लेकिन जब बच्चे हैं विद्यालय में नहीं आएंगे तो शिक्षक किसे पढ़ाएंगे. इसी को लेकर विरोध कर रहे हैं और जब तक छुट्टियों को पुनः बहाल नहीं किया जाता है. इसी प्रकार वह विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे".- शीतल कुमारी, कंप्यूटर शिक्षिका

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पर्व-त्योहार पर घर पर रहना बच्चों के लिए जरूरी : शिक्षिका सरिता कुमारी ने कहा कि पर्व त्योहार में विद्यालय को खोलकर सरकार बच्चों को अपनी मूल संस्कृति से दूर कर रही है. घर में बच्चे पर्व त्योहार नहीं मानेंगे तो उनके महत्व को भी नहीं समझेंगे. पर्व त्योहार में छुट्टियां मनाने बच्चे अपने रिलेटिव के घर घूमने जाते हैं और इस दौरान उनमें सामाजिकता का विकास होता है जो बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है.

"छुट्टियों को रद्द करने का सरकार का फैसला न तो शिक्षकों के हित में है ना ही सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के हित में है. सरकार को इस फैसले को अविलंब वापस लेना चाहिए".- सरिता कुमारी, शिक्षिका

253 दिन खुले रहते हैं स्कूल : बिहार राज्य अराजपत्रित शिक्षक संघ के राष्ट्रीय सचिव सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि सरकार 220 दिन की बात करती है और यहां 253 दिन स्कूल खुले रहते हैं, सरकार शिक्षित है तो जोड़कर देख ले. तीज और जिउतिया जैसे कई पर्व है जिसमें महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. इस प्रकार का फैसला महिला शिक्षिकाओं के ऊपर अत्याचार जैसा है और संघ इसका पुरजोर विरोध कर रहा है. रद्द की गई छुट्टियों को पुनः बहाल करने की मांग को लेकर तमाम शिक्षा हाथों में काला पट्टी लगाकर शैक्षणिक कार्य कर रहे हैं.

"5 सितंबर तक काला पट्टी लगाकर विरोध चलेगा और इसके बाद आगे आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी. सरकार अगर इस फैसले को वापस नहीं लेती है तो आगे विद्यालयों में तालाबंदी की भी तैयारी है".- सुधीर कुमार सिंह, राष्ट्रीय सचिव, बिहार राज्य अराजपत्रित शिक्षक संघ

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त्योहारों में बच्चे नहीं आते स्कूल : मध्य विद्यालय मीठापुर के प्रधानाचार्य अजय किशोर ने कहा कि "बच्चे भी पूछ रहे हैं कि कल पट्टी क्यों बांधे हैं और बच्चे भी शिक्षकों की भावनाओं को भली भांति समझ रहे हैं. बच्चे भी पर्व त्योहार में स्कूल नहीं आना चाहते हैं". बच्चे भी चाह रहे हैं कि रेड की गई छुट्टियां बहस की जाए ताकि वह घर में पर्व त्योहार अच्छे तरीके से मना सके. वहीं छात्रा नंदनी कुमारी ने कहा कि मैं रक्षाबंधन के दिन सुबह-सुबह अपने भाई को राखी बांधकर के विद्यालय पहुंची थी. स्कूल से घर पर फोन गया था कि विद्यालय खुला हुआ है और बच्चे को भेजिए.

"पर्व त्योहार के दिन स्कूल को पहले जैसा बंद रहना चाहिए और पर्व त्योहार की छुट्टी खत्म करके काफी गलत किया गया है".- नंदिनी कुमारी, छात्रा

बच्चे घर पर मनाएंगे त्योहार : विद्यालय की पांचवी कक्षा की छात्रा सोनाली कुमारी ने कहा कि वह कल रक्षाबंधन के दिन विद्यालय नहीं आई थी और पर्व त्योहार के दिन वह विद्यालय नहीं आएंगी.छात्रा रितिका गुप्ता ने कहा कि वह रक्षाबंधन के दिन विद्यालय नहीं आई थी और पर्व त्योहार के दिन वह विद्यालय नहीं आ सकती हैं. दशहरा और दीपावली के समय छुट्टियों के दौरान वह घूमने जाया करती थी और इस बार भी वह जाएगी भले विद्यालय खुल रहे या बंद रहे.

"पर्व त्योहार के दिन घर पर पर्व त्योहार मनाएंगे और विद्यालय नहीं आएंगे. पर्व त्योहारों के दिन छुट्टी मिलनी चाहिए". - सोनाली कुमारी, छात्रा

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