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92 हजार नियोजित शिक्षकों पर लटकी तलवार! नहीं किया ये काम तो होगी सैलरी की रिकवरी, FIR भी दर्ज

बिहार में कोरोना संकट के बीच में 92000 शिक्षकों पर नौकरी का खतरा मंडरा रहा है. अगर इन शिक्षकों ने 20 जुलाई तक अपने सर्टिफिकेट एनआईसी पोर्टल पर अपलोड नहीं किए तो इन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.

शिक्षकों पर लटकी तलवार
शिक्षकों पर लटकी तलवार
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Published : Jun 17, 2021, 12:23 PM IST

Updated : Jun 17, 2021, 4:08 PM IST

पटना: बिहार में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति (Fake Teacher Appointment) का मामला कोई नया नहीं है. राज्य में करीब 1 लाख 3 हजार नियोजित शिक्षकों के फोल्डर निगरानी को नहीं मिल पाए थे. अब इनमें से करीब 92 हजार शिक्षकों पर अब निगरानी जांच (Vigilance Investigation) का दायरा सिमट गया है. बिहार सरकार के आदेश के मुताबिक 20 जुलाई तक जिले के एनआईसी पोर्टल (NIC Portal) पर जो शिक्षक सभी जरूरी सर्टिफिकेट अपलोड नहीं करेंगे उनकी नियुक्ति को फर्जी मानते हुए हटा दिया जाएगा. निगरानी जांच में सर्टिफिकेट फर्जी मिलने पर नौकरी से हटाने के साथ ही वेतन की रिकवरी भी की जाएगी.

ये भी पढ़ें : बिहार के 09 जिलों में बाढ़ की आशंका, NDRF की 10 टीमें तैनात

पूरा मामला समझिए
वर्ष 2006 से 2015 के बीच बिहार में बड़ी संख्या में शिक्षकों का नियोजन हुआ था. इस दौरान फर्जी सर्टिफिकेट पर हजारों शिक्षकों ने नौकरी ले ली. जब मामले का खुलासा हुआ तो पटना हाईकोर्ट की सख्ती के कारण निगरानी जांच शुरू हुई. यह जांच भी करीब 1 लाख 3 हजार शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिलने के कारण अब तक पूरी नहीं हुई है. इसके बाद शिक्षा विभाग ने एक रणनीति के तहत ऐसे सभी शिक्षकों का ब्यौरा जिलों से मांगा. जानकारी के मुताबिक सभी जिलों ने ऐसे 1,03000 शिक्षकों का पूरा विवरण शिक्षा विभाग को उपलब्ध करा दिया है.

ये भी पढ़ें : शिक्षक बहाली मामलाः हाईकोर्ट के निर्देश पर बोले अभ्यर्थी- जल्द से जल्द अपना वादा निभाए सरकार

अब आगे क्या
सूत्रों के मुताबिक करीब 92000 ऐसे शिक्षक अब नौकरी में बचे हैं जो निगरानी जांच की जद में हैं. ऐसे शिक्षकों को 4 हफ्ते में अपने सर्टिफिकेट शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करने होंगे. 4 हफ्ते में जो शिक्षक अपने फोल्डर अपलोड नहीं कर पाएंगे, उन पर समय सीमा पूरी होते ही एफआईआर दर्ज होगी और उनसे वेतन में दिए गए पैसे की रिकवरी भी की जाएगी.

इसे भी पढ़ें : शिक्षा विभाग ने सभी जिलों से मांगी शिक्षकों की लिस्ट, फर्जी शिक्षकों पर नकेल कसने की तैयारी पूरी

शिक्षा विभाग करेगा कार्रवाई
आपको बता दें कि बिहार में शिक्षकों का नियोजन एक बड़ा मुद्दा रहा है. वर्ष 2006 से वर्ष 2015 के बीच करीब 3.50 लाख शिक्षकों का नियोजन हुआ. इनमें से 103000 शिक्षकों के सर्टिफिकेट निगरानी को नहीं मिल पाए जिनके लिए यह पूरी प्रक्रिया अपनाई गई है. इन शिक्षकों को एक तय समय सीमा जो 4 हफ्ते की है. उसमें अपने सारे सर्टिफिकेट अपलोड करने होंगे. जो शिक्षक ऐसा नहीं कर पाएंगे उनकी नौकरी स्वत: समाप्त होगी. एफआईआर दर्ज होगी और वेतन में दिए गए पैसे की रिकवरी भी उनसे शिक्षा विभाग करेगा.

पटना: बिहार में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति (Fake Teacher Appointment) का मामला कोई नया नहीं है. राज्य में करीब 1 लाख 3 हजार नियोजित शिक्षकों के फोल्डर निगरानी को नहीं मिल पाए थे. अब इनमें से करीब 92 हजार शिक्षकों पर अब निगरानी जांच (Vigilance Investigation) का दायरा सिमट गया है. बिहार सरकार के आदेश के मुताबिक 20 जुलाई तक जिले के एनआईसी पोर्टल (NIC Portal) पर जो शिक्षक सभी जरूरी सर्टिफिकेट अपलोड नहीं करेंगे उनकी नियुक्ति को फर्जी मानते हुए हटा दिया जाएगा. निगरानी जांच में सर्टिफिकेट फर्जी मिलने पर नौकरी से हटाने के साथ ही वेतन की रिकवरी भी की जाएगी.

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पूरा मामला समझिए
वर्ष 2006 से 2015 के बीच बिहार में बड़ी संख्या में शिक्षकों का नियोजन हुआ था. इस दौरान फर्जी सर्टिफिकेट पर हजारों शिक्षकों ने नौकरी ले ली. जब मामले का खुलासा हुआ तो पटना हाईकोर्ट की सख्ती के कारण निगरानी जांच शुरू हुई. यह जांच भी करीब 1 लाख 3 हजार शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिलने के कारण अब तक पूरी नहीं हुई है. इसके बाद शिक्षा विभाग ने एक रणनीति के तहत ऐसे सभी शिक्षकों का ब्यौरा जिलों से मांगा. जानकारी के मुताबिक सभी जिलों ने ऐसे 1,03000 शिक्षकों का पूरा विवरण शिक्षा विभाग को उपलब्ध करा दिया है.

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अब आगे क्या
सूत्रों के मुताबिक करीब 92000 ऐसे शिक्षक अब नौकरी में बचे हैं जो निगरानी जांच की जद में हैं. ऐसे शिक्षकों को 4 हफ्ते में अपने सर्टिफिकेट शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करने होंगे. 4 हफ्ते में जो शिक्षक अपने फोल्डर अपलोड नहीं कर पाएंगे, उन पर समय सीमा पूरी होते ही एफआईआर दर्ज होगी और उनसे वेतन में दिए गए पैसे की रिकवरी भी की जाएगी.

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शिक्षा विभाग करेगा कार्रवाई
आपको बता दें कि बिहार में शिक्षकों का नियोजन एक बड़ा मुद्दा रहा है. वर्ष 2006 से वर्ष 2015 के बीच करीब 3.50 लाख शिक्षकों का नियोजन हुआ. इनमें से 103000 शिक्षकों के सर्टिफिकेट निगरानी को नहीं मिल पाए जिनके लिए यह पूरी प्रक्रिया अपनाई गई है. इन शिक्षकों को एक तय समय सीमा जो 4 हफ्ते की है. उसमें अपने सारे सर्टिफिकेट अपलोड करने होंगे. जो शिक्षक ऐसा नहीं कर पाएंगे उनकी नौकरी स्वत: समाप्त होगी. एफआईआर दर्ज होगी और वेतन में दिए गए पैसे की रिकवरी भी उनसे शिक्षा विभाग करेगा.

Last Updated : Jun 17, 2021, 4:08 PM IST
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