किशनगंज: देशभर में मिनी दार्जिलिंग के नाम से मशहूर किशनगंज की चायपत्ती को तैयार करने के लिए बागानों से इस समय पत्तियां चुनी जाती हैं. लेकिन लॉकडाउन में बागानों के बंद होने से चाय की हरियाली सूख चुकी है. जिससे उद्योग को अनुमानित करोड़ों का नुकसान हुआ है. वहीं, चाय उत्पादक किसानों और फैक्ट्री के मालिकों के सामने बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है.
20 करोड़ से ज्यादा का नुकसान
जिले में लगभग 25 हजार एकड़ में चाय की खेती की जाती है और 10 टी प्रोसेसिंग प्लांट लगे हैं. जिनमें 75 लाख किलोग्राम प्रतिवर्ष चाय उत्पादन होता है. लॉकडाउन में पत्तियां नहीं टूटने की वजह से जिले के बागान मालिकों और चायपत्ती फैक्ट्री मालिकों को अनुमानित 20 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
चाय की खेती
चाय की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि पहले वे केले की खेती करते थे. लेकिन बेमौसम आंधी-पानी की वजह से फसल तहस-नहस हो जाती थी. जिससे उन लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ता था. जिसके बाद से उन्होंने चाय की खेती करनी शुरू कर दी.
किसानों को काफी नुकसान
किसान ने बताया कि चाय की खेतों में उन्हें काफी मुनाफा होता था. जिले में ही टी प्रोसेसिंग कंपनी होने की वजह से उन्हें चाय की पत्ती बेचने बाहर नहीं जाना पड़ता था. लेकिन इस बार लॉकडाउन में फैक्ट्री बंद होने के कारण हजारों की लागत से लगाई गई पत्तियां बागान में ही खराब होकर झड़ गई, जिससे किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.
आर्थिक पैकेज से उम्मीद
वहीं, चाय व्यापारी ने बताया कि लॉकडाउन ने चाय के कारोबार को काफी प्रभावित किया है. चाय व्यापार में जुड़े, किसान, बागान मालिक, प्रोसेसिंग के लिए फैक्ट्रियां सभी को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. अब सरकार के आर्थिक पैकेज से ही इस नुकसान के कुछ भरपाई की उम्मीद है.