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सुषमा स्वराज: सोशल मीडिया को बनाया हथियार, सिर्फ एक ट्वीट पर भी करती थीं सबकी मदद

सुषमा स्वराज सिर्फ एक ट्वीट पर विदेश में फंसे किसी भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं. यही कारण है कि वह राजनीतिक और गैर-राजनीतिक लोगों की पसंदीदा नेताओं में से एक रहीं. उनके निधन से पूरा देश गमगीन है.

सुषमा स्वराज
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Published : Aug 7, 2019, 2:02 PM IST

नई दिल्ली/पटना: सुषमा स्वराज भाजपा की एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने न सिर्फ एक प्रखर वक्ता के रूप में अपनी छवि बनाई, बल्कि उन्हें 'जन मंत्री' कहा जाता था. इतना ही नहीं वह जब विदेश मंत्री बनीं तो उन्होंने आम आदमी को विदेश मंत्रालय से जोड़ दिया.

वह सिर्फ एक ट्वीट पर विदेश में फंसे किसी भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं. दरअसल उन्होंने आम लोगों की कई समस्याओं का समाधान ट्वीटर के जरिए ही कर दिया. सुषमा स्वराज लोगों से सीधे तौर पर बात कर उनकी समस्या के तत्काल समाधान के लिए हमेशा तत्पर रहती थी. इसलिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में उनकी एक खास जगह थी. जिसे अब शायद ही कोई दूसरा नेता भर पाए. सुषमा स्वराज को ट्वीटर पर 1.3 करोड़ लोग फॉलो करते हैं.

सुषमा स्वराज सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती थी

देश के बाहर भी किसी नागरिक के मुश्किल में होने पर सुषमा स्वराज प्राथमिकता के आधार पर उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहती. साल 2017 में उनका एक खास ट्वीट अपने आप में चर्चा का विषय रहा. इस ट्वीट में उन्होंने भारतीय लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास कराते हुए लिखा है कि अगर आप मंगल ग्रह पर भी फंस गए तो वहां भी भारतीय दूतावास आपकी मदद करेगा. उनका ये ट्वीट जाहिर करता है कि वह आम जन की फिक्र करने वाली नेता थी.

वो आखिरी ट्वीट...
निधन से कुछ घंटे पहले भी पार्टी और इसकी विचारधारा के प्रति स्वराज का लगाव दिखा और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर बधाई दी. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'अपने जीवनकाल में मैं इस दिन को देखने का इंतजार कर रही थी.' इस ट्वीट के कुछ घंटे बाद हृदय गति रुक जाने से यहां स्थित एम्स में उनका निधन हो गया. वह 67 साल की थीं। वर्ष 2016 में उनका गुर्दा प्रतिरोपण हुआ था और उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से लोकसभा का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. इस बार वह मोदी सरकार का हिस्सा नहीं थीं और विदेश मंत्री के रूप में एस जयशंकर को उनकी जगह मिली.

  • प्रधान मंत्री जी - आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी. @narendramodi ji - Thank you Prime Minister. Thank you very much. I was waiting to see this day in my lifetime.

    — Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) August 6, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं
सुषमा स्वराज तक आसानी से पहुंचा जा सकता था. उनकी छवि एक ऐसे विदेश मंत्री के रूप में बन गई थी जो सोशल मीडिया के जरिए सूचना मिलते ही विदेश में फंसे किसी भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं. वह इंदिरा गांधी के बाद देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री थीं.

पटना
कुलभूषण जाधव के परिवार के साथ सुषमा स्वराज

हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री
स्वराज को हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री होने का श्रेय भी मिला था. इसके साथ ही दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता होने का श्रेय भी सुषमा स्वराज को जाता है.

राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस की छात्र इकाई से
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी और बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं. वह 1996 में 13 दिन तक चली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री थीं और 1998 में वाजपेयी के पुन: सत्ता में आने के बाद स्वराज को फिर कैबिनेट मंत्री बनाया गया.

पटना
शुरुआती राजनीति की तस्वीर

चुनौतियां स्वीकार करने को हमेशा तत्पर
चुनौतियां स्वीकार करने को हमेशा तत्पर रहने वाली स्वराज ने 1999 के लोकसभा चुनाव में बेल्लारी सीट से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. उन पर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का स्नेह रहता था. वह 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता विपक्ष भी रहीं। विधि स्नातक स्वराज ने उच्चतम न्यायालय में वकालत भी की. वह सात बार संसद सदस्य के रूप में और तीन बार विधानसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं.

स्वराज के पास केंद्रीय मंत्रिमंडल में दूरसंचार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और संसदीय कार्य विभागों जैसी जिम्मेदारियां भी रहीं. उनका विवाह उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल से हुआ था जो 1990 से 1993 तक मिजोरम के राज्यपाल रहे. कौशल भी 1998 से 2004 तक संसद सदस्य रहे.

पटना
संसद भवन

स्वराज को उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार भी मिला था
स्वराज को उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार भी मिला था. विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत-पाक और भारत-चीन संबंधों सहित रणनीतिक रूप से संवेदनशील कई मुद्दों को देखा और बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाई. भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध को दूर करने में उनकी भूमिका को हमेशा याद रख जाएगा.
स्वराज की तारीफ हर राजनीतिक दल के लोग करते थे. लोग उनकी भाषण कला को पसंद करते थे. वह जब संसद में बोलती थीं तो सदस्य उन्हें गंभीरता के साथ सुनते थे.

नई दिल्ली/पटना: सुषमा स्वराज भाजपा की एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने न सिर्फ एक प्रखर वक्ता के रूप में अपनी छवि बनाई, बल्कि उन्हें 'जन मंत्री' कहा जाता था. इतना ही नहीं वह जब विदेश मंत्री बनीं तो उन्होंने आम आदमी को विदेश मंत्रालय से जोड़ दिया.

वह सिर्फ एक ट्वीट पर विदेश में फंसे किसी भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं. दरअसल उन्होंने आम लोगों की कई समस्याओं का समाधान ट्वीटर के जरिए ही कर दिया. सुषमा स्वराज लोगों से सीधे तौर पर बात कर उनकी समस्या के तत्काल समाधान के लिए हमेशा तत्पर रहती थी. इसलिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में उनकी एक खास जगह थी. जिसे अब शायद ही कोई दूसरा नेता भर पाए. सुषमा स्वराज को ट्वीटर पर 1.3 करोड़ लोग फॉलो करते हैं.

सुषमा स्वराज सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती थी

देश के बाहर भी किसी नागरिक के मुश्किल में होने पर सुषमा स्वराज प्राथमिकता के आधार पर उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहती. साल 2017 में उनका एक खास ट्वीट अपने आप में चर्चा का विषय रहा. इस ट्वीट में उन्होंने भारतीय लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास कराते हुए लिखा है कि अगर आप मंगल ग्रह पर भी फंस गए तो वहां भी भारतीय दूतावास आपकी मदद करेगा. उनका ये ट्वीट जाहिर करता है कि वह आम जन की फिक्र करने वाली नेता थी.

वो आखिरी ट्वीट...
निधन से कुछ घंटे पहले भी पार्टी और इसकी विचारधारा के प्रति स्वराज का लगाव दिखा और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर बधाई दी. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'अपने जीवनकाल में मैं इस दिन को देखने का इंतजार कर रही थी.' इस ट्वीट के कुछ घंटे बाद हृदय गति रुक जाने से यहां स्थित एम्स में उनका निधन हो गया. वह 67 साल की थीं। वर्ष 2016 में उनका गुर्दा प्रतिरोपण हुआ था और उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से लोकसभा का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. इस बार वह मोदी सरकार का हिस्सा नहीं थीं और विदेश मंत्री के रूप में एस जयशंकर को उनकी जगह मिली.

  • प्रधान मंत्री जी - आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी. @narendramodi ji - Thank you Prime Minister. Thank you very much. I was waiting to see this day in my lifetime.

    — Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) August 6, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं
सुषमा स्वराज तक आसानी से पहुंचा जा सकता था. उनकी छवि एक ऐसे विदेश मंत्री के रूप में बन गई थी जो सोशल मीडिया के जरिए सूचना मिलते ही विदेश में फंसे किसी भारतीय की मदद के लिए तुरंत सक्रिय हो जाती थीं. वह इंदिरा गांधी के बाद देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री थीं.

पटना
कुलभूषण जाधव के परिवार के साथ सुषमा स्वराज

हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री
स्वराज को हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री होने का श्रेय भी मिला था. इसके साथ ही दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता होने का श्रेय भी सुषमा स्वराज को जाता है.

राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस की छात्र इकाई से
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी और बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं. वह 1996 में 13 दिन तक चली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री थीं और 1998 में वाजपेयी के पुन: सत्ता में आने के बाद स्वराज को फिर कैबिनेट मंत्री बनाया गया.

पटना
शुरुआती राजनीति की तस्वीर

चुनौतियां स्वीकार करने को हमेशा तत्पर
चुनौतियां स्वीकार करने को हमेशा तत्पर रहने वाली स्वराज ने 1999 के लोकसभा चुनाव में बेल्लारी सीट से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. उन पर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का स्नेह रहता था. वह 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता विपक्ष भी रहीं। विधि स्नातक स्वराज ने उच्चतम न्यायालय में वकालत भी की. वह सात बार संसद सदस्य के रूप में और तीन बार विधानसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं.

स्वराज के पास केंद्रीय मंत्रिमंडल में दूरसंचार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और संसदीय कार्य विभागों जैसी जिम्मेदारियां भी रहीं. उनका विवाह उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल से हुआ था जो 1990 से 1993 तक मिजोरम के राज्यपाल रहे. कौशल भी 1998 से 2004 तक संसद सदस्य रहे.

पटना
संसद भवन

स्वराज को उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार भी मिला था
स्वराज को उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार भी मिला था. विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत-पाक और भारत-चीन संबंधों सहित रणनीतिक रूप से संवेदनशील कई मुद्दों को देखा और बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाई. भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध को दूर करने में उनकी भूमिका को हमेशा याद रख जाएगा.
स्वराज की तारीफ हर राजनीतिक दल के लोग करते थे. लोग उनकी भाषण कला को पसंद करते थे. वह जब संसद में बोलती थीं तो सदस्य उन्हें गंभीरता के साथ सुनते थे.

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